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| {{सूचना बक्सा स्वतन्त्रता सेनानी
| | #REDIRECT [[प्रतापचंद्र मज़ूमदार]] |
| |चित्र=Blankimage.png
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| |चित्र का नाम=प्रताप चन्द्र मजूमदार
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| |पूरा नाम=प्रताप चन्द्र मजूमदार
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| |अन्य नाम=
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| |जन्म=1840
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| |जन्म भूमि=[[हुगली]], [[पश्चिम बंगाल]]
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| |मृत्यु=[[1905]]
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| |मृत्यु स्थान=[[कलकत्ता]]
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| |मृत्यु कारण=
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| |अभिभावक=
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| |पति/पत्नी=
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| |संतान=
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| |स्मारक=
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| |क़ब्र=
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| |नागरिकता=भारतीय
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| |प्रसिद्धि=स्वतंत्रता सेनानी
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| |धर्म=
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| |आंदोलन=
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| |जेल यात्रा=
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| |कार्य काल=
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| |विद्यालय=प्रेसीडेंसी कॉलिज
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| |शिक्षा=
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| |पुरस्कार-उपाधि=
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| |विशेष योगदान=
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| |संबंधित लेख=[[केशव चन्द्र सेन]], [[देवेन्द्रनाथ टैगोर]]
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| |शीर्षक 1=
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| |पाठ 1=
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| |शीर्षक 2=
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| |पाठ 2=
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| |अन्य जानकारी=प्रताप चन्द्र मजूमदार ने [[भारत]] और विदेशों की व्यापक स्तर पर यात्रा की तथा सन् [[1893]] में सिकागो में एक धार्मिक संसद को संबोधित किया।
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| |बाहरी कड़ियाँ=
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| |अद्यतन=04:31, [[1 मार्च]]-[[2017]] (IST)
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| '''प्रताप चन्द्र मजूमदार''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Pratap Chandra Mazumdar'', जन्म- 1840, [[हुगली]], [[पश्चिम बंगाल]]; मृत्यु- [[1905]], [[कलकत्ता]]) [[भारत]] के क्रांतिकारी तथा हिन्दू सुधार आंदोलन [[ब्रह्मसमाज]] के नेता थे। ये [[केशव चन्द्र सेन]] के एक करीबी अनुयायी थे।<ref>{{cite web |url=http://www.kranti1857.org/pish%20bangal%20%20krantikari.php#Majkumar |title=प्रताप चन्द्र मजूमदार|accessmonthday=1 मार्च|accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=क्रांति 1857|language= हिंदी}}</ref>
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| ==जन्म एवं शिक्षा==
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| प्रताप चन्द्र मजूमदार का जन्म हुगली के एक उच्च मध्यवर्गीय बंगाली [[परिवार]] में 1840 में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा अपने [[गांव]] तथा कलकत्ता ( वर्तमान में कोलकत्ता) से प्राप्त की। सन [[1859]] में दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात प्रताप चन्द्र मजूमदार ने उच्च शिक्षा के लिए कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलिज में प्रवेश ले लिया। किन्तु जल्दी ही वे [[देवेन्द्रनाथ टैगोर]] तथा केशव चन्द्र सेन के माध्यम से ब्रह्मसमाज की तरफ प्रवृत्त हुए।
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| ==ब्रह्मसमाज के समर्थक==
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| प्रताप चन्द्र मजूमदार ने [[भारत]] और विदेशों की व्यापक स्तर पर यात्रा की तथा सन [[1893]] में सिकागो में एक धार्मिक संसद को संबोधित किया। वे ब्रह्मसमाज के संदेश और प्रचार को [[भारत]] के विभिन्न भागों में [[अखबार]] और पत्रों के माध्यम से फैलाने में महत्त्वपूर्ण कारक थे। प्रताप चन्द्र मजूमदार ने अनेक पत्रों को सहयोग दिया तथा ब्रह्मसमाज की नव विधान शाखा के सबसे महत्त्वपूर्ण अगुवा बन गये। वे उदारवादी शिक्षा और समाज सुधारों के लिए सुदृढ़ रहे।
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| ==मृत्यु==
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| प्रताप चन्द्र मजूमदार का निधन [[1905]] को [[कलकत्ता]] में हुआ।
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| {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=|माध्यमिक=माध्यमिक1 |पूर्णता= |शोध= }}
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| ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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| <references/>
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| ==संबंधित लेख==
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| {{स्वतंत्रता सेनानी}}
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| [[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]][[Category:चरित कोश]][[Category:राजनीति कोश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]]
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