"प्रयोग:माधवी 2": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 46: पंक्ति 46:
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{स्वतन्त्रता सेनानी}}
 
[[Category:प्रसिद्ध_व्यक्तित्व]][[Category:राजनेता]][[Category:स्वतन्त्रता_सेनानी]][[Category:जीवनी_साहित्य]][[Category:राजनीति_कोश]][[Category:चरित कोश]]
[[Category:प्रसिद्ध_व्यक्तित्व]][[Category:राजनेता]][[Category:स्वतन्त्रता_सेनानी]][[Category:जीवनी_साहित्य]][[Category:राजनीति_कोश]][[Category:चरित कोश]]
[[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]]
[[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

11:15, 18 दिसम्बर 2016 का अवतरण

माधवी 2
पूरा नाम सारंगधर दास
जन्म 19 अक्टूबर, 1887
जन्म भूमि ज़िला ढेंकनाल रियासत ब्रिटिश भारत
मृत्यु 18 सितंबर, 1957
नागरिकता भारतीय
धर्म हिन्दू
आंदोलन भारत छोड़ों आंदोलन
शिक्षा बी.ए.
अन्य जानकारी 1948 में वे समाजवादी पार्टी में सम्मिलित हो गए और लोकसभा के लिए चुन कर वहाँ अपने पार्टी के नेता रहे थे।
अद्यतन‎ 04:31, 18 दिसम्बर-2016 (IST)

सारंगधर दास (अंग्रेज़ी: Sarangadhar Das, जन्म- 19 अक्टूबर, 1887, ज़िला ढेंकनाल रियासत ब्रिटिश भारत; मृत्यु- 18 सितंबर, 1957) एक स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्होंने चीनी उड़ीसा में उद्योग स्थापित किया था। सारंगधर दास ने 'भारत छोड़ो आन्दोलन' में वे गिरफ्तार हुए थे और 1946 तक जेल में बंद रहे। उड़ीसा असेम्बली के सदस्य चुने गए थे। 1948 में वे समाजवादी पार्टी में सम्मिलित हो गए और लोकसभा के सदस्य रहे थे।। उन्होंने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के संघ की अध्यक्षता भी की।

जन्म एवं शिक्षा

सारंगधर दास का उड़ीसा की देशी रियासत धेनकनाल में 19 अक्टूबर, 1887 को जन्म हुआ था। इनका जीवन शिक्षा, उद्योग और राजनीति तीनों क्षेत्रों में बड़ा संघर्ष पूर्ण थहै। कटक से बी.ए. पास करन के के बाद आगे के अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति लेकर वे जापान गए। वे वर्ष भर टोकियो के टेकनिकल इंस्टीट्यूट में रह कर अमरीका पहुँचे और कैलिफॉर्निया यूनिवर्सिटी से रसायन और कृषि में उच्च डिग्री प्राप्त की। कुछ वर्षों तक अमेरिका और बर्मा की चीनी मिलों में काम करने के बाद वे भारत वापस आ गए।

चीनी मिल की स्थापना

भारत आकर सारंगधर दास ने अपने गाँव हरिकृष्णपुर के निकट एक चीनी मिल की स्थापना की थी। उस आदिवासी क्षेत्र की उन्नति के लिए यह वरदान सिद्ध हुई। इससे आदिवासियों की आर्थिक हालत सुधरी और उसके बीच सारंगधर दास का प्रभाव भी बढ़ा था। उनके बढ़ते प्रभाव से रियासत धेनकलाल का शासक संकित हो उठा था।

ब्रिटिश अत्याचारों के खिलाफ आवाज

1928 में जब सारंगधर दास इलाज के लिए कोलकाता गए थे, रियासर के शासक ने झूठे अभियोग लगाकर उनकी चीनी मिल के गन्ने के खेतों को जब्त करके नीलाम करा दिया। लौटने पर इस अन्याय की शिकायत जन उन्होंने रियासत के ब्रिटिश पोलिटिकल एजेंट और बिहार-उड़ीसा के गवर्नर से की तो वहाँ भी कोई सुनबाई नहीं हुई थी। इस पर सारंगधर दास ने जनता को संगठित करके रियासत के अत्याचारों का सामना करने का निश्चय किया। उन्होंने 'उड़ीसा राज्य प्रजामंडक' बनाया जिस का पहला सम्मेलन 1931 ई. में पट्टाभि सीतारामय्या की अध्यक्षता में हुआ। इसके बाद प्रांत की अन्य रियासतों पर भी इसका प्रभाव पड़ा और लोग अपने अधिकारों के लिए संगठित होने लगे। कई जगह खुला संघर्ष हुआ और लोगों को पुलिस की गोलियाँ झेलनी पड़ीं। इस प्रकार सारंगधर दास जिन्होंने उड़ीसा में उद्योग स्थापित करने का काम आरंभ किया था, विदेशी सरकार और उसके समर्थक देशी रजवाड़ों के विरुद्ध स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित हो गए। 'भारत छोड़ो आन्दोलन' में वे गिरफ्तार हुए और 1946 तक जेल में बंद रहे। जेल से छूटने पर उड़ीसा असेम्बली के सदस्य चुने गए। 1948 में वे समाजवादी पार्टी में सम्मिलित हो गए और लोकसभा के लिए चुन कर वहाँ अपने पार्टी के नेता रहे थे। उन्होंने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के संघ की अध्यक्षता भी की थी।

निधन

18 सितंबर, 1957 को सारंगधर दास का देहांत हो गया।

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख