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'''पिनराई विजयन''' ([[अंग्रेज़ी]]: Siddaramaiah जन्म: [[21 मार्च]], [[1944]]) एक भारतीय राजनेता हैं जो कि वर्तमान में [[केरल]] के [[मुख्यमंत्री]] हैं, वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पोलित ब्यूरो के सदस्य [[1998]] से [[2015]] तक के सीपीआई (एम) के [[केरल]] स्टेट कमेटी के सबसे लंबे समय तक सेवा सचिव थे। उन्होंने केरल सरकार में इलेक्ट्रिक पावर मंत्री के रूप में भी काम किया और [[1996]] से [[1998]] तक सहकारिताएं। विजयन ने मई [[2016]] के [[केरल]] विधानसभा चुनाव में धर्मदों के लिए सीपीआई (एम) के उम्मीदवार के रूप में सीट जीती।<ref name="aa">{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/article/general-election-candidate/%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A5%88%E0%A4%AF%E0%A4%BE-114030500065_1.htm|title=सिद्धारमैया |accessmonthday=22 मार्च |accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=webdunia.com|language=हिन्दी}}</ref>
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===जीवन परिचय===
===जीवन परिचय===
पिनराई विजयन का जन्म [[21 मार्च]], [[1944]] को [[कन्नूर]] जिले के पिनरायी में एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके माता पिता काफी गरीब थे और इस गरीबी को विजयन ने भी झेला। इसके बाद पेट पालने के लिए विजयन ने एक हैंडलूम वर्कर के तौर पर भी काम किया। इसी दौरान मजदूरों पर होने वाले अत्याचार उन्हें अंदर तक झकझोरते थे। इसके मुकाबले के लिए उन्होंने काम छोड़कर आगे पढ़ाई करने का फैसला किया और गवर्नमेंट ब्रेनन कालेज में एडमिशन ले लिया। यहीं से उन्होंने छात्र राजनीति के जरिए सीपीआई की छात्र इकाई एसएसफआई को ज्वाइन कर लिया। यहां से केरल स्टूडेंट फेडरेशन के सचिव और अध्यक्ष पद से होते हुए वह केरल स्टेट यूथ फेडरेशन के अध्यक्ष तक पहुंचे।  
पिनराई विजयन का जन्म [[21 मार्च]], [[1944]] को [[कन्नूर]] जिले के पिनरायी में एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके माता पिता काफी गरीब थे और इस गरीबी को विजयन ने भी झेला। इसके बाद पेट पालने के लिए विजयन ने एक हैंडलूम वर्कर के तौर पर भी काम किया। इसी दौरान मजदूरों पर होने वाले अत्याचार उन्हें अंदर तक झकझोरते थे। इसके मुकाबले के लिए उन्होंने काम छोड़कर आगे पढ़ाई करने का फैसला किया और गवर्नमेंट ब्रेनन कालेज में एडमिशन ले लिया। यहीं से उन्होंने छात्र राजनीति के जरिए सीपीआई की छात्र इकाई एसएसफआई को ज्वाइन कर लिया। यहां से केरल स्टूडेंट फेडरेशन के सचिव और अध्यक्ष पद से होते हुए वह केरल स्टेट यूथ फेडरेशन के अध्यक्ष तक पहुंचे।<ref name="bb">{{cite web |url=http://www.amarujala.com/india-news/pinarayi-vijayan-taken-oath-of-chief-minister-of-kerala|title=पी विजयन बने मुख्यमंत्री|accessmonthday=06 अप्रेल |accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=amarujala.com|language=हिन्दी}}</ref>
===राजनीतिक परिचय===
===राजनीतिक परिचय===
1970 में वह कूथुपरंबा से पहली बार विधानसभा पहुंचे। 1977 और 1991 में भी वह यहां से विधानसभा के लिए चुने गए। इसके बाद 1996 के चुनाव में वह पयन्नूर से जीतकर विधानसभा पहुंचे। 1996 से 1998 तक वह राज्य के मंत्रीमंडल में भी रहे। 1998 में उन्हें सीपीआईएम का राज्य सचिव बनाया गया।  
1970 में वह कूथुपरंबा से पहली बार विधानसभा पहुंचे। 1977 और 1991 में भी वह यहां से विधानसभा के लिए चुने गए। इसके बाद 1996 के चुनाव में वह पयन्नूर से जीतकर विधानसभा पहुंचे। 1996 से 1998 तक वह राज्य के मंत्रीमंडल में भी रहे। 1998 में उन्हें सीपीआईएम का राज्य सचिव बनाया गया।  
साल 2002 में उन्हें माकमा की सर्वोच्‍च इकाई पोलित ब्यूरो में शामिल कर लिया गया। राजनीति में विजयन को काफी उतार चढ़ाव देखने को मिले। इस दौरान उनके दामन पर कई गहरे दाग भी लगे इन्हीं में से एक रहा 1998 में ईके नयनार की सरकार में ऊर्जा मंत्री रहते एसएनसी लवलीन घोटाले में नाम आना। तीन बिजलीघरों की मरम्‍मत का काम उन्होंने कनाडा की फर्म को दे दिया था।  
साल 2002 में उन्हें माकमा की सर्वोच्‍च इकाई पोलित ब्यूरो में शामिल कर लिया गया। राजनीति में विजयन को काफी उतार चढ़ाव देखने को मिले। इस दौरान उनके दामन पर कई गहरे दाग भी लगे इन्हीं में से एक रहा 1998 में ईके नयनार की सरकार में ऊर्जा मंत्री रहते एसएनसी लवलीन घोटाले में नाम आना। तीन बिजलीघरों की मरम्‍मत का काम उन्होंने कनाडा की फर्म को दे दिया था।
375 करोड़ के इस घोटाले में उन्हें भी आरोपी बनाया गया। आरोप ये भी था कि कनाडा की फर्म को यह ठेका देने के लिए वह बिना किसी विशेषज्ञ के साथ कनाडा गए थे और खुद ही इस ठेके को फाइनल कर दिया। उन पर ऊर्जा सचिव की सलाह को भी दरकिनार करने का आरोप लगा था।  
375 करोड़ के इस घोटाले में उन्हें भी आरोपी बनाया गया। आरोप ये भी था कि कनाडा की फर्म को यह ठेका देने के लिए वह बिना किसी विशेषज्ञ के साथ कनाडा गए थे और खुद ही इस ठेके को फाइनल कर दिया। उन पर ऊर्जा सचिव की सलाह को भी दरकिनार करने का आरोप लगा था। मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई तो एजेंसी ने उनका नाम भी सातवें आरोपी के तौर पर चार्जशीट में शामिल किया था। जिसमें उन्हें जमानत मिल गई ‌थी। हालांक‌ि बाद में यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया, लेकिन घोटाले के दाग पिनरायी विजयन के दामन से नहीं छूट पाए। इसके अलावा भी विवादों से उनका साबका जारी रहा। साल 2009 में उनका नाम उस समय विवादों में आ गया जब चेन्नई एयरपोर्ट पर तलाशी के दौरान उनके बैग से पिस्टल की पांच गोलियां मिली थीं। उस समय उनके पास पिस्टल का लाइसेंस भी नहीं ‌था। राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री अच्युतानंद से उनकी तनातनी जगजाहिर है। एलडीएफ की पिछली सरकार के दौरान भी उनमें और अच्युतानंद में सीएम की कुर्सी के लिए खींचतान मची थी लेकिन बाजी वयोवृद्ध अच्युतानंद के हाथ लगी। इस बार भी वह उन्हीं अच्युतानंद को रेस में पीछे छोड़कर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे हैं।
मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई तो एजेंसी ने उनका नाम भी सातवें आरोपी के तौर पर चार्जशीट में शामिल किया था। जिसमें उन्हें जमानत मिल गई ‌थी। हालांक‌ि बाद में यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया, लेकिन घोटाले के दाग पिनरायी विजयन के दामन से नहीं छूट पाए। इसके अलावा भी विवादों से उनका साबका जारी रहा। साल 2009 में उनका नाम उस समय विवादों में आ गया जब चेन्नई एयरपोर्ट पर तलाशी के दौरान उनके बैग से पिस्टल की पांच गोलियां मिली थीं। उस समय उनके पास पिस्टल का लाइसेंस भी नहीं ‌था। राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री अच्युतानंद से उनकी तनातनी जगजाहिर है।  
एलडीएफ की पिछली सरकार के दौरान भी उनमें और अच्युतानंद में सीएम की कुर्सी के लिए खींचतान मची थी लेकिन बाजी वयोवृद्ध अच्युतानंद के हाथ लगी। इस बार भी वह उन्हीं अच्युतानंद को रेस में पीछे छोड़कर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे हैं।

12:56, 6 अप्रैल 2017 का अवतरण

कविता2
पिनराई विजयन
पिनराई विजयन
पूरा नाम पिनराई विजयन
जन्म 21 मार्च, 1944
जन्म भूमि पिनरायी, कन्नूर
पति/पत्नी कमला
संतान 2
नागरिकता भारतीय
पार्टी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)
पद केरल के वर्तमान मुख्यमंत्री,
कार्य काल मुख्यमंत्री -25 मई 2016 से अब तक;

उर्जा मंत्री -20 मई 1996 से 19 अक्टूबर 1998 तक

शिक्षा विज्ञान में स्नातक, एल.एल.बी
विद्यालय मैसूर विश्वविद्यालय

पिनराई विजयन (अंग्रेज़ी: Pinarayi Vijayan जन्म: 21 मार्च, 1944) एक भारतीय राजनेता हैं जो कि वर्तमान में केरल के मुख्यमंत्री हैं, वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पोलित ब्यूरो के सदस्य 1998 से 2015 तक के सीपीआई (एम) के केरल स्टेट कमेटी के सबसे लंबे समय तक सेवा सचिव थे। उन्होंने केरल सरकार में इलेक्ट्रिक पावर मंत्री के रूप में भी काम किया और 1996 से 1998 तक सहकारिताएं। विजयन ने मई 2016 के केरल विधानसभा चुनाव में धर्मदों के लिए सीपीआई (एम) के उम्मीदवार के रूप में सीट जीती।

जीवन परिचय

पिनराई विजयन का जन्म 21 मार्च, 1944 को कन्नूर जिले के पिनरायी में एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके माता पिता काफी गरीब थे और इस गरीबी को विजयन ने भी झेला। इसके बाद पेट पालने के लिए विजयन ने एक हैंडलूम वर्कर के तौर पर भी काम किया। इसी दौरान मजदूरों पर होने वाले अत्याचार उन्हें अंदर तक झकझोरते थे। इसके मुकाबले के लिए उन्होंने काम छोड़कर आगे पढ़ाई करने का फैसला किया और गवर्नमेंट ब्रेनन कालेज में एडमिशन ले लिया। यहीं से उन्होंने छात्र राजनीति के जरिए सीपीआई की छात्र इकाई एसएसफआई को ज्वाइन कर लिया। यहां से केरल स्टूडेंट फेडरेशन के सचिव और अध्यक्ष पद से होते हुए वह केरल स्टेट यूथ फेडरेशन के अध्यक्ष तक पहुंचे।[1]

राजनीतिक परिचय

1970 में वह कूथुपरंबा से पहली बार विधानसभा पहुंचे। 1977 और 1991 में भी वह यहां से विधानसभा के लिए चुने गए। इसके बाद 1996 के चुनाव में वह पयन्नूर से जीतकर विधानसभा पहुंचे। 1996 से 1998 तक वह राज्य के मंत्रीमंडल में भी रहे। 1998 में उन्हें सीपीआईएम का राज्य सचिव बनाया गया। साल 2002 में उन्हें माकमा की सर्वोच्‍च इकाई पोलित ब्यूरो में शामिल कर लिया गया। राजनीति में विजयन को काफी उतार चढ़ाव देखने को मिले। इस दौरान उनके दामन पर कई गहरे दाग भी लगे इन्हीं में से एक रहा 1998 में ईके नयनार की सरकार में ऊर्जा मंत्री रहते एसएनसी लवलीन घोटाले में नाम आना। तीन बिजलीघरों की मरम्‍मत का काम उन्होंने कनाडा की फर्म को दे दिया था। 375 करोड़ के इस घोटाले में उन्हें भी आरोपी बनाया गया। आरोप ये भी था कि कनाडा की फर्म को यह ठेका देने के लिए वह बिना किसी विशेषज्ञ के साथ कनाडा गए थे और खुद ही इस ठेके को फाइनल कर दिया। उन पर ऊर्जा सचिव की सलाह को भी दरकिनार करने का आरोप लगा था। मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई तो एजेंसी ने उनका नाम भी सातवें आरोपी के तौर पर चार्जशीट में शामिल किया था। जिसमें उन्हें जमानत मिल गई ‌थी। हालांक‌ि बाद में यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया, लेकिन घोटाले के दाग पिनरायी विजयन के दामन से नहीं छूट पाए। इसके अलावा भी विवादों से उनका साबका जारी रहा। साल 2009 में उनका नाम उस समय विवादों में आ गया जब चेन्नई एयरपोर्ट पर तलाशी के दौरान उनके बैग से पिस्टल की पांच गोलियां मिली थीं। उस समय उनके पास पिस्टल का लाइसेंस भी नहीं ‌था। राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री अच्युतानंद से उनकी तनातनी जगजाहिर है। एलडीएफ की पिछली सरकार के दौरान भी उनमें और अच्युतानंद में सीएम की कुर्सी के लिए खींचतान मची थी लेकिन बाजी वयोवृद्ध अच्युतानंद के हाथ लगी। इस बार भी वह उन्हीं अच्युतानंद को रेस में पीछे छोड़कर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे हैं।

  1. पी विजयन बने मुख्यमंत्री (हिन्दी) amarujala.com। अभिगमन तिथि: 06 अप्रेल, 2017।