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==जन्म एवं | ==जन्म एवं शिक्षा= | ||
सैफ़ुद्दीन किचलू का जन्म पंजाब के अमृतसर में सन 1888 में हुआ था। वे उच्च शिक्षा के लिए विदेश चले गये और कैम्ब्रिज विद्यालय से स्नातक की डिग्री, [[लन्दन]] से 'बार एट लॉ' की डिग्री तथा [[जर्मनी]] से पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने के उपरान्त सन् [[1915]] में [[भारत]] वापिस लौट आए। | सैफ़ुद्दीन किचलू का जन्म पंजाब के अमृतसर में सन 1888 में हुआ था। वे उच्च शिक्षा के लिए विदेश चले गये और कैम्ब्रिज विद्यालय से स्नातक की डिग्री, [[लन्दन]] से 'बार एट लॉ' की डिग्री तथा [[जर्मनी]] से पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने के उपरान्त सन् [[1915]] में [[भारत]] वापिस लौट आए। | ||
==उपलब्धियाँ== | ==उपलब्धियाँ== |
10:24, 1 अप्रैल 2017 का अवतरण
माधवी 2
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पूरा नाम | सैफ़ुद्दीन किचलू |
अन्य नाम | डॉ. किचलू |
जन्म | 15 जनवरी, 1888 |
जन्म भूमि | अमृतसर, पंजाब |
मृत्यु | 9 अक्टूबर, 1988 |
मृत्यु स्थान | दिल्ली |
अभिभावक | अज़ीज़ुद्दीन किचलेव, दान बीबी |
संतान | ज़िहदा किचलेव |
नागरिकता | भातरीय |
विद्यालय | कैम्ब्रिज |
शिक्षा | बार.एट.लॉ, पी. एच.डी |
संबंधित लेख | जवाहर लाल नेहरू, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
अन्य जानकारी | सन 1929 में जब जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव पारित किया गया तो उस समय सैफ़ुद्दीन किचलू को कांग्रेस की लाहौर समिति का सभापति बनाया गया। |
अद्यतन | 04:31, 31 मार्च-2017 (IST) |
सैफ़ुद्दीन किचलू (अंग्रेज़ी: Saifuddin Kitchlew, जन्म- 15 जनवरी, 1888, अमृतसर, पंजाब; मृत्यु- 9 अक्टूबर, 1988, दिल्ली) पंजाब के सुप्रसिद्ध राष्ट्रभक्त एवं क्रांतिकारी थे।[1]
=जन्म एवं शिक्षा
सैफ़ुद्दीन किचलू का जन्म पंजाब के अमृतसर में सन 1888 में हुआ था। वे उच्च शिक्षा के लिए विदेश चले गये और कैम्ब्रिज विद्यालय से स्नातक की डिग्री, लन्दन से 'बार एट लॉ' की डिग्री तथा जर्मनी से पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने के उपरान्त सन् 1915 में भारत वापिस लौट आए।
उपलब्धियाँ
यूरोप से वापिस लौटने पर डॉ. किचलू ने अमृतसर से वकालत का अभ्यास शुरू कर दी। उन्हें अमृतसर की नगर निगम समिति का सदस्य बनाया गया तथा उन्होंने पंजाब में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का आयोजन किया।
क्रांतिकारी गतिविधियाँ
सन 1919 में किचलू ने पंजाब में विरोधी राष्ट्र अधिनियम आन्दोलन की अगुवाई की। उन्होंने खिलाफत और असहयोग आन्दोलन में सक्रिय रूप में भाग लिया और जेल गये। रिहाई के पश्चात सैफ़ुद्दीन किचलू को ऑल इण्डिया खिलाफत कमेटी का अध्यक्ष चुना गया। सन 1924 में सैफ़ुद्दीन किचलू को कांग्रेस का महासचिव चुना गया। सन 1929 में जब जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव पारित किया गया तो उस समय उन्हें कांग्रेस की लाहौर समिति का सभापति बनाया गया। डॉ. किचलू विभाजन से पूर्णतः खिलाफ थे। उन्होंने समझा की यह साम्यवाद के पक्ष में राष्ट्रवादिता का आत्मसर्पण है। स्वाधीनता प्राप्ति की अवधि के पश्चात डॉ. किचलू ने साम्यवाद की ओर से अपना ध्यान खींच लिया।
मृत्यु
सैफ़ुद्दीन किचलू का 9 अक्टूबर, 1988 को दिल्ली में निधन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सैफ़ुद्दीन किचलू (हिंदी) क्रांति 1857। अभिगमन तिथि: 31 मार्च, 2017।
संबंधित लेख
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