"राव जैतसी": अवतरणों में अंतर
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'''राव जैतसी''' (1526-1542 ई.) [[बीकानेर]], [[राजस्थान]] के राठौड़ शासक [[राव लुणकरण]] का पुत्र था। अपने पिता की मृत्यु के बाद राव जैतसी ने बीकानेर राज्य की बागडोर सॅभाली। | '''राव जैतसी''' (1526-1542 ई.) [[बीकानेर]], [[राजस्थान]] के राठौड़ शासक [[राव लुणकरण]] का पुत्र था। अपने पिता की मृत्यु के बाद राव जैतसी ने बीकानेर राज्य की बागडोर सॅभाली। वह बीकानेर का चौथा शासक था। | ||
*इसके समय में [[मुग़ल]] बादशाह [[बाबर]] के पुत्र व [[लाहौर]] के शासक [[शहज़ादा कामरान|कामरान]] ने सुदृढ़ क़िले [[भटनेर]] को सन 1534 ई. के आसपास आक्रमण कर अपने अधिकार में कर लिया। इसके बाद कामरान ने बीकानेर पर आक्रमण किया तथा एक बार तो उस पर कब्जा भी कर लिया, पंरतु राव जैतसी ने [[26 अक्टूबर]], 1534 ई. को एक मजबुत सेना एकत्रित कर कामरान पर आक्रमण कर दिया। अप्रत्याशीत आक्रमण से मुग़ल सेना [[बीकानेर]] छोड़कर भाग खड़ी हुई और राव जैतसी की विजय हुई।<ref>{{cite web |url=http://connectrajasthan.com/history-of-bikaner/ |title= बीकानेर का इतिहास|accessmonthday=04 फ़रवरी|accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=connectrajasthan.com |language= हिन्दी}}</ref> | *इसके समय में [[मुग़ल]] बादशाह [[बाबर]] के पुत्र व [[लाहौर]] के शासक [[शहज़ादा कामरान|कामरान]] ने सुदृढ़ क़िले [[भटनेर]] को सन 1534 ई. के आसपास आक्रमण कर अपने अधिकार में कर लिया। इसके बाद कामरान ने बीकानेर पर आक्रमण किया तथा एक बार तो उस पर कब्जा भी कर लिया, पंरतु राव जैतसी ने [[26 अक्टूबर]], 1534 ई. को एक मजबुत सेना एकत्रित कर कामरान पर आक्रमण कर दिया। अप्रत्याशीत आक्रमण से मुग़ल सेना [[बीकानेर]] छोड़कर भाग खड़ी हुई और राव जैतसी की विजय हुई।<ref>{{cite web |url=http://connectrajasthan.com/history-of-bikaner/ |title= बीकानेर का इतिहास|accessmonthday=04 फ़रवरी|accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=connectrajasthan.com |language= हिन्दी}}</ref> | ||
*इस युद्ध का विस्तृत वर्णन वीठू सूजा कृत '[[राव जैतसी रो छंद]]' नामक ग्रंथ में मिलता है। | *इस युद्ध का विस्तृत वर्णन वीठू सूजा कृत '[[राव जैतसी रो छंद]]' नामक ग्रंथ में मिलता है। | ||
*सन 1541 ई. में [[जोधपुर]] के शासक [[राव मालदेव]] ने बीकानेर पर आक्रमण किया, जिसमें राव जैतसी की मृत्यु हो गई और बीकानेर पर राव मालदेव का कब्जा हो गया। | *सन 1541 ई. में [[जोधपुर]] के शासक [[राव मालदेव]] ने बीकानेर पर आक्रमण किया, जिसमें राव जैतसी की मृत्यु हो गई और बीकानेर पर राव मालदेव का कब्जा हो गया। | ||
*सन 1544 ई. में [[शेरशाह सूरी]] ने मालदेव को गिरिसुमेल के युद्ध में हरा दिया। इसमें राव जैतसी के पुत्र [[राव कल्याणमल|कल्याणमल]] ने शेरशाह की सहायता की थी। शेरशाह ने [[बीकानेर]] का राज्य राव कल्याणकल को दे दिया। | *सन 1544 ई. में [[शेरशाह सूरी]] ने मालदेव को गिरिसुमेल के युद्ध में हरा दिया। इसमें राव जैतसी के पुत्र [[राव कल्याणमल|कल्याणमल]] ने शेरशाह की सहायता की थी। शेरशाह ने [[बीकानेर]] का राज्य राव कल्याणकल को दे दिया। | ||
*[[राजस्थान]] का [[हनुमानगढ़]] किसने बसाया, इसका ठीक से पता नहीं चलता; किंतु पहले यह भाटियों के क़ब्ज़े में था तथा 1527 ई. में बीकानेर के चौथे शासक राव जैतसिंह ने यहाँ राठौड़ों का आधिपत्य स्थापित कर दिया था।<ref>[[हनुमानगढ़]]</ref> | |||
12:25, 4 फ़रवरी 2017 का अवतरण
राव जैतसी (1526-1542 ई.) बीकानेर, राजस्थान के राठौड़ शासक राव लुणकरण का पुत्र था। अपने पिता की मृत्यु के बाद राव जैतसी ने बीकानेर राज्य की बागडोर सॅभाली। वह बीकानेर का चौथा शासक था।
- इसके समय में मुग़ल बादशाह बाबर के पुत्र व लाहौर के शासक कामरान ने सुदृढ़ क़िले भटनेर को सन 1534 ई. के आसपास आक्रमण कर अपने अधिकार में कर लिया। इसके बाद कामरान ने बीकानेर पर आक्रमण किया तथा एक बार तो उस पर कब्जा भी कर लिया, पंरतु राव जैतसी ने 26 अक्टूबर, 1534 ई. को एक मजबुत सेना एकत्रित कर कामरान पर आक्रमण कर दिया। अप्रत्याशीत आक्रमण से मुग़ल सेना बीकानेर छोड़कर भाग खड़ी हुई और राव जैतसी की विजय हुई।[1]
- इस युद्ध का विस्तृत वर्णन वीठू सूजा कृत 'राव जैतसी रो छंद' नामक ग्रंथ में मिलता है।
- सन 1541 ई. में जोधपुर के शासक राव मालदेव ने बीकानेर पर आक्रमण किया, जिसमें राव जैतसी की मृत्यु हो गई और बीकानेर पर राव मालदेव का कब्जा हो गया।
- सन 1544 ई. में शेरशाह सूरी ने मालदेव को गिरिसुमेल के युद्ध में हरा दिया। इसमें राव जैतसी के पुत्र कल्याणमल ने शेरशाह की सहायता की थी। शेरशाह ने बीकानेर का राज्य राव कल्याणकल को दे दिया।
- राजस्थान का हनुमानगढ़ किसने बसाया, इसका ठीक से पता नहीं चलता; किंतु पहले यह भाटियों के क़ब्ज़े में था तथा 1527 ई. में बीकानेर के चौथे शासक राव जैतसिंह ने यहाँ राठौड़ों का आधिपत्य स्थापित कर दिया था।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ बीकानेर का इतिहास (हिन्दी) connectrajasthan.com। अभिगमन तिथि: 04 फ़रवरी, 2017।
- ↑ हनुमानगढ़