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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {[[कुमायूँनी बोली|कुमायूँनी भाषा]] किस प्रान्त में बोली जाती है?
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| +[[उत्तराखंड]]
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| -[[बिहार]]
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| -[[उत्तर प्रदेश]]
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| -[[शिमला]]
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| ||[[चित्र:Nani-Lake-Nanital-2.jpg|right|100px|नैनी झील, उत्तराखंड]]'उत्तराखंड' [[भारत]] के उत्तर में स्थित एक राज्य है। वर्ष [[2000]] और [[2006]] के बीच यह '[[उत्तरांचल]]' के नाम से जाना जाता था। [[9 नवम्बर]], 2000 को [[उत्तराखंड]] भारत गणराज्य के 27वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। राज्य का निर्माण कई वर्ष के आन्दोलन के पश्चात हुआ। यहाँ [[कुमायूँनी भाषा]] मुख्य रूप से बोली जाती है। इसका प्रमुख क्षेत्र [[कुमायूँ]] होने के कारण ही इसे '[[कुमायूँनी बोली|कुमायूँनी]]' कहा जाता है। 'कुमायूँनी ' की उपबोलियाँ तथा स्थानीय रूप, बहुत विकसित हो गये हैं, जिनमें प्रधान खसपरजिया, कुमयाँ या कुमैताँ, फल्दकोटिया, पछाई, चौगरखिया, गंगोला, दानपुरिया, सीराली, सोरियाली, अस्कोटी, जोहारी, रउचोभैंसी तथा भोटिआ हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[उत्तराखंड]]
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| {[[कबीर]] को 'वाणी का डिक्टेटर' किसने कहा है?
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| +[[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]]
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| -[[आचार्य रामचंद्र शुक्ल]]
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| -[[मैथिलीशरण गुप्त]]
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| -[[नामवर सिंह]]
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| ||[[चित्र:Hazari Prasad Dwivedi.JPG|right|100px|हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]] हज़ारी प्रसाद द्विवेदी [[हिन्दी]] के शीर्षस्थ साहित्यकारों में से एक थे। वे उच्चकोटि के निबन्धकार, उपन्यासकार, आलोचक, चिन्तक तथा शोधकर्ता थे। 'हिन्दी साहित्य की भूमिका' [[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]] के सिद्धान्तों की बुनियादी पुस्तक है, जिसमें [[साहित्य]] को एक अविच्छिन्न परम्परा तथा उसमें प्रतिफलित क्रिया-प्रतिक्रियाओं के रूप में देखा गया है। अपने फक्कड़ व्यक्तित्व, घर फूँक मस्ती और क्रान्तिकारी विचारधारा के कारण [[कबीर]] ने उन्हें विशेष रूप से आकृष्ट किया। भाषा भावों की संवाहक होती है और कबीर की भाषा वही है। वे अपनी बात को साफ़ एवं दो टूक शब्दों में कहने के हिमायती थे। इसीलिए हज़ारी प्रसाद द्विवेदी ने उन्हें "वाणी का डिटेक्टर" कहा है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]]
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| {'ठेले पर हिमालय' रचना किस विद्या की है?
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| -[[आलोचना (साहित्य)|आलोचना]]
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| -[[कहानी]]
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| +[[निबन्ध]]
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| -[[संस्मरण]]
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| ||'निबन्ध' गद्य लेखन की एक विशेष विधा है। किसी भी विषय पर यदि कुछ लिखना हो या फिर कुछ कहना हो, तब निबन्ध का ही सहारा लिया जाता है। [[निबन्ध]] के पर्याय रूप में संदर्भ, रचना और प्रस्ताव का भी उल्लेख किया जाता है। इसे [[अंग्रेज़ी भाषा]] के 'कम्पोज़ीशन' और 'एस्से' के अर्थ में स्वीकार किया जाता है। प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार [[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी|आचार्य हज़ारीप्रसाद द्विवेदी]] के अनुसार [[संस्कृत]] में भी निबन्ध का [[साहित्य]] है। प्राचीन [[संस्कृत साहित्य]] के निबन्धों में धर्मशास्त्रीय सिद्धांतों की तार्किक व्याख्या की जाती थी। प्राय: उनमें व्यक्तित्व की विशेषता नहीं होती थी। आजकल के निबन्ध संस्कृत निबन्धों से बिल्कुल उलट हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[निबन्ध]]
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| {'किन्नरों के देश में' रचना किसकी है?
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| -[[जयशंकर प्रसाद]]
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| -[[कृष्णा सोबती]]
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| +[[राहुल सांकृत्यायन]]
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| -[[अमृता प्रीतम]]
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| ||[[चित्र:Rahul Sankrityayan.JPG|right|80px|राहुल सांकृत्यायन]]राहुल सांकृत्यायन को 'हिन्दी यात्रा साहित्य का जनक' माना जाता है। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद थे और 20वीं सदी के पूर्वार्द्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए। [[राहुल सांकृत्यायन]] ने [[हिन्दी साहित्य]] के अतिरिक्त [[धर्म]], [[दर्शन]], लोक-साहित्य, यात्रा-साहित्य, जीवनी, राजनीति, [[इतिहास]], [[संस्कृत]] के ग्रन्थों की [[टीका]] और [[अनुवाद]], कोश, तिब्बती भाषा एवं बालपोथी सम्पादन आदि विषयों पर पूरे अधिकार के साथ लिखा है। [[हिन्दी भाषा]] और [[साहित्य]] के क्षेत्र में राहुल जी ने 'अपभ्रंश काव्य साहित्य', 'दक्खिनी हिन्दी साहित्य' आदि हिन्दी की कहानियाँ प्रस्तुत कर लुप्त प्राय निधि का उद्धार किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राहुल सांकृत्यायन]]
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| {'अश्क' किस साहित्यकार का उपनाम है?
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| +[[उपेन्द्रनाथ अश्क|उपेन्द्रनाथ]]
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| -[[प्रेमचन्द]]
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| -[[अम्बिकादत्त व्यास|अम्बिकादत्त]]
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| -[[भगवतीचरण वर्मा|भगवतीचरण]]
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| ||[[चित्र:Upendranath-Ashk.jpg|right|90px|उपेन्द्रनाथ अश्क]]'उपेन्द्रनाथ अश्क' प्रसिद्ध [[उपन्यासकार]], निबन्धकार, लेखक, कहानीकार थे। अश्क जी ने आदर्शोन्मुख, कल्पनाप्रधान अथवा कोरी रोमानी रचनाएँ कीं। [[उर्दू]] के सफल लेखक उपेन्द्रनाथ अश्क ने उपन्यास सम्राट [[मुंशी प्रेमचंद]] की सलाह पर [[हिन्दी]] में लिखना आरम्भ किया था। [[1933]] में प्रकाशित उनके दूसरे कहानी संग्रह 'औरत की फितरत' की भूमिका मुंशी प्रेमचन्द ने ही लिखी थी। अश्क जी ने इससे पहले भी बहुत कुछ लिखा था। उर्दू में 'नव-रत्न' और 'औरत की फ़ितरत' उनके दो कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके थे। प्रथम हिन्दी संग्रह 'जुदाई की शाम का गीत' ([[1933]]) की अधिकांश कहानियाँ उर्दू में छप चुकी थीं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[उपेन्द्रनाथ अश्क]]
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| {[[हिन्दी]] बोली [[भारत]] में कौन बोलते हैं? | | {[[हिन्दी]] बोली [[भारत]] में कौन बोलते हैं? |