"मदन लाल मधु": अवतरणों में अंतर
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'''मदन लाल मधु''' ([[अंग्रेज़ी]]:Madan Lal Madhu) [[हिंदी]] और रूसी साहित्य के आधुनिक सेतु निर्माताओं में से एक रहे हैं। मास्को के प्रमुख प्रकाशन-गृह प्रगति एवं रादुगा प्रकाशन में लगभग चार दशकों तक संपादक-अनुवादक के पद पर रहते हुए उन्होंने सौ से अधिक क्लासिकी रूसी पुस्तकों, जिनमें पुश्किन, मयाकोस्की, तोल्स्तोय, गोर्की, चेखव, तुर्गनेव आदि कालजयी साहित्य शामिल हैं, का हिंदी अनुवाद भारतीय पाठकों को सुलभ कराया। | {{सूचना बक्सा साहित्यकार | ||
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|कर्म-क्षेत्र=लेखक, अनुवादक, कवि | |||
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'''मदन लाल मधु''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Madan Lal Madhu'', जन्म:[[22 मई]], [[1925]] - मृत्यु: [[7 जुलाई]], [[2014]]) [[हिंदी]] और रूसी साहित्य के आधुनिक सेतु निर्माताओं में से एक रहे हैं। मास्को के प्रमुख प्रकाशन-गृह प्रगति एवं रादुगा प्रकाशन में लगभग चार दशकों तक संपादक-अनुवादक के पद पर रहते हुए उन्होंने सौ से अधिक क्लासिकी रूसी पुस्तकों, जिनमें पुश्किन, मयाकोस्की, तोल्स्तोय, गोर्की, चेखव, तुर्गनेव आदि कालजयी साहित्य शामिल हैं, का हिंदी [[अनुवाद]] भारतीय पाठकों को सुलभ कराया। | |||
==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
प्रो. मदन लाल मधु का जन्म 22 मई, 1925 में हुआ। प्रचुर मात्रा में रूसी लोक साहित्य, बाल साहित्य के लेखन-संकलन के साथ-साथ प्रो. मधु ने हिंदी-रूसी-शब्दकोश का निर्माण कर हिंदी छात्रों के लिए रूसी-सीखने का मार्ग प्रशस्त किया। हिंदी के रूसी अध्यापकों की अनेक प्रकार से सहायता करते हुए उन्होंने रूसी पत्रिका के हिंदी संस्करण का लंबे अरसे तक संपादन किया। इसके अलावा प्रो. मधु मास्को रेडियो से भी जुड़े रहे। | प्रो. मदन लाल मधु का जन्म 22 मई, 1925 में हुआ। प्रचुर मात्रा में रूसी लोक साहित्य, बाल साहित्य के लेखन-संकलन के साथ-साथ प्रो. मधु ने हिंदी-रूसी-शब्दकोश का निर्माण कर हिंदी छात्रों के लिए रूसी-सीखने का मार्ग प्रशस्त किया। हिंदी के रूसी अध्यापकों की अनेक प्रकार से सहायता करते हुए उन्होंने रूसी पत्रिका के हिंदी संस्करण का लंबे अरसे तक संपादन किया। इसके अलावा प्रो. मधु मास्को रेडियो से भी जुड़े रहे। | ||
==सम्मान एवं पुरस्कार== | ==सम्मान एवं पुरस्कार== | ||
प्रो. मधु रूसी-हिंदी के मजबूत संवाद सेतु थे। | प्रो. मधु रूसी-हिंदी के मजबूत संवाद सेतु थे। मौलिक एवं अनूदित लेखन के क्षेत्र में इनका महत्व किसी प्रकार भी भुलाया नहीं जा सकेगा। इन दो भाषाओं में इनके विशिष्ट रचनात्मक योगदान और अनुवाद कार्य के लिए इन्हें पुश्किन स्वर्ण पदक, मैत्री पदक, स्वर्णाक्षर पुरस्कार और [[भारत के राष्ट्रपति]] द्वारा [[पद्मश्री]] से विभूषित किया गया है। अविस्मरणीय रचनाकार प्रो. मदनलाल मधु को [[केंद्रीय हिंदी संस्थान]] द्वारा [[पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार|पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार]] से सम्मानित किया गया है। | ||
10:10, 24 नवम्बर 2016 का अवतरण
मदन लाल मधु
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पूरा नाम | मदन लाल मधु |
जन्म | 22 मई, 1925 |
जन्म भूमि | पंजाब, भारत |
मृत्यु | 7 जुलाई, 2014 |
मृत्यु स्थान | मॉस्को, रूस |
कर्म-क्षेत्र | लेखक, अनुवादक, कवि |
भाषा | हिन्दी, रूसी |
पुरस्कार-उपाधि | पद्मश्री, पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार |
नागरिकता | भारतीय |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
मदन लाल मधु (अंग्रेज़ी:Madan Lal Madhu, जन्म:22 मई, 1925 - मृत्यु: 7 जुलाई, 2014) हिंदी और रूसी साहित्य के आधुनिक सेतु निर्माताओं में से एक रहे हैं। मास्को के प्रमुख प्रकाशन-गृह प्रगति एवं रादुगा प्रकाशन में लगभग चार दशकों तक संपादक-अनुवादक के पद पर रहते हुए उन्होंने सौ से अधिक क्लासिकी रूसी पुस्तकों, जिनमें पुश्किन, मयाकोस्की, तोल्स्तोय, गोर्की, चेखव, तुर्गनेव आदि कालजयी साहित्य शामिल हैं, का हिंदी अनुवाद भारतीय पाठकों को सुलभ कराया।
जीवन परिचय
प्रो. मदन लाल मधु का जन्म 22 मई, 1925 में हुआ। प्रचुर मात्रा में रूसी लोक साहित्य, बाल साहित्य के लेखन-संकलन के साथ-साथ प्रो. मधु ने हिंदी-रूसी-शब्दकोश का निर्माण कर हिंदी छात्रों के लिए रूसी-सीखने का मार्ग प्रशस्त किया। हिंदी के रूसी अध्यापकों की अनेक प्रकार से सहायता करते हुए उन्होंने रूसी पत्रिका के हिंदी संस्करण का लंबे अरसे तक संपादन किया। इसके अलावा प्रो. मधु मास्को रेडियो से भी जुड़े रहे।
सम्मान एवं पुरस्कार
प्रो. मधु रूसी-हिंदी के मजबूत संवाद सेतु थे। मौलिक एवं अनूदित लेखन के क्षेत्र में इनका महत्व किसी प्रकार भी भुलाया नहीं जा सकेगा। इन दो भाषाओं में इनके विशिष्ट रचनात्मक योगदान और अनुवाद कार्य के लिए इन्हें पुश्किन स्वर्ण पदक, मैत्री पदक, स्वर्णाक्षर पुरस्कार और भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री से विभूषित किया गया है। अविस्मरणीय रचनाकार प्रो. मदनलाल मधु को केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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