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'''जनेश्वर मिश्र''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Janeshwar Mishra'' जन्म- [[5 अगस्त]], [[1933]], शुभनथहीं, [[बलिया]]; मृत्यु- [[22 जनवरी]] [[2010]], [[इलाहाबाद]]) [[समाजवादी पार्टी]] के राजनेता थे। वे कई बार लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य रहे। उन्होंने [[मोरारजी देसाई]], [[चौधरी चरण सिंह]], [[विश्वनाथ प्रताप सिंह]], एच डी देवगौड़ा और [[इंद्रकुमार गुजराल]] के मंत्रिमण्डलों में काम किया। सात बार केन्द्रीय मंत्री रहने के बाद भी उनके पास न अपनी गाड़ी थी और न ही बंगला। उन्होंने गरीब और शोषित लोगों के लिए हमेशा संघर्ष किया और यही वजह है कि आज भी उन्हें उनके समाजवाद के लिए न सिर्फ याद किया जाता है बल्कि 'छोटे लोहिया' भी जाना जाता है। | |||
==परिचय== | ==परिचय== | ||
जनेश्वर मिश्र का जन्म [[5 अगस्त]], [[1933]] को [[बलिया]] ज़िले के शुभ नाथहि [[गांव]] में हुआ था। उनके पिता का नाम रंजीत मिश्र और माता का नाम बासमती था। लोकनायक [[जयप्रकाश नारायण]] और [[डॉ. राम मनोहर लोहिया]] का गहरा प्रभाव विद्यार्थी जीवन में जनेश्वर मिश्र पर पड़ा। जयप्रकाश नारायण के सर्वोदय आंदोलन में चले जाने के बाद जब लोहिया ने समाजवादी आंदोलन और संघर्ष की कमान संभाली तब से जनेश्वर मिश्र पूरी तरह से डॉ. लोहिया के ही साथ हो गए। | |||
==शिक्षा== | |||
जनेश्वर मिश्र ने [[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] से कला वर्ग में स्नातक किया। वहाँ उन्होंने हिन्दू हास्टल में रहकर पढ़ाई की और जल्द ही छात्र राजनीति से जुड़ गए। छात्रों के मुद्दे पर उन्होंने कई आंदोलन किए, जिसमें छात्रों ने उनका बढ़-चढ़ कर साथ दिया। | |||
== | ==राजनैतिक कैरियर== | ||
जनेश्वर मिश्र ने अपने राजनीतिक कॅरियर को दाओबा इंटर कॉलेज से शुरू किया। जनेश्वर मिश्र ने तमाम युवाओं को समाजवादी संघर्ष और विचार से जोड़ कर राजनीतिक सक्रियता प्रदान की। वहीं, [[डॉ. राम मनोहर लोहिया|डॉ. लोहिया]] के विचारों के लिए संघर्ष करने वाले लोकबंधु राज नारायण का भी जनेश्वर मिश्र पर काफी प्रभाव पड़ा। इसके बाद वह समाजवादी युवजन सभा में सम्मिलित हो गये और फिर वे राममनोहर लोहिया के संपर्क में आए। [[1989]] में वह पहली बार सांसद बने फिर [[1977]] में वह केंद्रीय पेट्रोलियम राज्यमंत्री बनाए गए। [[1989]] में वह संचार राज्यमंत्री रहे। [[1994]] में वह राज्यसभा सदस्य बने और [[1996]] में उन्हें जल संसाधन मंत्री बनाया गया। | |||
== | ===प्रथम चुनाव=== | ||
जनेश्वर मिश्र का राजनैतिक सफर [[1967]] में शुरू हुआ। जब वह जेल में थे तभी [[लोकसभा]] का चुनाव आ गया। छुन्नन गुरू व सालिगराम जायसवाल ने उन्हें फूलपुर से [[विजयलक्ष्मी पंडित]] के खिलाफ चुनाव लड़ाया। चुनाव सात दिन बाकी था तब उन्हें जेल से रिहा किया गया। इस चुनाव में जनेश्वर को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद विजयलक्ष्मी राजदूत बनीं। | |||
==सांसद== | |||
जनेश्वर मिश्र पहली बार [[1969]] में [[इलाहाबाद]] की फूलपुर से निर्वाचित होकर [[सांसद]] बने। उन्होंने तब [[इंदिरा गांधी]] के मंत्रिमंडल में पेट्रोलियम मंत्री केडी मालवीय को हराया था। वे पहले ऐसे गैर कांग्रेसी सांसद थे, जो फूलपुर लोकसभा सीट से चुने गए थे। वे चार बार लोकसभा के लिए चुने गए, जबकि राज्यसभा के लिए [[1996]], [[2000]] और [[2006]] में चुने गए। जनेश्वर मिश्र केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे। वे [[मोरारजी देसाई]], [[वी. पी. सिंह]] और [[चौधरी चरण सिंह]] की सरकार में बतौर मंत्री की भूमिका निभाई। जनेश्वर मिश्र जब तक रहे उन्हें समाजवादी पार्टी का 'थिंक टैंक' माना जाता था। वे कहते थे कि 'समाजवाद सिर्फ सियासी लफ़्ज़ नहीं है बल्कि यिह किसी भी समाज का संपूर्ण आधार है।' उनका मानना था कि उपभोक्तावादी संस्कृति युवा वर्ग को वैचारिक रूप से पतन की ओर ले जाती है। जनेश्वर मिश्र लोगों के लिए और समाज के शोषित लोगों के लिए संघर्ष करते हुए कई बार जेल गए। | |||
==छोटे लोहिया नामकरण== | |||
जनेश्वर मिश्र राम मनोहर लोहिया के निजी सचिव थे। ऐसे में उन पर समाजवाद के प्रणेता कहे जाने वाले लोहिया के विचारों का उन पर खासा प्रभाव पड़ा। जनेश्वर मिश्र ने राम मनोहर लोहिया के साथ बहुत दिनों तक काम किया। इस दौरान उन्होंने राम मनोहर लोहिया के विचारों और कार्यशैली को पूरी तरह से आत्मसात कर लिया था। इसके बाद जब लोहिया का देहांत हुआ तो [[इलाहाबाद]] में एक बड़ी सभा हुई। इसमें समाजवादी नेता छुन्नु ने कहा कि जनेश्वर मिश्र के अंदर राम मनोहर लोहिया के सारे गुण हैं और वे एक तरह से छोटे लोहिया हैं। इसके बाद उनका नाम 'छोटे लोहिया' पड़ गया और फिर लोग उन्हें इस नाम से ही पुकारने लगे। | |||
==निधन== | |||
समाजवाद के इस मुखर वक्ता का [[22 जनवरी]] [[2010]] को 76 साल की उम्र में उनकी कर्मस्थली [[इलाहाबाद]] में निधन हो गया। हालांकि, भले ही जनेश्वर मिश्र आज शरीर से न हो, लेकिन उनके किए काम से आज भी वे जिंदा हैं। | |||
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13:00, 28 फ़रवरी 2017 का अवतरण
जनेश्वर मिश्र (अंग्रेज़ी: Janeshwar Mishra जन्म- 5 अगस्त, 1933, शुभनथहीं, बलिया; मृत्यु- 22 जनवरी 2010, इलाहाबाद) समाजवादी पार्टी के राजनेता थे। वे कई बार लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य रहे। उन्होंने मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह, विश्वनाथ प्रताप सिंह, एच डी देवगौड़ा और इंद्रकुमार गुजराल के मंत्रिमण्डलों में काम किया। सात बार केन्द्रीय मंत्री रहने के बाद भी उनके पास न अपनी गाड़ी थी और न ही बंगला। उन्होंने गरीब और शोषित लोगों के लिए हमेशा संघर्ष किया और यही वजह है कि आज भी उन्हें उनके समाजवाद के लिए न सिर्फ याद किया जाता है बल्कि 'छोटे लोहिया' भी जाना जाता है।
परिचय
जनेश्वर मिश्र का जन्म 5 अगस्त, 1933 को बलिया ज़िले के शुभ नाथहि गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम रंजीत मिश्र और माता का नाम बासमती था। लोकनायक जयप्रकाश नारायण और डॉ. राम मनोहर लोहिया का गहरा प्रभाव विद्यार्थी जीवन में जनेश्वर मिश्र पर पड़ा। जयप्रकाश नारायण के सर्वोदय आंदोलन में चले जाने के बाद जब लोहिया ने समाजवादी आंदोलन और संघर्ष की कमान संभाली तब से जनेश्वर मिश्र पूरी तरह से डॉ. लोहिया के ही साथ हो गए।
शिक्षा
जनेश्वर मिश्र ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कला वर्ग में स्नातक किया। वहाँ उन्होंने हिन्दू हास्टल में रहकर पढ़ाई की और जल्द ही छात्र राजनीति से जुड़ गए। छात्रों के मुद्दे पर उन्होंने कई आंदोलन किए, जिसमें छात्रों ने उनका बढ़-चढ़ कर साथ दिया।
राजनैतिक कैरियर
जनेश्वर मिश्र ने अपने राजनीतिक कॅरियर को दाओबा इंटर कॉलेज से शुरू किया। जनेश्वर मिश्र ने तमाम युवाओं को समाजवादी संघर्ष और विचार से जोड़ कर राजनीतिक सक्रियता प्रदान की। वहीं, डॉ. लोहिया के विचारों के लिए संघर्ष करने वाले लोकबंधु राज नारायण का भी जनेश्वर मिश्र पर काफी प्रभाव पड़ा। इसके बाद वह समाजवादी युवजन सभा में सम्मिलित हो गये और फिर वे राममनोहर लोहिया के संपर्क में आए। 1989 में वह पहली बार सांसद बने फिर 1977 में वह केंद्रीय पेट्रोलियम राज्यमंत्री बनाए गए। 1989 में वह संचार राज्यमंत्री रहे। 1994 में वह राज्यसभा सदस्य बने और 1996 में उन्हें जल संसाधन मंत्री बनाया गया।
प्रथम चुनाव
जनेश्वर मिश्र का राजनैतिक सफर 1967 में शुरू हुआ। जब वह जेल में थे तभी लोकसभा का चुनाव आ गया। छुन्नन गुरू व सालिगराम जायसवाल ने उन्हें फूलपुर से विजयलक्ष्मी पंडित के खिलाफ चुनाव लड़ाया। चुनाव सात दिन बाकी था तब उन्हें जेल से रिहा किया गया। इस चुनाव में जनेश्वर को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद विजयलक्ष्मी राजदूत बनीं।
सांसद
जनेश्वर मिश्र पहली बार 1969 में इलाहाबाद की फूलपुर से निर्वाचित होकर सांसद बने। उन्होंने तब इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में पेट्रोलियम मंत्री केडी मालवीय को हराया था। वे पहले ऐसे गैर कांग्रेसी सांसद थे, जो फूलपुर लोकसभा सीट से चुने गए थे। वे चार बार लोकसभा के लिए चुने गए, जबकि राज्यसभा के लिए 1996, 2000 और 2006 में चुने गए। जनेश्वर मिश्र केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे। वे मोरारजी देसाई, वी. पी. सिंह और चौधरी चरण सिंह की सरकार में बतौर मंत्री की भूमिका निभाई। जनेश्वर मिश्र जब तक रहे उन्हें समाजवादी पार्टी का 'थिंक टैंक' माना जाता था। वे कहते थे कि 'समाजवाद सिर्फ सियासी लफ़्ज़ नहीं है बल्कि यिह किसी भी समाज का संपूर्ण आधार है।' उनका मानना था कि उपभोक्तावादी संस्कृति युवा वर्ग को वैचारिक रूप से पतन की ओर ले जाती है। जनेश्वर मिश्र लोगों के लिए और समाज के शोषित लोगों के लिए संघर्ष करते हुए कई बार जेल गए।
छोटे लोहिया नामकरण
जनेश्वर मिश्र राम मनोहर लोहिया के निजी सचिव थे। ऐसे में उन पर समाजवाद के प्रणेता कहे जाने वाले लोहिया के विचारों का उन पर खासा प्रभाव पड़ा। जनेश्वर मिश्र ने राम मनोहर लोहिया के साथ बहुत दिनों तक काम किया। इस दौरान उन्होंने राम मनोहर लोहिया के विचारों और कार्यशैली को पूरी तरह से आत्मसात कर लिया था। इसके बाद जब लोहिया का देहांत हुआ तो इलाहाबाद में एक बड़ी सभा हुई। इसमें समाजवादी नेता छुन्नु ने कहा कि जनेश्वर मिश्र के अंदर राम मनोहर लोहिया के सारे गुण हैं और वे एक तरह से छोटे लोहिया हैं। इसके बाद उनका नाम 'छोटे लोहिया' पड़ गया और फिर लोग उन्हें इस नाम से ही पुकारने लगे।
निधन
समाजवाद के इस मुखर वक्ता का 22 जनवरी 2010 को 76 साल की उम्र में उनकी कर्मस्थली इलाहाबाद में निधन हो गया। हालांकि, भले ही जनेश्वर मिश्र आज शरीर से न हो, लेकिन उनके किए काम से आज भी वे जिंदा हैं।