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-[[मोहन राकेश]]
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-[[हबीब तनवीर]]
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||[[चित्र:Bhikhari-Thakur.jpg|100px|right|भिखारी ठाकुर]]'भिखारी ठाकुर' [[भोजपुरी भाषा|भोजपुरी]] के समर्थ लोक कलाकार, रंगकर्मी लोक जागरण के सन्देश वाहक, नारी विमर्श एवं दलित विमर्श के उद्घोषक, लोक गीत तथा भजन कीर्तन के अनन्य साधक थे। [[भिखारी ठाकुर]] बहुआयामी प्रतिभा के व्यक्ति थे। वे एक ही साथ [[कवि]], गीतकार, नाटककार, नाट्य निर्देशक, लोक संगीतकार और अभिनेता थे। भिखारी ठाकुर की मातृभाषा भोजपुरी थी और उन्होंने भोजपुरी को ही अपने काव्य और [[नाटक]] की [[भाषा]] बनाया। [[राहुल सांकृत्यायन]] ने उनको "अनगढ़ हीरा" कहा था तो जगदीशचंद्र माथुर ने "भरत मुनि की परंपरा का कलाकार"। अपने प्रसिद्ध नाटक 'बिदेसिया' में भिखारी ठाकुर ने स्त्री जीवन के ऐसे प्रसंगों को अभिव्यक्ति के लिए चुना, जिन प्रसंगों से उपजने वाली पीड़ा आज भी हमारे समाज में जीवित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भिखारी ठाकुर]], [[राहुल सांकृत्यायन]]
||[[चित्र:Bhikhari-Thakur.jpg|100px|right|border|भिखारी ठाकुर]]'भिखारी ठाकुर' [[भोजपुरी भाषा|भोजपुरी]] के समर्थ लोक कलाकार, रंगकर्मी लोक जागरण के सन्देश वाहक, नारी विमर्श एवं दलित विमर्श के उद्घोषक, लोक गीत तथा भजन कीर्तन के अनन्य साधक थे। [[भिखारी ठाकुर]] बहुआयामी प्रतिभा के व्यक्ति थे। वे एक ही साथ [[कवि]], गीतकार, नाटककार, नाट्य निर्देशक, लोक संगीतकार और अभिनेता थे। भिखारी ठाकुर की मातृभाषा भोजपुरी थी और उन्होंने भोजपुरी को ही अपने काव्य और [[नाटक]] की [[भाषा]] बनाया। [[राहुल सांकृत्यायन]] ने उनको "अनगढ़ हीरा" कहा था तो जगदीशचंद्र माथुर ने "भरत मुनि की परंपरा का कलाकार"। अपने प्रसिद्ध नाटक 'बिदेसिया' में भिखारी ठाकुर ने स्त्री जीवन के ऐसे प्रसंगों को अभिव्यक्ति के लिए चुना, जिन प्रसंगों से उपजने वाली पीड़ा आज भी हमारे समाज में जीवित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भिखारी ठाकुर]], [[राहुल सांकृत्यायन]]
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