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{[[1919]] में [[पंजाब]] में हुए क्रूर अत्याचारों के विरोधस्वरूप ब्रिटिश सरकार से प्राप्त 'सर' की उपाधि किसने लौटी दी? | {[[1919]] में [[पंजाब]] में हुए क्रूर अत्याचारों के विरोधस्वरूप ब्रिटिश सरकार से प्राप्त 'सर' की उपाधि किसने लौटी दी? | ||
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- | -[[ईश्वरचंद्र विद्यासागर]] | ||
-[[आशुतोष मुखर्जी]] | -[[आशुतोष मुखर्जी]] | ||
+[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]] | +[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]] | ||
-[[सर सैयद अहमद ख़ाँ]] | -[[सर सैयद अहमद ख़ाँ]] | ||
||[[चित्र:Rabindranath-Tagore. | ||[[चित्र:Rabindranath-Tagore.gif|right|100px|border|रबीन्द्रनाथ ठाकुर]]'रबीन्द्रनाथ ठाकुर' एक [[बांग्ला भाषा|बांग्ला]] [[कवि]], कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार थे। [[भारतीय संस्कृति]] के सर्वश्रेष्ठ रूप से पश्चिमी देशों का परिचय और पश्चिमी देशों की संस्कृति से [[भारत]] का परिचय कराने में [[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]] की बड़ी भूमिका रही। उन्हें आधुनिक भारत का असाधारण सृजनशील कलाकार माना जाता है। सन [[1919]] में हुए [[जलियाँवाला बाग़|जलियाँवाला काण्ड]] की जब रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने निंदा की थी तो ब्रिटिश समाचार पत्रों का रुख़ उनके प्रति एकाएक बदल गया। रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने जलियाँवाला काण्ड के विरोध स्वरूप अपना 'सर' का खिताब लौटाते हुए [[वाइसराय]] को जो पत्र लिखा, वह भी ब्रिटिश समाचार पत्रों ने छापना उचित नहीं समझा, पर लॉर्ड माण्टेग्यू ने पार्लियामेंट में जब घोषणा की कि 'सर रवीन्द्रनाथ को दिया गया खिताब वापिस नहीं लिया गया है' तो यह समाचार ब्रिटिश समाचार पत्रों में अवश्य छपा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]] | ||
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