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<div style="padding:3px">[[चित्र:Ashok-map.jpg|मौर्य कालीन भारत का मानचित्र|right|100px|link=मौर्य काल|border]]</div>
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         '''[[होली]]''' [[भारत]] का प्रमुख त्योहार है। [[पुराण|पुराणों]] में वर्णित है कि [[हिरण्यकशिपु]] की बहन [[होलिका]] वरदान के प्रभाव से नित्य अग्नि स्नान करती थी। हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका से [[प्रह्लाद]] को गोद में लेकर अग्निस्नान करने को कहा। उसने समझा कि ऐसा करने से प्रह्लाद अग्नि में जल जाएगा तथा होलिका बच जाएगी। होलिका ने ऐसा ही किया, किंतु होलिका जल गयी, प्रह्लाद बच गये। इस पर्व को 'नवान्नेष्टि यज्ञपर्व' भी कहा जाता है, क्योंकि खेत से आये नवीन अन्न को इस दिन [[यज्ञ]] में हवन करके प्रसाद लेने की परम्परा भी है। उस अन्न को 'होला' कहते है। इसी से इसका नाम 'होलिकोत्सव' पड़ा। सभी लोग आपसी भेदभाव को भुलाकर इसे हर्ष व उल्लास के साथ मनाते हैं। होली पारस्परिक सौमनस्य एकता और समानता को बल देती है। [[होली|... और पढ़ें]]
         '''[[मौर्य काल]]''' (322-185 ईसा पूर्व) [[भारत का इतिहास|भारत के इतिहास]] में अति महत्त्वपूर्व स्थान रखता है। ईसा पूर्व 326 में [[सिकन्दर]] की सेनाएँ [[पंजाब]] के विभिन्न राज्यों में विध्वंसक युद्धों में व्यस्त थीं। [[मध्य प्रदेश]] और [[बिहार]] में [[नंद वंश]] का राजा [[धनानंद|धननंद]] शासन कर रहा था। [[सिकन्दर]] के आक्रमण से देश के लिए संकट पैदा हो गया था। धननंद का सौभाग्य था कि वह इस आक्रमण से बच गया। यह कहना कठिन है कि देश की रक्षा का मौक़ा पड़ने पर नंद सम्राट यूनानियों को पीछे हटाने में समर्थ होता या नहीं। [[मगध]] के शासक के पास विशाल सेना अवश्य थी, किन्तु जनता का सहयोग उसे प्राप्त नहीं था। प्रजा उसके अत्याचारों से पीड़ित थी। असह्य कर-भार के कारण राज्य के लोग उससे असंतुष्ट थे। देश को इस समय एक ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता थी, जो [[मगध साम्राज्य]] की रक्षा तथा वृद्धि कर सके। [[मौर्यकालीन विदेशी आक्रमण|विदेशी आक्रमण]] से उत्पन्न संकट को दूर करे और देश के विभिन्न भागों को एक शासन-सूत्र में बाँधकर चक्रवर्ती सम्राट के आदर्श को चरितार्थ करे। शीघ्र ही राजनीतिक मंच पर एक ऐसा व्यक्ति प्रकट भी हुआ। इस व्यक्ति का नाम था- '[[चंद्रगुप्त मौर्य]]'। चंद्रगुप्त की मृत्यु के पश्चात उसका पुत्र '[[बिन्दुसार]]' सम्राट बना। बिन्दुसार का पुत्र था '[[अशोक|अशोक महान]]' जिसका जन्म लगभग 304 ई. पूर्व में माना जाता है। [[मौर्य काल|... और पढ़ें]]
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एक आलेख
मौर्य कालीन भारत का मानचित्र
मौर्य कालीन भारत का मानचित्र

        मौर्य काल (322-185 ईसा पूर्व) भारत के इतिहास में अति महत्त्वपूर्व स्थान रखता है। ईसा पूर्व 326 में सिकन्दर की सेनाएँ पंजाब के विभिन्न राज्यों में विध्वंसक युद्धों में व्यस्त थीं। मध्य प्रदेश और बिहार में नंद वंश का राजा धननंद शासन कर रहा था। सिकन्दर के आक्रमण से देश के लिए संकट पैदा हो गया था। धननंद का सौभाग्य था कि वह इस आक्रमण से बच गया। यह कहना कठिन है कि देश की रक्षा का मौक़ा पड़ने पर नंद सम्राट यूनानियों को पीछे हटाने में समर्थ होता या नहीं। मगध के शासक के पास विशाल सेना अवश्य थी, किन्तु जनता का सहयोग उसे प्राप्त नहीं था। प्रजा उसके अत्याचारों से पीड़ित थी। असह्य कर-भार के कारण राज्य के लोग उससे असंतुष्ट थे। देश को इस समय एक ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता थी, जो मगध साम्राज्य की रक्षा तथा वृद्धि कर सके। विदेशी आक्रमण से उत्पन्न संकट को दूर करे और देश के विभिन्न भागों को एक शासन-सूत्र में बाँधकर चक्रवर्ती सम्राट के आदर्श को चरितार्थ करे। शीघ्र ही राजनीतिक मंच पर एक ऐसा व्यक्ति प्रकट भी हुआ। इस व्यक्ति का नाम था- 'चंद्रगुप्त मौर्य'। चंद्रगुप्त की मृत्यु के पश्चात उसका पुत्र 'बिन्दुसार' सम्राट बना। बिन्दुसार का पुत्र था 'अशोक महान' जिसका जन्म लगभग 304 ई. पूर्व में माना जाता है। ... और पढ़ें

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