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| {{सूचना बक्सा स्वतन्त्रता सेनानी
| | सरदुल सिंह कविशेर |
| |चित्र=Saifuddin-Kitchlew.jpg
| | सरदुल सिंह कविशेर का जन्म 1866 को अमृतसर में हुआ था। सन् 1909 में उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। वे संसार के धर्मों में तुलनात्मक अध्ययन में जुटे हुए थे किन्तु उन्हें असहयोग आन्दोलन में भागीदारी के कारण गिरफ्तार कर लिया गया। सरदुल सिंह को स्वाधीनता आन्दोलन में भागेदारी के कारण नौ बार जेल की सलाखों के पीछे भेजा गया। |
| |चित्र का नाम=सैफ़ुद्दीन किचलू
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| |पूरा नाम=सैफ़ुद्दीन किचलू
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| |अन्य नाम=डॉ. किचलू
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| |जन्म=[[15 जनवरी]], [[1888]]
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| |जन्म भूमि=[[अमृतसर]], [[पंजाब]]
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| |मृत्यु=[[9 अक्टूबर]], [[1988]]
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| |मृत्यु स्थान=[[दिल्ली]]
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| |मृत्यु कारण=
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| |अभिभावक=अज़ीज़ुद्दीन किचलेव, दान बीबी
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| |पति/पत्नी=
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| |संतान=ज़िहदा किचलेव
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| |स्मारक=
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| |क़ब्र=
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| |नागरिकता=भातरीय
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| |प्रसिद्धि=
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| |धर्म=
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| |आंदोलन=
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| |जेल यात्रा=
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| |कार्य काल=
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| |विद्यालय=कैम्ब्रिज
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| |शिक्षा=बार.एट.लॉ, पी. एच.डी
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| |पुरस्कार-उपाधि=
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| |विशेष योगदान=
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| |संबंधित लेख=[[जवाहर लाल नेहरू]], [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]
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| |शीर्षक 1=
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| |पाठ 1=
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| |शीर्षक 2=
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| |पाठ 2=
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| |अन्य जानकारी=सन [[1929]] में जब [[जवाहर लाल नेहरू]] के नेतृत्व में पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव पारित किया गया तो उस समय सैफ़ुद्दीन किचलू को [[कांग्रेस]] की [[लाहौर]] समिति का सभापति बनाया गया।
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| |बाहरी कड़ियाँ=
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| |अद्यतन=04:31, [[31 मार्च]]-[[2017]] (IST)
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| '''सैफ़ुद्दीन किचलू''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Saifuddin Kitchlew'', जन्म- [[15 जनवरी]], [[1888]], [[अमृतसर]], [[पंजाब]]; मृत्यु- [[9 अक्टूबर]], [[1988]], [[दिल्ली]]) पंजाब के सुप्रसिद्ध राष्ट्रभक्त एवं क्रांतिकारी थे।<ref>{{cite web |url=http://www.kranti1857.org/panjab%20krantikari.php#Saifuddin%20Kitchlew|title=सैफ़ुद्दीन किचलू|accessmonthday=31 मार्च|accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=क्रांति 1857|language= हिंदी}}</ref>
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| ==जन्म एवं शिक्षा=
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| सैफ़ुद्दीन किचलू का जन्म पंजाब के अमृतसर में सन 1888 में हुआ था। वे उच्च शिक्षा के लिए विदेश चले गये और कैम्ब्रिज विद्यालय से स्नातक की डिग्री, [[लन्दन]] से 'बार एट लॉ' की डिग्री तथा [[जर्मनी]] से पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने के उपरान्त सन् [[1915]] में [[भारत]] वापिस लौट आए।
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| ==उपलब्धियाँ==
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| यूरोप से वापिस लौटने पर डॉ. किचलू ने अमृतसर से वकालत का अभ्यास शुरू कर दी। उन्हें [[अमृतसर]] की नगर निगम समिति का सदस्य बनाया गया तथा उन्होंने [[पंजाब]] में [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] का आयोजन किया।
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| ==क्रांतिकारी गतिविधियाँ==
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| सन [[1919]] में किचलू ने [[पंजाब]] में विरोधी राष्ट्र अधिनियम आन्दोलन की अगुवाई की। उन्होंने [[खिलाफत आन्दोलन|खिलाफत]] और [[असहयोग आन्दोलन]] में सक्रिय रूप में भाग लिया और जेल गये। रिहाई के पश्चात सैफ़ुद्दीन किचलू को ऑल इण्डिया खिलाफत कमेटी का अध्यक्ष चुना गया। सन [[1924]] में सैफ़ुद्दीन किचलू को [[कांग्रेस]] का महासचिव चुना गया। सन [[1929]] में जब [[जवाहर लाल नेहरू]] के नेतृत्व में पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव पारित किया गया तो उस समय उन्हें [[कांग्रेस]] की [[लाहौर]] समिति का सभापति बनाया गया। डॉ. किचलू विभाजन से पूर्णतः खिलाफ थे। उन्होंने समझा की यह साम्यवाद के पक्ष में राष्ट्रवादिता का आत्मसर्पण है। स्वाधीनता प्राप्ति की अवधि के पश्चात डॉ. किचलू ने साम्यवाद की ओर से अपना ध्यान खींच लिया।
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| ==मृत्यु==
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| सैफ़ुद्दीन किचलू का [[9 अक्टूबर]], 1988 को [[दिल्ली]] में निधन हो गया।
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| {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
| | सरदुल सिंह का कांग्रेस संगठन में महत्वपूर्ण स्थान था। सन् 1920 में उन्हें कांग्रेस की पंजाब प्रान्तीय का अध्यक्ष चुना गया। सन् 1928 में उन्हें कांग्रेस की कार्यकारिणी समिति के सदस्य के रूप में चुना गया। |
| ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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| <references/>
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| ==संबंधित लेख==
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| {{स्वतंत्रता सेनानी}}
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| | सुभाष चन्द्र बोस का कांग्रेस के साथ मतभेद होने के दौरान उन्होंने सुभाष का पक्ष लिया। सन् 1939 में उन्हें सुभाषचन्द्र बोस द्वारा स्थापित फारवर्ड ब्लॉक का अध्यक्ष बनाया गया। सरदुल सिंह एक प्रवीण रचनाकार थे। |
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सरदुल सिंह कविशेर
सरदुल सिंह कविशेर का जन्म 1866 को अमृतसर में हुआ था। सन् 1909 में उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। वे संसार के धर्मों में तुलनात्मक अध्ययन में जुटे हुए थे किन्तु उन्हें असहयोग आन्दोलन में भागीदारी के कारण गिरफ्तार कर लिया गया। सरदुल सिंह को स्वाधीनता आन्दोलन में भागेदारी के कारण नौ बार जेल की सलाखों के पीछे भेजा गया।
सरदुल सिंह का कांग्रेस संगठन में महत्वपूर्ण स्थान था। सन् 1920 में उन्हें कांग्रेस की पंजाब प्रान्तीय का अध्यक्ष चुना गया। सन् 1928 में उन्हें कांग्रेस की कार्यकारिणी समिति के सदस्य के रूप में चुना गया।
सुभाष चन्द्र बोस का कांग्रेस के साथ मतभेद होने के दौरान उन्होंने सुभाष का पक्ष लिया। सन् 1939 में उन्हें सुभाषचन्द्र बोस द्वारा स्थापित फारवर्ड ब्लॉक का अध्यक्ष बनाया गया। सरदुल सिंह एक प्रवीण रचनाकार थे।