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'''बाबा रामचंद्र''' (अंगेज़ी: ''Baba Ram Chandra'', जन्म: [[1875]] [[ग्वालियर]]; मृत्यु: [[1950]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध किसान नेता तथा स्वतंत्रता सेनानी थे।  
'''बाबा रामचंद्र''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Baba Ram Chandra'', जन्म: [[1875]] [[ग्वालियर]]; मृत्यु: [[1950]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध किसान नेता तथा स्वतंत्रता सेनानी थे।  
==परिचय==
==परिचय==
बाबा रामचंद्र का जन्म [[1875]] में [[ग्वालियर]] के एक गरीब [[ब्राह्मण]] [[परिवार]] में हुआ था। इनका जीवन बड़ा घटना प्रधान रहा था। इन्हें औपचारिक शिक्षा का अवसर नहीं मिला, किंतु '[[रामचरित मानस]]' का इन्होंने अध्ययन किया।
बाबा रामचंद्र का जन्म [[1875]] में [[ग्वालियर]] के एक गरीब [[ब्राह्मण]] [[परिवार]] में हुआ था। इनका जीवन बड़ा घटना प्रधान रहा था। इन्हें औपचारिक शिक्षा का अवसर नहीं मिला, किंतु '[[रामचरित मानस]]' का इन्होंने अध्ययन किया।

09:12, 20 नवम्बर 2016 का अवतरण

बाबा रामचंद्र (अंग्रेज़ी: Baba Ram Chandra, जन्म: 1875 ग्वालियर; मृत्यु: 1950) भारत के प्रसिद्ध किसान नेता तथा स्वतंत्रता सेनानी थे।

परिचय

बाबा रामचंद्र का जन्म 1875 में ग्वालियर के एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनका जीवन बड़ा घटना प्रधान रहा था। इन्हें औपचारिक शिक्षा का अवसर नहीं मिला, किंतु 'रामचरित मानस' का इन्होंने अध्ययन किया।

कार्य क्षेत्र

बाबा रामचंद्र अपने यौवनकाल में शर्तबंद कुली बन कर फिजी पहुंचे। ये अपने रामायण ज्ञान और भाषण देने की क्षमता के कारण वहां बसे हुए भारतीयों में शीघ्र ही लोगप्रिय हो गए। अंग्रेज जो भारतीयों को कुली बनाकर ले गए थे, उन पर बड़े अत्याचार करते थे। बाबा रामचंद्र ने इसके विरोध में आवाज उठाई और लोगों को संगठित किया। इस पर उन्हें 1918 में भारत वापस भेज दिया गया।

बाबा रामचंद्र ने भारत आने पर पहले उत्तर प्रदेश में जौनपुर को फिर प्रतापगढ़ और रायबरेली को अपना कार्य क्षेत्र बनाया। ये गांव-गांव घूमकर किसानों को विदेशी सरकार के अत्याचारों के विरुद्ध संगठित करते थे। रामायण की कथा के नाम पर वहा लोगो की भीड़ एकत्र होती और बाबा रामचंद्र 'जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी, से नृप अवसर नरक अधिकारी' कह कर ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध वातावरण का माहौल बनाते। जिससे इनकी सभाओं में हजारों की भीड़ जमा होती और ये अपनी ऊंची आवाज में लोगों तक अपनी बात पहुंचाने में समर्थ होते थे। एक बार ये किसानों की भीड़ लेकर इलाहाबाद में जवाहरलाल नेहरू के पास पहुंचे और उन्हें गांवों में जाकर किसानों की दशा देखने के लिए प्रेरित किया। नेहरू जी ने अपनी आत्मकथा में इसका उल्लेख किया है।

मृत्यु

बाबा रामचंद्र ने कांग्रेस के हर आंदोलन भाग लिया और जेल भी गए। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में वे नैनी जेल में बंद किये गये। 1950 में इनका देहांत हो गया।