"प्रयोग:कविता बघेल": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(पृष्ठ को खाली किया)
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
'''प्यारे लाल नय्यर'''(जन्म: [[1899]], [[दिल्ली]]) [[महात्मा गांधी]] के निजी सचिव और [[भारत]] के स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्होंने अनेक ग्रंथ भी लिखे है।
==परिचय==
स्वतंत्रता सेनानी प्यारे लाल नय्यर का जन्म [[1899]] में दिल्ली में हुआ था। इनका पारिवारिक निवास पश्चिमी सीमा प्रांत (अब [[पाकिस्तान]]) में था। प्यारे लाल की शिक्षा गवर्नमेंट कॉलेज [[लाहौर]] में हुंई।
==क्रातिकारी जीवन==
प्यारे लाल नय्यर जब [[अंग्रेज़ी]] से एम.ए. के लिए अध्ययन कर रहे थे कि तभी महात्मा गांधी ने [[1920]] का [[असहयोग आंदोलन]] आरंभ कर दिया। जब इन्हें यह पता चला तो ये अपनी अंतिम परीक्षा जिसमें 6 महीने शेष रह गए थे।, कॉलेज छोड़ कर बाहर आ गए। और असहयोग आंदोलन से जुड़ गये। प्यारे लाल नय्यर सदा गांधी जी के सहायक रहे है, यद्यपि 1942 में अपने निधन तक [[महादेव देसाई]] महात्मा गांधी जी के निजी सचिव थे। ये 1930 के गोल मेज सम्मेलन में गांधी जी के साथ गए थे। स्वतंत्रता संग्राम में जब-जब गिरफ्तारियां हुईं इन्होंने भी जेल की सजाएं भोगीं। देश के विभाजन के समय नोआखाली के दंगों में उन्होंने पीड़ित लोगों की बड़ी सहायता की।
==गांधीजी के अनुयायी ==
प्यारे लाल नय्यर महात्मा गांधी जी के राजनैतिक और आर्थिक विचारों के अनुयायी थे। महात्मागांधी जी के दृष्टिकोण की व्याख्या करते हुए उन्होंने अनेक ग्रंथ लिखे हैं। उनके ग्रंथों में 'दि इपिक फास्ट','ए पिलिग्रिमेज ऑफ पीस','ए नेशन बिल्डर ऐट वर्क', महात्मा गांधी दि लास्ट फेज' और 'महात्मा गांधी दि अर्ली फेज' विशेष प्रसिद्ध हैं। प्यारे लाल ने कभी संगठन या सरकार में कोई पद ग्रहण  नही किया। ये 'हरिजन' पत्र के संपादक भी रहे है।

11:27, 20 अक्टूबर 2016 का अवतरण

प्यारे लाल नय्यर(जन्म: 1899, दिल्ली) महात्मा गांधी के निजी सचिव और भारत के स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्होंने अनेक ग्रंथ भी लिखे है।

परिचय

स्वतंत्रता सेनानी प्यारे लाल नय्यर का जन्म 1899 में दिल्ली में हुआ था। इनका पारिवारिक निवास पश्चिमी सीमा प्रांत (अब पाकिस्तान) में था। प्यारे लाल की शिक्षा गवर्नमेंट कॉलेज लाहौर में हुंई।

क्रातिकारी जीवन

प्यारे लाल नय्यर जब अंग्रेज़ी से एम.ए. के लिए अध्ययन कर रहे थे कि तभी महात्मा गांधी ने 1920 का असहयोग आंदोलन आरंभ कर दिया। जब इन्हें यह पता चला तो ये अपनी अंतिम परीक्षा जिसमें 6 महीने शेष रह गए थे।, कॉलेज छोड़ कर बाहर आ गए। और असहयोग आंदोलन से जुड़ गये। प्यारे लाल नय्यर सदा गांधी जी के सहायक रहे है, यद्यपि 1942 में अपने निधन तक महादेव देसाई महात्मा गांधी जी के निजी सचिव थे। ये 1930 के गोल मेज सम्मेलन में गांधी जी के साथ गए थे। स्वतंत्रता संग्राम में जब-जब गिरफ्तारियां हुईं इन्होंने भी जेल की सजाएं भोगीं। देश के विभाजन के समय नोआखाली के दंगों में उन्होंने पीड़ित लोगों की बड़ी सहायता की।

गांधीजी के अनुयायी

प्यारे लाल नय्यर महात्मा गांधी जी के राजनैतिक और आर्थिक विचारों के अनुयायी थे। महात्मागांधी जी के दृष्टिकोण की व्याख्या करते हुए उन्होंने अनेक ग्रंथ लिखे हैं। उनके ग्रंथों में 'दि इपिक फास्ट','ए पिलिग्रिमेज ऑफ पीस','ए नेशन बिल्डर ऐट वर्क', महात्मा गांधी दि लास्ट फेज' और 'महात्मा गांधी दि अर्ली फेज' विशेष प्रसिद्ध हैं। प्यारे लाल ने कभी संगठन या सरकार में कोई पद ग्रहण नही किया। ये 'हरिजन' पत्र के संपादक भी रहे है।