"रघुराम राजन": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - "बाजार" to "बाज़ार") |
||
पंक्ति 51: | पंक्ति 51: | ||
रघुराम राजन ने अपने कार्यकाल में भले ही राजनेताओं को संतुष्ट नहीं किया, लेकिन आम लोगों के लिए उन्होंने इतने कम वक्त में बहुत काम किया। उन्हें '''मिडल क्लास का मैन''' कहा जाता है। क्योंकि वे एक मात्र ऐसे गर्वनर बने थे, जिन्होंने उच्च वर्ग के टैक्स और अर्थव्यवस्था के बारे में नहीं सोचा बल्कि निम्न और मध्यम वर्ग के हिसाब से बैंक की स्कीम बनाई। राजन ने पॉलिसी में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं किए, लेकिन तीन साल की ग्रोथ बताती है कि अगर वे कुछ समय और बने रहते तो शायद [[भारत]] की अर्थव्यवस्था में भारी बदलाव हो सकता था। | रघुराम राजन ने अपने कार्यकाल में भले ही राजनेताओं को संतुष्ट नहीं किया, लेकिन आम लोगों के लिए उन्होंने इतने कम वक्त में बहुत काम किया। उन्हें '''मिडल क्लास का मैन''' कहा जाता है। क्योंकि वे एक मात्र ऐसे गर्वनर बने थे, जिन्होंने उच्च वर्ग के टैक्स और अर्थव्यवस्था के बारे में नहीं सोचा बल्कि निम्न और मध्यम वर्ग के हिसाब से बैंक की स्कीम बनाई। राजन ने पॉलिसी में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं किए, लेकिन तीन साल की ग्रोथ बताती है कि अगर वे कुछ समय और बने रहते तो शायद [[भारत]] की अर्थव्यवस्था में भारी बदलाव हो सकता था। | ||
==बैंकों के दोस्त== | ==बैंकों के दोस्त== | ||
बैंक लोन और मुद्रास्फीति में राजन का कोई जवाब नहीं है। उन्होंने हर बार मौद्रिक नीति पर नए सिरे से काम किया। बैंकिंग सेक्टर में उन्होंने कई नई पहल की। उन्होंने आईएफडीसी और बंधन जैसे माइक्रोफाइनेंशियल शाखों को बैंक के रूप में खोलेन की घोषणा की। पिछले दो दशक में ऐसा पहली बार हुआ है। बैंकों का कहना था कि उनके कार्यकाल के दौरान ब्याज दर हमेशा ही न्यूनतम रही, जिसकी वजह से महंगाई पर बहुत ज्यादा कोई असर नहीं हुआ। सोशल मीडिया और राजनीति की ओर से उन पर खूब वाप हुए, लेकिन उन्होंने कभी भी नकारात्मक रवैया नहीं अपनाया। उन पर कई बार निजी हमले भी हुए, फिर भी उन्होंने अपना काम सही ढंग से किया। एक समझदार और संजीदा गर्वनर के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई। स्मॉल फाइनेंस और एनपीए खोलने की योजना बनाई। पेटीएम और एयरटेल मशीन भी उनके दौर में | बैंक लोन और मुद्रास्फीति में राजन का कोई जवाब नहीं है। उन्होंने हर बार मौद्रिक नीति पर नए सिरे से काम किया। बैंकिंग सेक्टर में उन्होंने कई नई पहल की। उन्होंने आईएफडीसी और बंधन जैसे माइक्रोफाइनेंशियल शाखों को बैंक के रूप में खोलेन की घोषणा की। पिछले दो दशक में ऐसा पहली बार हुआ है। बैंकों का कहना था कि उनके कार्यकाल के दौरान ब्याज दर हमेशा ही न्यूनतम रही, जिसकी वजह से महंगाई पर बहुत ज्यादा कोई असर नहीं हुआ। सोशल मीडिया और राजनीति की ओर से उन पर खूब वाप हुए, लेकिन उन्होंने कभी भी नकारात्मक रवैया नहीं अपनाया। उन पर कई बार निजी हमले भी हुए, फिर भी उन्होंने अपना काम सही ढंग से किया। एक समझदार और संजीदा गर्वनर के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई। स्मॉल फाइनेंस और एनपीए खोलने की योजना बनाई। पेटीएम और एयरटेल मशीन भी उनके दौर में बाज़ार में आई। राजन ने जब चार्ज लिया उस वक्त मुद्रास्फीति चरम पर थी, लेकिन उन्होंने सेंट्रल बैंक की नीतियों पर काम किया। हालांकि आज भी हम महंगाई से लड़ रहे हैं। वित्त मंत्री ने भी इस बात को माना है।<ref name="a">{{cite web |url=http://m.livehindustan.com/news/national/article1-a-journey-of-rbi-governor-becomes-the-good-man-of-middle-class-556629.html |title=मिडल क्लास का 'गुड मैन' जो राजनीति से नहीं बच पाया |accessmonthday=06 सितम्बर |accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=livehindustan.com |language= हिंदी}}</ref> | ||
साल [[2015]] के [[नवंबर]] में उन्होंने एसेट क्वालिटी में सुधार किया। राजन ने जब साल [[2013]] में काम संभाला, तब महंगाई 9 फीसदी थी और थोक महंगाई 7 फीसदी, लेकिन तीन साल के भीतर खुदरा महंगाई 4 के नीचे चली गई। एक बात याद रखने की है कि उनके समय में [[रुपया]] खूब मजबूत हुआ। शेयर | साल [[2015]] के [[नवंबर]] में उन्होंने एसेट क्वालिटी में सुधार किया। राजन ने जब साल [[2013]] में काम संभाला, तब महंगाई 9 फीसदी थी और थोक महंगाई 7 फीसदी, लेकिन तीन साल के भीतर खुदरा महंगाई 4 के नीचे चली गई। एक बात याद रखने की है कि उनके समय में [[रुपया]] खूब मजबूत हुआ। शेयर बाज़ार में भी ऐतिहासिक उछाल आया था। एक साल के अंदर रुपया 60 रुपए से ज्यादा मजबूत हुआ। | ||
==पुरस्कार व सम्मान== | ==पुरस्कार व सम्मान== | ||
रघुराम राजन ने [[भारत]] में होने वाले वित्तीय संकट की भविष्यवाणी पहले ही कर दी थी। [[अप्रैल]] [[2009]] में राजन ने 'द इकोनोमिस्ट' के लिए अतिथि स्तम्भ लिखा, जिसमें उन्होंने प्रस्तावित किया कि एक नियामक प्रणाली होनी चाहिए जो वित्तीय चक्र में होने वाले अप्रत्याशित लाभ को कम कर सके। रघुराम राजन को निम्नलिखित पुरस्कार मिल चुके हैं<ref name="a"/>- | रघुराम राजन ने [[भारत]] में होने वाले वित्तीय संकट की भविष्यवाणी पहले ही कर दी थी। [[अप्रैल]] [[2009]] में राजन ने 'द इकोनोमिस्ट' के लिए अतिथि स्तम्भ लिखा, जिसमें उन्होंने प्रस्तावित किया कि एक नियामक प्रणाली होनी चाहिए जो वित्तीय चक्र में होने वाले अप्रत्याशित लाभ को कम कर सके। रघुराम राजन को निम्नलिखित पुरस्कार मिल चुके हैं<ref name="a"/>- |
13:22, 15 नवम्बर 2016 का अवतरण
रघुराम राजन
| |
पूरा नाम | रघुराम गोविंद राजन |
जन्म | 3 फ़रवरी, 1964 |
जन्म भूमि | भोपाल, मध्य प्रदेश |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | अर्थशास्त्री |
मुख्य रचनाएँ | कई लेखकों के साथ मिलकर 'सेविंग कैप्टलिल्म फॉम कैप्टलिस्टस', 'द ट्रु लेशन ऑफ द रिजन' सहित कई शोध पत्र लिखे। |
शिक्षा | एमबीए, पीएचडी (बैकिंग निबंध) |
विद्यालय | आईआईएम अहमदाबाद, एमआईटी (मासाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी) |
प्रसिद्धि | भारतीय रिजर्व बैंक के 23वें गवर्नर |
नागरिकता | भारतीय |
विशेष | रघुराम राजन स्नातक के बाद ही शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में बतौर फैकल्टी बने। 2003 में वे इंटरनेशनल मोनेटरी फंड (आईएमएफ) में सबसे कम उम्र के आर्थिक सलाहकार और शोध के निदेशक बने। |
पूर्वाधिकारी | डी. सुब्बाराव |
उत्तराधिकारी | उर्जित पटेल |
अन्य जानकारी | रघुराम राजन ने यूरोप तथा यूएस (अमेरिका) में 2008 के दौरान आए आर्थिक संकट को लेकर 2008-12 की समयावधि के लिए रिसर्च पेपर लिखा जिसमें इस आर्थिक संकट के कारणों पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी थी। |
रघुराम राजन (अंग्रेज़ी: Raghuram Rajan, पूरा नाम: रघुराम गोविंद राजन, जन्म: 3 फ़रवरी, 1964) भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व (23वें) गवर्नर हैं। 4 सितम्बर, 2013 को डी. सुब्बाराव की सेवानिवृत्ति के पश्चात उन्होंने यह पदभार ग्रहण किया था। विश्व के प्रमुख दस अर्थशास्त्रियों में से एक रघुराम राजन ने डॉ. डी. सुब्बाराव के बाद गवर्नर का पद संभाला। रघुराम राजन पर गिरते रुपए को संभालने के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने की सबसे बड़ी चुनौती थी। 4 सितम्बर, 2016 को रघुराम राजन का कार्यकाल पूर्ण हुआ और उनके स्थान पर उर्जित पटेल ने 5 सितम्बर, 2016 से आरबीआई के नये गवर्नर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया।
जीवन परिचय
अर्थजगत से जुड़े कई पुरस्कार जीत चुके तथा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आर्थिक सलाहकार रह चुके रघुराम राजन का जन्म 3 फ़रवरी, 1964 में मध्य प्रदेश के भोपाल में एक तमिल परिवार में हुआ था। जन्म के बाद से वे लगातार अपने परिवार के साथ श्रीलंका, इंडोनेशिया तथा बेल्जियम घूमते रहे और इनकी प्रारंभिक शिक्षा भी चलती रही। 1974 में उन्होंने बेल्जियम से भारत आकर अपनी बाकी पढ़ाई दिल्ली से की।[1]
शिक्षा
1985 में उन्होंने दिल्ली के आईआईटी से इंलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। रघुराम को आईआईटी दिल्ली के निदेशक द्वारा बेस्ट ऑल राउंड अचीवमेंट का गोल्ड मेडल दिया गया। इसके बाद वे आईआईएम अहमदाबाद से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की जहां उन्हें फिर से गोल्ड मेडल मिला। रघुराम ने 1991 में प्रबंधन में 'बैकिंग निबंध' विषय में एमआईटी से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। रघुराजन स्नातक के बाद ही शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में बतौर फैकल्टी बने। 2003 में वे इंटरनेशनल मोनेटरी फंड (आईएमएफ) में सबसे कम उम्र के आर्थिक सलाहकार और शोध के निदेशक बने। 2003 में अमेरिकन फिनांस एसोसिएशन द्वारा 40 वर्ष के कम उम्र के अर्थशस्त्रियों के लिए किए गए अवॉर्ड शो कार्यक्रम में भाग लिया, जहां उन्हें सेंटर फॉर फिनांस स्टडी द्वारा फिनॉस इकॉनोमिक्स में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए 5वीं ड्यूश बैंक पुरस्कार दिया गया। रघुराम ने 2005 में यूएस फेडरल रिजर्व में क्रिटिकल ऑफ द फिनॉसियल सेक्टर विषय पर एक शोध पेपर पेश किया। 2008 में आए आर्थिक संकट से उबारने में उनका अनुभव काम आया। इसके बाद 2009 में द वॉल स्ट्रीट जनरल में उनके बारे में छपा जिसके बाद उन्होंने अकादमी पुरस्कार विजेता दस्तावेजिक फ़िल्म इनसाईड जॉब के लिए साक्षात्कार दिया।[1]
कार्यक्षेत्र
वर्ष 2008 में वे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आर्थिक सलाहकार नियुक्त हुए और उसी साल उनकी अध्यक्षता में हाई लेवल कमेटी ऑन फिनांसियल रिफॉम की बैठक हुई जिसकी अंतिम रिपोर्ट प्लानिंग कमिशन को सौंपी गई। 2012 में वे भारतीय फिनांस मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के प्रमुख नियुक्त हुए। रघुराम राजन ने यूरोप तथा यूएस में 2008 के दौरान आए आर्थिक संकट को लेकर 2008-12 की समयावधि के लिए रिसर्च पेपर लिखा जिसमें इस आर्थिक संकट के कारणों पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी।[1]
शोध पत्र
2012 में राजन और पॉल क्रुगमैन के साथ यूएस और यूरोप को कैसे आर्थिक रूप से मजबूत बनाया जाए विषय पर हुई चर्चा में भाग लिया जहां उन्हें विचार संपादक कमेटी में शामिल किया गया। उन्होंने कई लेखकों के साथ मिलकर 'सेविंग कैप्टलिल्म फॉम कैप्टलिस्टस', 'द ट्रु लेशन ऑफ द रिजन' सहित कई शोध पत्र भी लिखे।
मिडल क्लास का मैन
रघुराम राजन ने अपने कार्यकाल में भले ही राजनेताओं को संतुष्ट नहीं किया, लेकिन आम लोगों के लिए उन्होंने इतने कम वक्त में बहुत काम किया। उन्हें मिडल क्लास का मैन कहा जाता है। क्योंकि वे एक मात्र ऐसे गर्वनर बने थे, जिन्होंने उच्च वर्ग के टैक्स और अर्थव्यवस्था के बारे में नहीं सोचा बल्कि निम्न और मध्यम वर्ग के हिसाब से बैंक की स्कीम बनाई। राजन ने पॉलिसी में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं किए, लेकिन तीन साल की ग्रोथ बताती है कि अगर वे कुछ समय और बने रहते तो शायद भारत की अर्थव्यवस्था में भारी बदलाव हो सकता था।
बैंकों के दोस्त
बैंक लोन और मुद्रास्फीति में राजन का कोई जवाब नहीं है। उन्होंने हर बार मौद्रिक नीति पर नए सिरे से काम किया। बैंकिंग सेक्टर में उन्होंने कई नई पहल की। उन्होंने आईएफडीसी और बंधन जैसे माइक्रोफाइनेंशियल शाखों को बैंक के रूप में खोलेन की घोषणा की। पिछले दो दशक में ऐसा पहली बार हुआ है। बैंकों का कहना था कि उनके कार्यकाल के दौरान ब्याज दर हमेशा ही न्यूनतम रही, जिसकी वजह से महंगाई पर बहुत ज्यादा कोई असर नहीं हुआ। सोशल मीडिया और राजनीति की ओर से उन पर खूब वाप हुए, लेकिन उन्होंने कभी भी नकारात्मक रवैया नहीं अपनाया। उन पर कई बार निजी हमले भी हुए, फिर भी उन्होंने अपना काम सही ढंग से किया। एक समझदार और संजीदा गर्वनर के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई। स्मॉल फाइनेंस और एनपीए खोलने की योजना बनाई। पेटीएम और एयरटेल मशीन भी उनके दौर में बाज़ार में आई। राजन ने जब चार्ज लिया उस वक्त मुद्रास्फीति चरम पर थी, लेकिन उन्होंने सेंट्रल बैंक की नीतियों पर काम किया। हालांकि आज भी हम महंगाई से लड़ रहे हैं। वित्त मंत्री ने भी इस बात को माना है।[2]
साल 2015 के नवंबर में उन्होंने एसेट क्वालिटी में सुधार किया। राजन ने जब साल 2013 में काम संभाला, तब महंगाई 9 फीसदी थी और थोक महंगाई 7 फीसदी, लेकिन तीन साल के भीतर खुदरा महंगाई 4 के नीचे चली गई। एक बात याद रखने की है कि उनके समय में रुपया खूब मजबूत हुआ। शेयर बाज़ार में भी ऐतिहासिक उछाल आया था। एक साल के अंदर रुपया 60 रुपए से ज्यादा मजबूत हुआ।
पुरस्कार व सम्मान
रघुराम राजन ने भारत में होने वाले वित्तीय संकट की भविष्यवाणी पहले ही कर दी थी। अप्रैल 2009 में राजन ने 'द इकोनोमिस्ट' के लिए अतिथि स्तम्भ लिखा, जिसमें उन्होंने प्रस्तावित किया कि एक नियामक प्रणाली होनी चाहिए जो वित्तीय चक्र में होने वाले अप्रत्याशित लाभ को कम कर सके। रघुराम राजन को निम्नलिखित पुरस्कार मिल चुके हैं[2]-
- 2011 में नासकोम द्वारा - ग्लोबल इंडियन ऑफ़ द ईयर।
- 2012 में इन्फोसिस द्वारा आर्थिक विज्ञान के लिए सम्मान।
- 2013 वित्तीय अर्थशास्त्र के लिए सैंटर फ़ॉर फ़ाइनेंशियल स्टडीज़, ड्यूश बैंक सम्मान प्रकाशन।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 रघुराम राजन : प्रोफाइल (हिंदी) वेबदुनिया हिंदी। अभिगमन तिथि: 22 दिसंबर, 2013।
- ↑ 2.0 2.1 मिडल क्लास का 'गुड मैन' जो राजनीति से नहीं बच पाया (हिंदी) livehindustan.com। अभिगमन तिथि: 06 सितम्बर, 2016।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख