"नहपान": अवतरणों में अंतर
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*'''नहपान''' 'क्षहरात वंश' का ख्यातिप्राप्त व बहुत ही योग्य शासक था। | *'''नहपान''' 'क्षहरात वंश' का ख्यातिप्राप्त व बहुत ही योग्य शासक था। [[भूमक]] के बाद उसे ही क्षहरात वंश का शासक व गद्दी का वास्तविक उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया था। इसका शासनकाल सम्भवतः 119 से 224 ई. तक रहा। नहपान ने अपनी मुद्राओं पर 'राजा' की उपाधि धारण की थी। | ||
*नहपान का साम्राज्य उत्तर में [[अजमेर]] एवं [[राजपूताना]] तक विस्तृत था। इसके अन्तर्गत [[काठियावाड़]], दक्षिणी [[गुजरात]], पश्चिमी [[मालवा]], उत्तरी कोंकण, [[नासिक]] व [[पूना]] आदि सम्मिलित थे। | |||
*ऋषदत्त (उषादत्त) जो कि नहपान का दामाद था, नहपान के समय में उसके दक्षिणी प्रान्त गोवर्धन ([[नासिक]]) तथा मामल्ल (पूना) का वायसराय था। | |||
*नहपान का साम्राज्य उत्तर में [[अजमेर]] एवं [[राजपूताना]] तक विस्तृत था। | *नहपान के समय में स्वर्ण के [[कर्षापण]] का विनिमय दर 1:35 था। | ||
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*नहपान के समय में स्वर्ण [[कर्षापण]] का विनिमय दर 1:35 था। | |||
*इसके समय में [[भड़ौच]] बन्दरगाह द्वारा [[उज्जैन]], प्रतिष्ठान से लाए गए व्यापारिक सामान को पश्चिमी देशों को भेजा जाता था। | *इसके समय में [[भड़ौच]] बन्दरगाह द्वारा [[उज्जैन]], प्रतिष्ठान से लाए गए व्यापारिक सामान को पश्चिमी देशों को भेजा जाता था। | ||
*सम्भवतः [[सातवाहन]] नरेश [[गौतमीपुत्र सातकर्णि|गौतमी शातकर्णी]] ने नहपान को परास्त कर उसकी हत्या कर दी, जिसका साक्ष्य 'जोगलथम्बी' में पाए गए सिक्कों से होता है। | *सम्भवतः [[सातवाहन]] नरेश [[गौतमीपुत्र सातकर्णि|गौतमी शातकर्णी]] ने नहपान को परास्त कर उसकी हत्या कर दी थी, जिसका साक्ष्य 'जोगलथम्बी' में पाए गए सिक्कों से होता है। | ||
*कुछ लोग नहपान को ही [[शक संवत]] का प्रवर्तक मानते हैं। | *कुछ लोग नहपान को ही [[शक संवत]] का प्रवर्तक मानते हैं। | ||
12:43, 23 अगस्त 2016 के समय का अवतरण
- नहपान 'क्षहरात वंश' का ख्यातिप्राप्त व बहुत ही योग्य शासक था। भूमक के बाद उसे ही क्षहरात वंश का शासक व गद्दी का वास्तविक उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया था। इसका शासनकाल सम्भवतः 119 से 224 ई. तक रहा। नहपान ने अपनी मुद्राओं पर 'राजा' की उपाधि धारण की थी।
- नहपान का साम्राज्य उत्तर में अजमेर एवं राजपूताना तक विस्तृत था। इसके अन्तर्गत काठियावाड़, दक्षिणी गुजरात, पश्चिमी मालवा, उत्तरी कोंकण, नासिक व पूना आदि सम्मिलित थे।
- ऋषदत्त (उषादत्त) जो कि नहपान का दामाद था, नहपान के समय में उसके दक्षिणी प्रान्त गोवर्धन (नासिक) तथा मामल्ल (पूना) का वायसराय था।
- नहपान के समय में स्वर्ण के कर्षापण का विनिमय दर 1:35 था।
- इसके समय में भड़ौच बन्दरगाह द्वारा उज्जैन, प्रतिष्ठान से लाए गए व्यापारिक सामान को पश्चिमी देशों को भेजा जाता था।
- सम्भवतः सातवाहन नरेश गौतमी शातकर्णी ने नहपान को परास्त कर उसकी हत्या कर दी थी, जिसका साक्ष्य 'जोगलथम्बी' में पाए गए सिक्कों से होता है।
- कुछ लोग नहपान को ही शक संवत का प्रवर्तक मानते हैं।
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