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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {[[महाभारत]] के अनुसार [[दु:शला]] निम्नलिखित में से किसकी बहन थी?
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| -[[कर्ण]]
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| +[[दुर्योधन]]
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| -[[जन्मेजय]]
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| -[[परीक्षित]]
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| ||[[चित्र:Duryodhana-with-Guru-Dronacharya.jpg|right|80px|दुर्योधन और द्रोणाचार्य]]'दुर्योधन' [[हस्तिनापुर]] के महाराज [[धृतराष्ट्र]] और [[गांधारी]] के सौ पुत्रों में सबसे बड़ा था। जब [[पाण्डु]] की पत्नी [[कुन्ती]] को पहले संतान हो गई और उसे माँ बनने का सुख मिल गया, तब गांधारी को यह देखकर बड़ा दु:ख हुआ कि अब उसका पुत्र राज्य का अधिकारी नहीं बन पायेगा। यह सोचकर उसने अपने गर्भ पर प्रहार करके उसे नष्ट करने की चेष्टा की। गांधारी के इस कार्य से उसका गर्भपात हो गया। [[महर्षि व्यास]] ने गांधारी के गर्भ को एक सौ एक भागों में बाँटकर [[घी]] से भरे घड़ों में रखवा दिया, जिससे सौ [[कौरव]] पैदा हुए। सबसे पहले घड़े से जो शिशु प्राप्त हुआ था, उसका नाम [[दुर्योधन]] रखा गया और अंतिम घड़े से एक बालिका प्राप्त हुई, जिसका नाम [[दु:शला]] रखा गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दुर्योधन]], [[दु:शला]]
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| {दानवीर [[कर्ण]] का अन्य नाम क्या था?
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| -प्रतर्दन
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| +वैकर्तन
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| -सुधंवा
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| -सर्वदमन
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| ||[[चित्र:Karn1.jpg|right|100px|कर्ण पर बाण चलाते अर्जुन]][[महाभारत]] के अनुसार [[कर्ण]] का जन्म [[सूर्य देव]] के वरदान से [[कुंती]] के गर्भ से कुमारी अवस्था में अर्थात [[विवाह]] से पूर्व हुआ था। लोक लाज के भय से कुंती ने बालक को एक सन्दूक में रखकर नदी में बहा दिया। नदी में बहता हुआ यह सन्दूक सूत अधिरथ और उसकी पत्नी राधा को मिल गया, जिन्होंने बालक का लालन-पालन अपने पुत्र के समान किया। इसी कारण कर्ण को 'सूतपुत्र और 'राधेय' भी कहा गया है। इनके अतिरिक्त कर्ण को 'वसुषेण' तथा 'वैकर्तन' नाम से भी जाना जाता है। सूतपुत्र होने के कारण [[अर्जुन]] कर्ण को हेय समझते थे। उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि कर्ण उनके बड़े भाई हैं। [[भीष्म]] भी कर्ण को इसी कारण अधिरथ कहते थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कर्ण]]
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| {निम्न में से किस राजा को 'महाबाहु', 'महाबली' और 'देवेन्द्र के समान तेज़ वाला' कहा गया है।
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| +[[जरासंध]]
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| -[[जयद्रथ]]
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| -[[विराट]]
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| -[[द्रुपद]]
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| ||[[चित्र:Jarasandh1.jpg|right|100px|भीम-जरासन्ध युद्ध]][[बिहार]] के [[गया]] और [[पटना]] जनपदों के स्थान पर तत्कालीन [[मगध]] साम्राज्य था। इसके उत्तर में [[गंगा नदी]], पश्चिम में [[सोन नदी]], पूर्व में चम्पा नदी तथा दक्षिण में [[विन्ध्याचल पर्वतमाला]] थी। [[बृहद्रथ (मगध नरेश)|बृहद्रथ]] के द्वारा स्थापित राजवंश को 'बृहद्रथ वंश' कहा गया। [[जरासंध]] इस वंश का सबसे प्रतापी शासक था, जो बृहद्रथ का पुत्र था। जरासंध अत्यन्त पराक्रमी एवं साम्राज्यवादी प्रवृत्ति का शासक था। '[[हरिवंशपुराण]]' से ज्ञात होता है कि उसने [[काशी]], [[कोशल]], [[चेदि जनपद|चेदि]], [[मालवा]], [[विदेह]], [[अंग जनपद|अंग]], [[वंग]], [[कलिंग]], पांडय, सौबिर, मद्र, [[कश्मीर]] और [[गांधार]] के राजाओं को परास्त किया था। इसी कारण [[पुराण|पुराणों]] में जरासंध को 'महाबाहु', 'महाबली' और 'देवेन्द्र के समान तेज़ वाला' कहा गया है। जरासंध ने एक विदेशी शक्तिशाली शासक '[[कालयवन]]' को [[मथुरा]] पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जरासन्ध]]
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| {[[युधिष्ठिर]] के [[अश्वमेध यज्ञ]] के लिए [[पृथ्वी]] की परिक्रमा करने वाले अश्व का [[रंग]] कैसा था?
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| -[[सफ़ेद रंग|शुद्ध श्वेत]]
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| -[[लाल रंग|लाल]]
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| -स्वर्णिम
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| +श्याम
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| ||[[चित्र:Yudhishthir-Birla-mandir.jpg|right|100px|युधिष्ठिर]]'युधिष्ठिर' [[पाण्डु]] के पुत्र और पांच [[पाण्डव|पाण्डवों]] में से सबसे बड़े भाई थे। [[महाभारत]] के नायकों में समुज्ज्वल चरित्र वाले ज्येष्ठ पाण्डव थे। [[युधिष्ठिर]] [[धर्मराज (यमराज)|धर्मराज]] के पुत्र थे। वे सत्यवादिता एवं धार्मिक आचरण के लिए विख्यात हैं। अनेकानेक [[धर्म]] सम्बन्धी प्रश्न एवं उनके उत्तर युधिष्ठिर के मुख से महाभारत में कहलाये गये हैं। '[[शान्तिपर्व महाभारत|शान्तिपर्व]]' में सम्पूर्ण समाजनीति, राजनीति तथा धर्मनीति युधिष्ठिर और [[भीष्म]] के संवाद के रूप में प्रस्तुत की गयी है। युधिष्ठिर भाला चलाने में निपुण थे। वे कभी मिथ्या नहीं बोलते थे। उनके [[पिता]] ने [[यक्ष]] बन कर सरोवर पर उनकी परीक्षा भी ली थी। महाभारत युद्ध में धर्मराज युधिष्ठिर सात [[अक्षौहिणी|अक्षौहिणी सेना]] के स्वामी होकर [[कौरव|कौरवों]] के साथ युद्ध करने को तैयार हुए थे, जबकि परम क्रोधी [[दुर्योधन]] ग्यारह अक्षौहिणी सेना का स्वामी था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[युधिष्ठर]], [[अश्वमेध यज्ञ]]
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| {[[शकुनि]] के [[पिता]] का नाम क्या था?
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| +[[सुबल]]
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| -[[तन्तिपाल]]
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| -[[अंजनपर्वा]]
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| -[[विराट]]
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| ||'सुबल' [[गान्धार|गान्धार देश]] के राजा थे। सौ [[कौरव|कौरवों]] की माता [[गान्धारी]] राजा [[सुबल]] की पुत्री थीं और [[शकुनि]] पुत्र थे, जिन्होंने पग-पग पर [[दुर्योधन]] को बहकाने का कार्य किया। सुबल तपोबल की कुछ महिमाएँ और मायावी विद्या का भी ज्ञान रखते थे। उन्होंने अपनी मृत्यु के पहले शकुनि को समझाया कि वह उनकी अस्थियों से पासे बनाकर उनके द्वारा दुर्योधन से प्रतिकार करे। उन पासों की यह विशेषता होगी कि जिस अंक की कामना से वह पासा फेंका जायेगा, वही अंक प्रत्यक्ष हो जायेगा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुबल]]
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| {[[दुर्योधन]] की मृत्यु [[भीम]] के साथ [[गदा शस्त्र|गदा]] युद्ध के कारण हुई। उसकी मृत्यु के समय उसके पास कौन-कौन खड़े थे? | | {[[दुर्योधन]] की मृत्यु [[भीम]] के साथ [[गदा शस्त्र|गदा]] युद्ध के कारण हुई। उसकी मृत्यु के समय उसके पास कौन-कौन खड़े थे? |
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