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'''सचिन्द्रनाथ सान्याल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Scindranath Sanyal'', जन्म: [[1895]] – मृत्यु: [[1945]], [[बनारस]]) [[उत्तर प्रदेश]] के प्रमुख क्रान्तिकारियों में से एक क्रान्तिकारी थे। उनके पिता हरिनाथ सान्याल एक रूढिवादी ब्राह्मण और पक्के राष्ट्रवादी थे।
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*सचिन्द्रनाथ ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा [[बनारस]] से ग्रहण की।  
*सचिन्द्रनाथ ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा [[बनारस]] से ग्रहण की।  
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*सन् [[1936]] में कांग्रेस मंत्रालय द्वारा उन्हें रिहा कर दिया गया। उन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पुनः हवालात में रखा गया।  
*सन् [[1936]] में कांग्रेस मंत्रालय द्वारा उन्हें रिहा कर दिया गया। उन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पुनः हवालात में रखा गया।  
*जेल में सचिन्द्रनाथ क्षय रोग से ग्रसित हो गये। जिस कारण सन् 1945 को उनकी मृत्यु हो गयी।  
*जेल में सचिन्द्रनाथ क्षय रोग से ग्रसित हो गये। जिस कारण सन् 1945 को उनकी मृत्यु हो गयी।  
सचिन्द्रनाथ की पुस्तक 'बन्दी जीवन' में भारतीय समाज के समाजिक और राजनैतिक पुनर्निर्माण के संबंध में उनके विचार दिये गये हैं।  
सचिन्द्रनाथ की पुस्तक 'बन्दी जीवन' में भारतीय समाज के समाजिक और राजनैतिक पुनर्निर्माण के संबंध में उनके विचार दिये गये हैं।<ref name="Kranti"/>





12:14, 14 फ़रवरी 2017 का अवतरण

सचिन्द्रनाथ सान्याल (अंग्रेज़ी: Scindranath Sanyal, जन्म: 1895 – मृत्यु: 1945, बनारस) उत्तर प्रदेश के प्रमुख क्रान्तिकारियों में से एक क्रान्तिकारी थे। उनके पिता हरिनाथ सान्याल एक रूढिवादी ब्राह्मण और पक्के राष्ट्रवादी थे।[1]

  • सचिन्द्रनाथ ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बनारस से ग्रहण की।
  • सन् 1908 में वे रास बिहारी बोस के सम्पर्क में आये और क्रांतिकारी आन्दोलन में जुड़ गये।
  • रास बिहारी बोस ने सन् 1915 में सशस्त्र आन्दोलन करने का प्रयास किया इसमें वे सफल न हो सके। सचिन्द्र नाथ को गिरफ्तार कर काले पानी की सजा देकर अण्डमान भेज दिया गया।
  • सन् 1919 में सान्याल को रिहा कर दिया गया उन्होंने मेनपुरी षडयन्त्र केस, बनारस षडयन्त्र केस, बंकुरा केस तथा काकोरी काण्ड जैसे अनेक क्रांतिकारी गतिविधियों में अहम भूमिका निभायी।
  • सचिन्द्रनाथ को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी।
  • सन् 1936 में कांग्रेस मंत्रालय द्वारा उन्हें रिहा कर दिया गया। उन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पुनः हवालात में रखा गया।
  • जेल में सचिन्द्रनाथ क्षय रोग से ग्रसित हो गये। जिस कारण सन् 1945 को उनकी मृत्यु हो गयी।

सचिन्द्रनाथ की पुस्तक 'बन्दी जीवन' में भारतीय समाज के समाजिक और राजनैतिक पुनर्निर्माण के संबंध में उनके विचार दिये गये हैं।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 उत्तरप्रदेश के क्रांतिकारी (हिन्दी) kranti1857। अभिगमन तिथि: 14फरवरी, 2017।

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