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06:15, 27 अगस्त 2010 का अवतरण

तोरई एक सब्जी है। इसका वानस्पतिक नाम लूफा सिलिन्ड्रिका है। तोरई एक विशेष महत्व वाली सब्जी है। यह रोगी लोगों के लिए अत्यन्त लाभदयक होती है। इसकी खेती सम्पूर्ण भारत में की जाती है। सब्जी के अलावा इसके सूखे हुए रेशे को बर्तन साफ करने, जूते के तलवे तथा उद्योगों मे फिल्टर के रूप में प्रयोग किया जाता है।[1]

तोरई का जन्म स्थान दक्षिणी एशिया तथा अफ्रीका का उष्ण क्षेत्र है। इसका मूल उत्पत्ति स्थल भारत है। यह भारत सूड़ा द्वीप तथा जावा में जंगली रुप में उगती हुई पाई जाती है। तोरई की तरकारी बहुत हल्की मानी जाती है। घिया तोरई की खेती ब्राजील, मैक्सिको, घाना तथा भारतवर्ष में विस्तृत रुप से की जाती है जबकि, काली तोरई की खेती अधिकांशतः हमारे ही देश में की जाती है। हमारे देश में इसकी खेती मैदानी तथा पर्वतीय दोनों क्षेत्रों में की जाती है।[2]

गुण

  • तोरई छोटी, रूखी, तेज, उष्णवीर्य और उल्टी को दूर करने वाला है।
  • यह कफ-पित्त के रोग को दूर करने वाली, खून को साफ करने वाली, निःसारक, सूजन और पेट की गैस को दूर करने वाला है।
  • पेट की गाँठें, रस और फल में कड़ुवा, खून की बीमारी, तिल्ली के बढ़ने में, खाँसी, सांस सफेद दाग (कुष्ठ), पीलिया, बवासीर और टी.बी. को दूर करती है।[3]
  • तुरई विशेषतः सफेद दाग को मिटाने वाली और कटुपौष्टिक होती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. तोरई (हिन्दी) डिजिटल मण्डी। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2010
  2. तोरई (हिन्दी) उत्तरा कृषि प्रभा। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2010
  3. कड़वी तोरई (हिन्दी) जनकल्याण। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2010