"प्रयोग:रिंकू8": अवतरणों में अंतर
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{बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट किस फ़सल की बीमारी है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-39,प्रश्न-10 | {बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट किस फ़सल की बीमारी है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-39,प्रश्न-10 | ||
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-मक्का | -[[मक्का]] | ||
-बाजरा | -[[बाजरा]] | ||
+धान | +[[धान]] | ||
-आलू | -[[आलू]] | ||
||धान की फ़सल में बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट रोग लगता है। इस रोग में पौधों की पत्तियाँ नोंक या किनारे से एकदम सूखने लगती हैं। सूखे हुए किनारे टेढ़े-मेढ़े होते हैं। | ||[[धान]] की फ़सल में बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट रोग लगता है। इस रोग में पौधों की पत्तियाँ नोंक या किनारे से एकदम सूखने लगती हैं। सूखे हुए किनारे टेढ़े-मेढ़े होते हैं। | ||
{मृदा के काया पलट में सहायक होते हैं?(कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-45,प्रश्न-01 | {[[मृदा]] के काया पलट में सहायक होते हैं?(कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-45,प्रश्न-01 | ||
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-हाथी | -[[हाथी]] | ||
-गाय | -[[गाय]] | ||
+केंचुए | +[[केंचुआ|केंचुए]] | ||
-बिल्ली | -बिल्ली | ||
||केंचुए को किसानों का सच्चा मित्र कहा गया है। केंचुआ | ||[[केंचुआ|केंचुए]] को किसानों का सच्चा मित्र कहा गया है। केंचुआ [[मृदा]] में कार्बनिक पदार्थों को मिलाकर मृदा संरचना में सुधार करता है। यह मृदा में बीट करके मृदा को सरंद्रा बनाता है। अत: केंचुए मृदा के काया पलट में सहायक होते हैं। | ||
{हरी खाद के लिए प्रयुक्त फ़सल है?(कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-45,प्रश्न-03 | {हरी खाद के लिए प्रयुक्त फ़सल कौन-सी है?(कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-45,प्रश्न-03 | ||
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-एक-दलीय | -एक-दलीय | ||
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-तिलहनी | -तिलहनी | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||दलहनी एवं अदलहनी दोनों ही प्रकार की फ़सलों का हरी खाद के लिए प्रयोग किया जाता है। लेकिन अधिकतर दलहनी फ़सलों का ही हरी खाद के लिए प्रयोग किया जा रहा है, क्योंकि जैव पदार्थ उपलब्ध कराने के अलावा हरी खाद के उद्देश्य से उगाई जाने वाली दलहनी फ़सलें वायुमंडलीय नाइट्रोजन को अपनी जड़ों में स्थित ग्रंथियों में पाए जाने वाले जीवाणुओं की मदद से भूमि में यौगीकरण की क्षमता रखती है। | ||दलहनी एवं अदलहनी दोनों ही प्रकार की फ़सलों का हरी खाद के लिए प्रयोग किया जाता है। लेकिन अधिकतर दलहनी फ़सलों का ही हरी खाद के लिए प्रयोग किया जा रहा है, क्योंकि जैव पदार्थ उपलब्ध कराने के अलावा हरी खाद के उद्देश्य से उगाई जाने वाली दलहनी फ़सलें वायुमंडलीय [[नाइट्रोजन]] को अपनी जड़ों में स्थित ग्रंथियों में पाए जाने वाले जीवाणुओं की मदद से भूमि में यौगीकरण की क्षमता रखती है। | ||
{कम्पोस्ट कहते | {कम्पोस्ट किसे कहते हैं?(कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-46,प्रश्न-04 | ||
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+कार्बनिक पदार्थ को | +कार्बनिक पदार्थ को | ||
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-कृत्रिम या संश्लेषित गोबर की खाद को | -कृत्रिम या संश्लेषित गोबर की खाद को | ||
-मिश्रित उर्वरकों को | -मिश्रित उर्वरकों को | ||
||पौधों के अवशेष, पशुओं का बचा हुआ चारा, कूड़ा-करकट आदि पदार्थों के बैक्टीरिया एवं | ||पौधों के अवशेष, पशुओं का बचा हुआ चारा, कूड़ा-करकट आदि पदार्थों के बैक्टीरिया एवं फंजाई के द्वारा विशिष्ट दशाओं में विच्छेदन से बने पदार्थों को 'कम्पोस्ट' कहते हैं। | ||
{गेहूँ में यदि एक ही सिंचाई दी जाए तो कब देंगे? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-46,प्रश्न-05 | {गेहूँ में यदि एक ही सिंचाई दी जाए तो कब देंगे? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-46,प्रश्न-05 | ||
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-कल्लों को अधिकतम सीमा पर | -कल्लों को अधिकतम सीमा पर | ||
-पौधों की लम्बाई बढ़ने पर | -पौधों की लम्बाई बढ़ने पर | ||
-कभी दे सकते हैं | -कभी भी दे सकते हैं | ||
||गेहूँ में सीमित सिंचाई उपलब्धता में यदि मात्र एक ही सिंचाई उपलब्ध हो तो इसे | ||गेहूँ में सीमित सिंचाई उपलब्धता में यदि मात्र एक ही सिंचाई उपलब्ध हो तो इसे शिखर जड़ निकलने की अवस्था के मध्य डालनी चाहिए। | ||
{'नाबार्ड' (NABARD) की स्थापना का वर्ष है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-46,प्रश्न-06 | {'नाबार्ड' (NABARD) की स्थापना का वर्ष है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-46,प्रश्न-06 | ||
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-1980 | -[[1980]] | ||
+1982 | +[[1982]] | ||
-1984 | -[[1984]] | ||
-1985 | -[[1985]] | ||
||12 जुलाई, | ||[[12 जुलाई]], सन [[1982]] ई. को नबार्ड- "राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक" की स्थापन की गई थी। | ||
{मृदा में सबसे अधिक मात्रा में कौन-सा तत्त्व पाया जाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-46,प्रश्न-07 | {मृदा में सबसे अधिक मात्रा में कौन-सा तत्त्व पाया जाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-46,प्रश्न-07 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-आयरन | -[[आयरन]] | ||
-कैल्सियम | -[[कैल्सियम]] | ||
-सिलिकॉन | -[[सिलिकॉन]] | ||
+ऑक्सीजन | +[[ऑक्सीजन]] | ||
||मृदा में सबसे अधिक मात्रा में ऑक्सीजन तत्त्व होता है- | ||मृदा में सबसे अधिक मात्रा में ऑक्सीजन तत्त्व होता है- *1. [[ऑक्सीजन]] - 47.33%, 2. [[कैल्सियम]] - 3.37%, 3. [[सिलिकॉन]] - 27.74%, 4. [[आयरन]] - 4.50% | ||
ऑक्सीजन | |||
कैल्सियम | |||
सिलिकॉन | |||
आयरन | |||
{दूध का pH मान होता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-46,प्रश्न-08 | {[[दूध]] का pH मान होता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-46,प्रश्न-08 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-5.5 | -5.5 | ||
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-7.0 | -7.0 | ||
-7.3 | -7.3 | ||
||ताजे दूध का pH मान 6.5 एवं 6.7 के मध्य होता है। | ||ताजे [[दूध]] का pH मान 6.5 एवं 6.7 के मध्य होता है। | ||
{ओजोन परत पर प्रभाव डालते हैं? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-46,प्रश्न-09 | {[[ओजोन परत]] पर प्रभाव डालते हैं? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-46,प्रश्न-09 | ||
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-जेट वायुयान | -जेट वायुयान | ||
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-विश्वविद्यालयों में अम्बेडकर चेयर्स | -विश्वविद्यालयों में अम्बेडकर चेयर्स | ||
+उपर्युक्त सभी | +उपर्युक्त सभी | ||
||'अम्बेडकर फाउंडेशन' द्बारा शुरू की गई तीन योजनाऐं निम्न प्रकार | ||'अम्बेडकर फाउंडेशन' द्बारा शुरू की गई तीन योजनाऐं निम्न प्रकार हैं। | ||
{फ़सल-चक्र के लिए प्रभावी कारक है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-46,प्रश्न-11 | {फ़सल-चक्र के लिए प्रभावी कारक है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-46,प्रश्न-11 | ||
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-मृदा | -[[मृदा]] | ||
-जलवायु | -[[जलवायु]] | ||
-सिंचाई का प्रबंध | -सिंचाई का प्रबंध | ||
+ये सभी | +ये सभी | ||
||फ़सल-चक्र के लिए प्रभावी कारक है- (1) जलवायु, (2) मृदा | ||फ़सल-चक्र के लिए प्रभावी कारक है- (1) [[जलवायु]], (2) [[मृदा]] (3) प्रबंध, (4) आर्थिक पक्ष। | ||
{यदि मरकरी (Hg) का स्तर अचानक गिर जाता है, तो (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-52,प्रश्न-1 | {यदि [[पारा|मरकरी]] (Hg) का स्तर अचानक गिर जाता है, तो (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-52,प्रश्न-1 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-अधिकतम गर्मी होती | -अधिकतम गर्मी होती है। | ||
+ | +[[तूफ़ान|तूफ़ानी]] दशा होती है। | ||
-भारी वर्ष होती | -भारी वर्ष होती है। | ||
-स्वच्छ मौसम होता | -स्वच्छ मौसम होता है। | ||
||मरकरी (Hg) का स्तर | ||[[पारा|मरकरी]] (Hg) का स्तर [[तूफ़ान]] स्थिति में अचानक कम हो जाता है, क्योंकि तेज़ हवा के कारण उस पर दबाव पड़ता है। | ||
{ | {ज़ायद [[मक्का]] के लिए संस्तुत उर्वरक (एन.पी.के.) की मात्रा होती है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-52,प्रश्न-2 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-100:50:50 एन.पी.के./हेक्टेयर | -100:50:50 एन.पी.के./हेक्टेयर | ||
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+120:60:60 एन.पी.के./हेक्टेयर | +120:60:60 एन.पी.के./हेक्टेयर | ||
-40:20:20 एन.पी.के/हेक्टेयर | -40:20:20 एन.पी.के/हेक्टेयर | ||
||मक्का को 'अनाजों की रानी' भी कहते हैं। | ||[[मक्का]] को 'अनाजों की रानी' भी कहते हैं। ज़ायद मक्का के लिए एन.पी.के. की मात्रा 120:60:60 हेक्टेयर होती है। | ||
{समोच्च के साथ आवंटित सिड़ी में पानी देने को कहते है (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-52,प्रश्न-3 | {समोच्च के साथ आवंटित सिड़ी में पानी देने को क्या कहते है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-52,प्रश्न-3 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+सिड़ीदार सिंचाई | +सिड़ीदार सिंचाई | ||
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-नियंत्रित सिंचाई | -नियंत्रित सिंचाई | ||
-बेसिन सिंचाई | -बेसिन सिंचाई | ||
||समोच्च के साथ आवंटित सिड़ी में पानी देने को सिड़ीदार सिंचाई कहते | ||समोच्च के साथ आवंटित सिड़ी में पानी देने को सिड़ीदार सिंचाई कहते हैं। | ||
{बुवाई के बाद आलू की उपयुक्त सिंचाई को आवश्यकता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-52,प्रश्न-4 | {बुवाई के बाद [[आलू]] की उपयुक्त सिंचाई को आवश्यकता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-52,प्रश्न-4 | ||
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-25 | -25 से.मी. | ||
- | -45 से.मी. | ||
-50 | -50 से.मी. | ||
+10 | +10 से.मी. | ||
{फ़सल की उपज में प्रति यूनिट पानी, जो फ़सल के वाष्पन-वाष्पोत्सर्जन में इस्तेमाल होता है, जाना जाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-52,प्रश्न-5 | {फ़सल की उपज में प्रति यूनिट पानी, जो फ़सल के वाष्पन-वाष्पोत्सर्जन में इस्तेमाल होता है, किस रूप में जाना जाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-52,प्रश्न-5 | ||
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-जल वितरण क्षमता | -जल वितरण क्षमता | ||
+जल उपभोग क्षमता | +जल उपभोग क्षमता | ||
-जल प्रयोग क्षमता | -जल प्रयोग क्षमता | ||
-कॉनवेंस क्षमता | -कॉनवेंस क्षमता | ||
||फ़सल की उपज में प्रति यूनिट पानी जो फ़सल के वाष्पन-वाष्पोत्सर्जन में इस्तेमल होता है उसे जल उपभोग क्षमता के रूप में जाना जाता है। | ||फ़सल की उपज में प्रति यूनिट पानी जो फ़सल के वाष्पन-वाष्पोत्सर्जन में इस्तेमल होता है उसे जल उपभोग क्षमता के रूप में जाना जाता है। | ||
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||फ़सल का सम्पूर्ण शुष्क उत्पादित पदार्थ बायोलॉजिकल उपज कहलाता है। | ||फ़सल का सम्पूर्ण शुष्क उत्पादित पदार्थ बायोलॉजिकल उपज कहलाता है। | ||
{उत्तर प्रदेश में कुल समस्याग्रस्त भूमि है (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-53,प्रश्न-7 | {[[उत्तर प्रदेश]] में कुल समस्याग्रस्त भूमि है (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-53,प्रश्न-7 | ||
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-10.57 मी हे. | -10.57 मी हे. | ||
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-23.00 मी हे. | -23.00 मी हे. | ||
-15.47 मी हे. | -15.47 मी हे. | ||
||उत्तर प्रदेश में कुल 26.045 हेक्टेयर भूमि खेती करने योग्य है जिसमें से 16.731 | ||[[उत्तर प्रदेश]] में कुल 26.045 हेक्टेयर भूमि खेती करने योग्य है जिसमें से 16.731 हज़ार हेक्टेयर भूमि में खेती की जाती है। प्रदेश की कुल 11,605 हज़ार हेक्टेयर भूमि क्षारीयता से ग्रसित है, 793 हज़ार हेक्टेयर [[ऊसर मिट्टी|भूमि ऊसर]] है, 623 हज़ार हेक्टेयर भूमि [[बीहड़|बीहड़ भूमि]] है। 1,723 हज़ार हेक्टेयर भूमि परती है। | ||
{समोच्च मेड़बंदी एवं सिड़ीदार साधन है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-53,प्रश्न-8 | {समोच्च मेड़बंदी एवं सिड़ीदार साधन है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-53,प्रश्न-8 | ||
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-सस्य साधन | -सस्य साधन | ||
+ | +यांत्रिक साधन | ||
-जैविक साधन | -जैविक साधन | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||समोच्च मेड़बंदी और सिड़ीदार भूमि संरक्षण का यांत्रिक साधन है। | ||समोच्च मेड़बंदी और सिड़ीदार भूमि संरक्षण का यांत्रिक साधन है। | ||
{थिरम का प्रयोग किया | {थिरम का प्रयोग किसलिए किया जाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-53,प्रश्न-9 | ||
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+बीज शोधन | +बीज शोधन | ||
-बुआई के समय कूँड़ में | -बुआई के समय कूँड़ में | ||
-मिश्रित खेती प्रणाली में | -मिश्रित खेती प्रणाली में | ||
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||थिरम एक कवकनाशी रसायन है, जिसका प्रयोग बीज शोधन में किया जाता है। | ||थिरम एक कवकनाशी रसायन है, जिसका प्रयोग बीज शोधन में किया जाता है। | ||
{एल.ई.आर. की आवश्यकता होती है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-53,प्रश्न-10 | {एल. ई. आर. की आवश्यकता होती है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-53,प्रश्न-10 | ||
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+अंतरासस्यन प्रणाली में | +अंतरासस्यन प्रणाली में | ||
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-मिश्रित खेती प्रणाली में | -मिश्रित खेती प्रणाली में | ||
-एकल फ़सल प्रणाली में | -एकल फ़सल प्रणाली में | ||
||एल.ई.आर. (भूमि समतुल्य अनुपात) एक समान प्रबंध में अंतरासस्यन से प्राप्त उपज के बराबर एकल फ़सल के उत्पादन के लिये कितनी सापेक्षित भूमि क्षेत्र की आवश्यकता है, एल.ई.आर. कहलाता है, अर्थात अंतरासस्यन के उपज के बराबर शुद्ध फ़सल के द्वारा उत्पादन करने के लिए भूमि की आवश्यकता का अनुपात ही एल.ई.आर. है। एल.ई.आर. विभिन्न अन्तरासस्यन के उत्पादन दक्षता मापने की इकाई है जो उत्पादन को भू-क्षेत्रफल के रूप में बदलकर मापता है। | ||एल. ई. आर. (भूमि समतुल्य अनुपात) एक समान प्रबंध में अंतरासस्यन से प्राप्त उपज के बराबर एकल फ़सल के उत्पादन के लिये कितनी सापेक्षित भूमि क्षेत्र की आवश्यकता है, एल. ई. आर. कहलाता है, अर्थात अंतरासस्यन के उपज के बराबर शुद्ध फ़सल के द्वारा उत्पादन करने के लिए भूमि की आवश्यकता का अनुपात ही एल. ई. आर. है। एल. ई. आर. विभिन्न अन्तरासस्यन के उत्पादन दक्षता मापने की इकाई है जो उत्पादन को भू-क्षेत्रफल के रूप में बदलकर मापता है। | ||
13:03, 20 जनवरी 2017 का अवतरण
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