"पूर्वोत्तर प्रभाग": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
छो (Text replacement - "खरीद" to "ख़रीद")
पंक्ति 20: पंक्ति 20:


==पूर्वोत्तर में विद्रोह==  
==पूर्वोत्तर में विद्रोह==  
भाषा/नृजातीय, जनजातीय शत्रुता, प्रवास, स्थानीय संसाधनों के ऊपर नियंत्रण तथा शोषण और विरोध की व्यापक भावना के फलत: विभिन्न भारतीय विद्रोह गुटों द्वारा हिंसा तथा अलग-अलग प्रकार की मांगें की गईं हैं। ये मांगें कुछ मामलों में संप्रभुता से लेकर स्वलतंत्र राष्ट्र या होमलैंड या उन नृजातीय समूहों, जिनका वे प्रतिनिधित्व करने का दावा करते हैं, के लिए केवल बेहतर परिस्थितियों तक हैं। ये भूमिगत संगठन हिंसक तथा आतंकी गतिविधियों में संलिप्तत हैं तथा अपने लक्ष्यों/मांगों को हासिल करने के लिए हथियारों से लोगों को डराते हैं। उनके सीमा-पार से संपर्क हैं, हथियार की खरीद करते हैं, अपने काडरों की भर्ती तथा उन्हें प्रशिक्षित करते हैं और सार्वजनिक संपत्तियों को क्षति पहुंचाने, बम विस्फोउट करने, जबरन धनवसूली करने, निर्दोष लोगों, सुरक्षा बल कार्मिकों की हत्या करने, सरकारी कर्मचारियों, राजनेताओं और व्यापारियों पर हमला करने/उनका अपहरण करने जैसी विधि-विरुद्ध, क्रियाकलापों में संलिप्त रहते हैं।
भाषा/नृजातीय, जनजातीय शत्रुता, प्रवास, स्थानीय संसाधनों के ऊपर नियंत्रण तथा शोषण और विरोध की व्यापक भावना के फलत: विभिन्न भारतीय विद्रोह गुटों द्वारा हिंसा तथा अलग-अलग प्रकार की मांगें की गईं हैं। ये मांगें कुछ मामलों में संप्रभुता से लेकर स्वलतंत्र राष्ट्र या होमलैंड या उन नृजातीय समूहों, जिनका वे प्रतिनिधित्व करने का दावा करते हैं, के लिए केवल बेहतर परिस्थितियों तक हैं। ये भूमिगत संगठन हिंसक तथा आतंकी गतिविधियों में संलिप्तत हैं तथा अपने लक्ष्यों/मांगों को हासिल करने के लिए हथियारों से लोगों को डराते हैं। उनके सीमा-पार से संपर्क हैं, हथियार की ख़रीद करते हैं, अपने काडरों की भर्ती तथा उन्हें प्रशिक्षित करते हैं और सार्वजनिक संपत्तियों को क्षति पहुंचाने, बम विस्फोउट करने, जबरन धनवसूली करने, निर्दोष लोगों, सुरक्षा बल कार्मिकों की हत्या करने, सरकारी कर्मचारियों, राजनेताओं और व्यापारियों पर हमला करने/उनका अपहरण करने जैसी विधि-विरुद्ध, क्रियाकलापों में संलिप्त रहते हैं।





13:21, 15 नवम्बर 2016 का अवतरण

पूर्वोत्तर प्रभाग अथवा एन. ई. प्रभाग भारत के गृह मंत्रालय के अधीन पूर्वोत्तर राज्यों में आंतरिक सुरक्षा और कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को देखता है, जिसमें उस क्षेत्र में विद्रोह से संबंधित मामले और वहां पर सक्रिय विभिन्न अतिवादी ग्रुपों के साथ बातचीत करना भी शामिल है।

प्रस्तावना

देश के अन्य भागों से भिन्न, पूर्वोत्तर क्षेत्र की सामरिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थिति है क्योंकि, इनकी सीमाएं बांग्लादेश, म्यांमार तथा चीन जैसे देशों की सीमाओं से जुड़ी हुई हैं। भू-भागीय स्थिति, सामाजिक-आर्थिक विकास की स्थिति तथा ऐतिहासिक घटकों जैसे भाषा/नृजातीयता, जनजातीय दुश्मनी, पलायन, स्थानीय संसाधनों पर नियंत्रण तथा शोषण एवं अलगाव की बढ़ती भावना के परिणाम स्वरूप पूर्वोत्तर राज्यों की सुरक्षा स्थिति कमजोर हुई है। इसका परिणाम यह हुआ है कि विभिन्न भारतीय विद्रोही गुटों (आई. आई. जी. एस.) द्वारा हिंसा फैलायी जा रही है और ना-ना प्रकार की मांगे की जा रही हैं। उनकी मांगों में संप्रभुता से लेकर कुछ एक मामलों में स्वतंत्र राज्य अथवा मातृ भूमि अथवा सामान्य तया नृजातीय गुटों, जिनके प्रतिनिधित्व का वे दावा करते हैं, के लिए बेहतर स्थितियां जैसी भिन्न-भिन्न मांगे शामिल हैं।
गृह मंत्रालय, विकास के लिए तथा उनके कार्यों के प्रबंधन में स्वायत्तता प्रदान करने के लिए विभिन्न नृजातीय गुटों की उचित मांगों के निराकरण के लिए सभी संभव कदम उठा रहा है। जबकि, सड़क, रेल संपर्क, विद्युत आपूर्ति, जलापूर्ति आदि जैसी बुनियादी सुविधाओं के विकास संबंधी कार्य पूर्वोत्तर क्षेत्र विभाग तथा विभिन्न अन्य संबंधित मंत्रालयों द्वारा निष्पादित किए जाते हैं, वहीं सुरक्षा का सुदृढ़ीकरण, उग्रवाद से प्रभावित लोगों के पुनर्वास, भूमिगत विद्रोही गुटों को बातचीत के द्वारा मुख्यधारा में लाने और विश्वास पैदा करने संबंधी उपायों से जुड़े मुद्दों का कार्य पूर्वोत्तर प्रभाग देखता है। इस क्षेत्र की सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने के लिए बांग्लादेश तथा म्यांमार के साथ सुरक्षा संबंधी मुद्दों से संबंधित कूटनीतिक पहलें भी की जाती हैं।

पूर्वोत्तर प्रभाग द्वारा निपटाए गए कुछ महत्त्वपूर्ण मुद्दे

  • असम समझौता, बोडो समझौता, मिजो समझौता, त्रिपुरा समझौता, यू.पी.डी.एस. समझौता एवं दीमा-हसाओ समझौता का क्रियान्वयन।
  • असम तथा नागालैंड सहित इसके पड़ौसी राज्यों के बीच सीमा विवाद।
  • राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण की योजना।
  • सुरक्षा संबंधी व्यय (एस.आर.ई.), पूर्वोत्तर राज्यों के दावे।
  • राष्ट्रीय स्तर, क्षेत्रीय स्तर से संबद्ध मामले तथा भारत-बांगलादेश और भारत/म्यांमार के बीच संयुक्त कार्य-दल की बैठक।
  • पूर्वोतर राज्यों में कानून और व्यवस्था की स्थिति और चरमपंथियों की गतिविधियों की निगरानी करना।
  • आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति
  • पूर्वोत्तर (क्षेत्र में) विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1967 और सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 का संचालन।
  • सेना/केन्द्री य पुलिस संगठन के नागरिक कार्रवाई कार्यक्रम की स्कीम।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र के विभिन्न उग्रवादी गुटों के साथ शांतिवार्ता।
  • पूर्वोत्तर राज्यों में हेलीकॉप्टर सेवाएं।
  • ब्रू-प्रवासियों का त्रिपुरा से मिज़ोरम में प्रत्यातवर्तन तथा मिज़ोरम में उनका पुनर्वास।
  • अरुणाचल प्रदेश में चकमा हैजॉन्गो से जुड़े मुद्दे।
  • तिब्बती शरणार्थियों से संबंधित सुरक्षा से जुड़े मुद्दे।

पूर्वोत्तर में विद्रोह

भाषा/नृजातीय, जनजातीय शत्रुता, प्रवास, स्थानीय संसाधनों के ऊपर नियंत्रण तथा शोषण और विरोध की व्यापक भावना के फलत: विभिन्न भारतीय विद्रोह गुटों द्वारा हिंसा तथा अलग-अलग प्रकार की मांगें की गईं हैं। ये मांगें कुछ मामलों में संप्रभुता से लेकर स्वलतंत्र राष्ट्र या होमलैंड या उन नृजातीय समूहों, जिनका वे प्रतिनिधित्व करने का दावा करते हैं, के लिए केवल बेहतर परिस्थितियों तक हैं। ये भूमिगत संगठन हिंसक तथा आतंकी गतिविधियों में संलिप्तत हैं तथा अपने लक्ष्यों/मांगों को हासिल करने के लिए हथियारों से लोगों को डराते हैं। उनके सीमा-पार से संपर्क हैं, हथियार की ख़रीद करते हैं, अपने काडरों की भर्ती तथा उन्हें प्रशिक्षित करते हैं और सार्वजनिक संपत्तियों को क्षति पहुंचाने, बम विस्फोउट करने, जबरन धनवसूली करने, निर्दोष लोगों, सुरक्षा बल कार्मिकों की हत्या करने, सरकारी कर्मचारियों, राजनेताओं और व्यापारियों पर हमला करने/उनका अपहरण करने जैसी विधि-विरुद्ध, क्रियाकलापों में संलिप्त रहते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख