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||सबसे अधिक [[कृष्णलीला]] के चित्र [[पहाड़ी चित्रकला|पहाड़ी शैली]] में बने हैं। कमोवेश यह विशेषता पहाड़ी चित्र शैली की लगभग सभी शैलियों में पाई गई। कृष्णलीला चित्रकारी राजस्थानी चित्र शैली में भी प्राप्त होती है।
||सबसे अधिक [[कृष्णलीला]] के चित्र [[पहाड़ी चित्रकला|पहाड़ी शैली]] में बने हैं। कमोवेश यह विशेषता पहाड़ी चित्र शैली की लगभग सभी शैलियों में पाई गई। कृष्णलीला चित्रकारी राजस्थानी चित्र शैली में भी प्राप्त होती है।


{भारतीय चित्रकला के पुनर्जागरण का श्रेय किसे जाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-1
{[[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] के पुनर्जागरण का श्रेय किसे जाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-1
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-क्षेत्रीय मुग़ल शैली
-क्षेत्रीय मुग़ल शैली
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-यूरोपियन शैली
-यूरोपियन शैली
+बंगाल शैली
+बंगाल शैली
||भारतीय चित्रकला के पुर्जागरण का श्रेय बंगाल शैली को दिया जाता है। इसी शैली को 'टैगोर शैली', वॉश शैली', 'पुनरुत्थान या पुनर्जागरण शैली' भी कहा जाता है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई और भारतीय चित्रकला ने पाश्चात्य के प्रभाव से मुक्ति पाई। यहीं से भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास आरंभ होता है। बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक अबनीन्द्रनाथ टैगोर थे।
||[[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] के पुर्जागरण का श्रेय बंगाल शैली को दिया जाता है। इसी शैली को 'टैगोर शैली', वॉश शैली', 'पुनरुत्थान या पुनर्जागरण शैली' भी कहा जाता है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई और भारतीय चित्रकला ने पाश्चात्य के प्रभाव से मुक्ति पाई। यहीं से भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास आरंभ होता है। बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक अबनीन्द्रनाथ टैगोर थे।


{[[ईसा मसीह]] के जीवन पर आधारित चित्र किस कलाकार ने बनाए? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-81
{[[ईसा मसीह]] के जीवन पर आधारित चित्र किस कलाकार ने बनाए? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-81
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-[[नंदलाल बोस]]
-[[नंदलाल बोस]]
-यामिनी राय
-यामिनी राय
||भारतीय चित्रकला के पुर्जागरण का श्रेय बंगाल शैली को दिया जाता है। इसी शैली को 'टैगोर शैली', वॉश शैली', 'पुनरुत्थान या पुनर्जागरण शैली' भी कहा जाता है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई और भारतीय चित्रकला ने पाश्चात्य के प्रभाव से मुक्ति पाई। यहीं से भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास आरंभ होता है। बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक अबनीन्द्रनाथ टैगोर थे।
||[[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] के पुर्जागरण का श्रेय बंगाल शैली को दिया जाता है। इसी शैली को 'टैगोर शैली', वॉश शैली', 'पुनरुत्थान या पुनर्जागरण शैली' भी कहा जाता है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई और भारतीय चित्रकला ने पाश्चात्य के प्रभाव से मुक्ति पाई। यहीं से भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास आरंभ होता है। बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक अबनीन्द्रनाथ टैगोर थे।


{अबनीन्द्रनाथ ठाकुर के शिष्यों में निम्न में से कौन नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-82
{अबनीन्द्रनाथ ठाकुर के शिष्यों में निम्न में से कौन नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-82
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+[[पाल वंश|पाल]]
+[[पाल वंश|पाल]]
-[[मौर्य वंश|मौर्य]]
-[[मौर्य वंश|मौर्य]]
||[[भारत]] में [[बंगाल]] के पाल शासकों के काल में ताल के पत्तों तथा बाद में काग़ज़ पर लद्यु चित्रकारी का प्रचलन बढ़ा। कालांतर में भारत में लघु चित्रकारी कला या मिनीएचर आर्ट का प्रारंभ मुग़लों द्वारा किया गया जो 'मुग़ल शैली' के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस प्रसिद्ध [[कला]] को फ़राज (पर्शिया या [[ईरान]]) से लेकर आया माना जाता है। सर्वप्रथम मुग़ल शासक [[हुमायूं]] ने फ़राज़ से लघु चित्रकारी में विशेषज्ञ कलाकारों को बुलवाया था। मुग़ल बादशाह [[अकबर]] ने भी इस भव्य कला को बढ़ावा दिया।
||[[भारत]] में [[बंगाल]] के पाल शासकों के काल में ताल के पत्तों तथा बाद में काग़ज़ पर लद्यु चित्रकारी का प्रचलन बढ़ा। कालांतर में भारत में लघु चित्रकारी कला या मिनीएचर आर्ट का प्रारंभ मुग़लों द्वारा किया गया जो 'मुग़ल शैली' के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस प्रसिद्ध [[कला]] को फ़राज (पर्शिया या [[ईरान]]) से लेकर आया माना जाता है। सर्वप्रथम मुग़ल शासक [[हुमायूं]] ने फ़राज़ से लघु चित्रकारी में विशेषज्ञ कलाकारों को बुलवाया था। मुग़ल बादशाह [[अकबर]] ने भी इस भव्य कला को बढ़ावा दिया। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) इस शैली के चित्रकारों को [[जहांगीर]] व [[शाहजहां]] ने भी भरपूर प्रश्रय दिया। (2) [[मुग़ल काल]] में राजस्थान में इस चित्रकला के कई स्कूल प्रारम्भ हुए। (3) भौगोलिक स्थिती, सांस्कृतिक एंव शैलीगत विशेषताओं के आधार पर इन स्कूलों को चार भागों में विभाजित किया गया, ये हैं- मेवाड़ स्कूल, मारवाड़ स्कूल, हाड़ौती स्कूल, ढूंढाड़ स्कूल।


{साहिब राम किस शैली के लघु चित्रों के चित्रकार थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-48,प्रश्न-13
{साहिब राम किस शैली के लघु चित्रों के चित्रकार थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-48,प्रश्न-13
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+बंगाल स्कूल
+बंगाल स्कूल
-ईस्टर्न स्कूल
-ईस्टर्न स्कूल
||भारतीय चित्रकला के पुर्जागरण का श्रेय बंगाल शैली को दिया जाता है। इसी शैली को 'टैगोर शैली', वॉश शैली', 'पुनरुत्थान या पुनर्जागरण शैली' भी कहा जाता है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई और भारतीय चित्रकला ने पाश्चात्य के प्रभाव से मुक्ति पाई। यहीं से भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास आरंभ होता है। बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक अबनीन्द्रनाथ टैगोर थे।
||[[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] के पुर्जागरण का श्रेय बंगाल शैली को दिया जाता है। इसी शैली को 'टैगोर शैली', वॉश शैली', 'पुनरुत्थान या पुनर्जागरण शैली' भी कहा जाता है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई और भारतीय चित्रकला ने पाश्चात्य के प्रभाव से मुक्ति पाई। यहीं से भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास आरंभ होता है। बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक अबनीन्द्रनाथ टैगोर थे।


{[[शान्ति निकेतन]] में मध्य युगीन हिंदू संत के भित्ति चित्रों को किसने चित्रित किया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-83
{[[शान्ति निकेतन]] में मध्य युगीन हिंदू संत के भित्ति चित्रों को किसने चित्रित किया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-83
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-राफेल
-राफेल
+मायरॉन
+मायरॉन
||ई.पू. पांचवीं सदी के आस-पास मायरॉन द्वारा मूर्तियों की मुद्राओं से कठोरता हटाकर उनको लयबद्ध किए जाने का श्रेय प्राप्त है। उनकी सबसे प्रसिद्ध मूर्ति 'Discus Throw' (Discus Bolus) (चक्का फेंकने वाला) नष्ट हो चुकी है किंतु उसकी प्ररिकृति मूर्तिकारों द्वारा तैयार की गई है।
||ई.पू. पांचवीं सदी के आस-पास मायरॉन द्वारा मूर्तियों की मुद्राओं से कठोरता हटाकर उनको लयबद्ध किए जाने का श्रेय प्राप्त है। उनकी सबसे प्रसिद्ध मूर्ति 'Discus Throw' (चक्का फेंकने वाला नष्ट) हो चुकी है किंतु उसकी प्ररिकृति मूर्तिकारों द्वारा तैयार की गई है।


{एक ऐसे नेता का नाम बताइए जिसने अपनी जीविका का प्रारंभ एक कार्टून चित्रकार के रूप में किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-235,प्रश्न-362
{एक ऐसे नेता का नाम बताइए जिसने अपनी जीविका का प्रारंभ एक कार्टून चित्रकार के रूप में किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-235,प्रश्न-362
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-मिस्त्र
-मिस्त्र
-ग्रीक
-ग्रीक
-भारत  
-[[भारत]]
+मेसोपोटामिया  
+[[मेसोपोटामिया]]
||'मेमोपोटामिया' का यूनानी अर्थ है- 'दो नदियों के बीच'। यह क्षेत्र दजला (टिगरिस) और फरात (इयुफ्रेटीस) नदियों के बीच में पड़ता है। मेसोपोटामिया को अब 'इराक' कहते हैं। यह कांस्य युगीन सभ्यता का उद्गम स्थल माना जाता है। यहां सुमेर, अक्कदी सभ्यता, बेबीलोन तथा असीरिया के साम्राज्य अलग-अलग समय में स्थापित हुए थे। यहां का प्रसिद्ध प्राचीन नगर 'उर' है, जिसे 'इब्राहिम का नगर' भी कहते हैं। निमरुद (मारी), उरुक, सूसा (ईरान) तथा लगाश यहां के प्राचीन उत्खनन के विशेष क्षेत्र रहे हैं।
||'[[मेसोपोटामिया]]' का यूनानी अर्थ है- 'दो नदियों के बीच'। यह क्षेत्र दजला (टिगरिस) और फरात (इयुफ्रेटीस) नदियों के बीच में पड़ता है। मेसोपोटामिया को अब 'इराक' कहते हैं। यह कांस्य युगीन सभ्यता का उद्गम स्थल माना जाता है। यहां सुमेर, अक्कदी सभ्यता, बेबीलोन तथा असीरिया के साम्राज्य अलग-अलग समय में स्थापित हुए थे। यहां का प्रसिद्ध प्राचीन नगर 'उर' है, जिसे 'इब्राहिम का नगर' भी कहते हैं। निमरुद (मारी), उरुक, सूसा (ईरान) तथा लगाश यहां के प्राचीन उत्खनन के विशेष क्षेत्र रहे हैं।


{फ़्राँस की 'लासकाक्स गुफ़ा' की खोज कब हुई थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-18,प्रश्न-4
{आधुनिक भारतीय चित्रकला के पितामह कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-86
|type="()"}
|type="()"}
-1841 ई. में
+अबनींद्रनाथ टैगोर
-1930 ई. में
-[[रबींद्रनाथ टैगोर]]
+1940 ई. में
-[[गगनेंद्रनाथ टैगोर]]
-1741 ई. में
-क्षितींद्रनाथ टैगोर
||फ़्राँस के लासकाक्स की गुफ़ाओं की खोज ब्रुइल ने वर्ष 1940 में की थी। दक्षिणी फ़्राँस में स्थित यह गुफ़ा फैंको-कैंटेब्रियन क्षेत्र में उपलब्ध गुफ़ा चित्रों में सर्वश्रेष्ठ है। यहां के चित्र आश्चर्यजनक रूप से सुरक्षित भी हैं और इनमें बड़ी चमक भी है। यहां के 'विशाल कक्ष' का एक नाम 'जंगली वृषमों वाला कक्ष' भी है। इसके चित्र बड़े मार्मिक हैं, जिनमें तीन पूर्ब तथा एक अपूर्ण आकृति अंकित है। इसी वर्ग में वह आकृति है जिसे एक सींग वाला अश्व कहा गया है। यहां हरिण तथा दो महिष (Bison-बाइसन) की आकृतियां भी प्राप्त होती हैं। लगभग अठारह फीट लंबाई में अंकित ये चित्र हिमयुगीन कला का एक विशिष्ट पक्ष हैं।
||अबनीन्द्रनाथ टैगोर को 'आधुनिक भारतीय चित्रकला का पितामह' कहा जाता है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) अबनीन्द्रनाथ टैगोर 'इंडियन सोसाइटी ऑफ़  ओरियंटल आर्ट' के निर्माता तथा मुख्य चित्रकार थे। (2) वे [[भारतीय कला]] में स्वदेशी मूल्यों को पिरोने वाले पहले भारतीय चित्रकार थे। (3) 'बंगाल स्कूल ऑफ़ आर्ट' की स्थापना अबनीन्द्रनाथ टैगोर ने की थी।


{सर्वप्रथम लघुचित्र किस पर बनाए गए? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-40,प्रश्न-2
{सर्वप्रथम लघुचित्र किस पर बनाए गए? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-40,प्रश्न-2
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-कांच
-कांच
-वस्त्र
-वस्त्र
||भारत में बंगाल के पाल शासकों के काल में ताल के पत्तों तथा बाद में काग़ज़ पर लद्यु चित्रकारी का प्रचलन बढ़ा। कालांतर में भारत में लघु चित्रकारी कला या मिनीएचर आर्ट का प्रारंभ मुग़लों द्वारा किया गयाजो 'मुग़ल शैली' के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस प्रसिद्ध कला को फ़राज (पर्शिया या ईरान) से लेकर आया माना जाता है। सर्वप्रथम मुग़ल शासक हुमायूं ने फ़राज़ से लघुसे लघु चित्रकारी में विशेषज्ञ कलाकारों को बुलवाया था। मुग़ल बादशाह अकबर ने भी इस भव्य कला को बढ़ावा दिया।
||[[भारत]] में [[बंगाल]] के पाल शासकों के काल में ताल के पत्तों तथा बाद में काग़ज़ पर लद्यु चित्रकारी का प्रचलन बढ़ा। कालांतर में भारत में लघु चित्रकारी कला या मिनीएचर आर्ट का प्रारंभ मुग़लों द्वारा किया गया जो 'मुग़ल शैली' के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस प्रसिद्ध [[कला]] को फ़राज (पर्शिया या [[ईरान]]) से लेकर आया माना जाता है। सर्वप्रथम मुग़ल शासक [[हुमायूं]] ने फ़राज़ से लघु चित्रकारी में विशेषज्ञ कलाकारों को बुलवाया था। मुग़ल बादशाह [[अकबर]] ने भी इस भव्य कला को बढ़ावा दिया। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) इस शैली के चित्रकारों को [[जहांगीर]] व [[शाहजहां]] ने भी भरपूर प्रश्रय दिया। (2) [[मुग़ल काल]] में राजस्थान में इस चित्रकला के कई स्कूल प्रारम्भ हुए। (3) भौगोलिक स्थिती, सांस्कृतिक एंव शैलीगत विशेषताओं के आधार पर इन स्कूलों को चार भागों में विभाजित किया गया, ये हैं- मेवाड़ स्कूल, मारवाड़ स्कूल, हाड़ौती स्कूल, ढूंढाड़ स्कूल।


{'निहालचंद' कलाकार किस शैली से संबंधित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-48,प्रश्न-14
{'[[निहाल चंद' कलाकार किस शैली से संबंधित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-48,प्रश्न-14
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-जैन शैली
-जैन शैली
-उपभ्रंश शैली
-उपभ्रंश शैली
-आधुनिक शैली
-आधुनिक शैली
+राजस्थानी शैली
+[[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी शैली]]
||निहालचंद राजस्थानी चित्रकला शैली की किशनगढ़ उपशैली से संबंधित हैं। निहालचंद द्वारा चित्रित चित्रों का संकलन 'नागर समुच्चय' नामक से प्रसिद्ध है।
||निहाल चंद [[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी चित्रकला शैली]] की किशनगढ़ उपशैली से संबंधित हैं। निहालचंद द्वारा चित्रित चित्रों का संकलन 'नागर समुच्चय' नामक से प्रसिद्ध है।


{मुग़ल चित्रकला शैली का स्वर्ण युग कहा जाता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-57,प्रश्न-14
{प्रख्यात मूर्तिकार चिंतामणि कर निम्नलिखित में से किस ललित कला विद्यालय में प्रधानाचार्य थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-89,प्रश्न-87
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|type="()"}
-बाबर का
-मद्रास कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स
-अकबर का
-लखनऊ कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स
+जहांगीर का
-दिल्ली कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स
-शाहजहां का
+कलकत्ता कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स
||शाहजहां (1627-1656 ई.) ने लगभग 30 वर्षों तक शासन किया। उसका यह शासन मुग़ल इतिहास में विशेष महत्त्व रखता है। यह समय मुग़ल साम्राज्य अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच चुका था। साम्राज्य की विशालता, सुदृढ़ता, आर्थिक संपन्नता और सांस्कृतिक वैभव को देखते हुए कई इतिहासकारों ने इस काल को मुग़ल इतिहास के 'स्वर्ण युग' की संज्ञा दी है, परन्तु इस परंपरागत विचारधारा के आलोचक इतिहासकार भी हैं जिनके अनुसार, शाहजहां का शासनकाल एक विरोधाभास है जिसमें एक ओर उन्नति और प्रगति है तो दूसरी ओर ऐसी समस्याएं भी हैं जो मुग़ल साम्राज्य के पतन के बीच बोने में सहातक हुई।
||प्रख्यात मूर्तिकार चिंतामणि कर कलकत्ता कॉलेज आर्ट्स, में प्रधानाचार्य थे। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकर हैं- (1) वर्ष [[1948]] में [[लंदन]] में आयोजित [[ओलंपिक खेल|ओलंपिक]] में चिंतामणि ने [[ब्रिटेन]] की तरफ़ से शामिल होकर रजत पदक जीता था। (2) इन्होंने मेडल अपने महत्त्वपूर्ण कार्य 'द स्टैग' के लिए जीता।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
.शाहजहां का शासनकाल सही अर्थों में 'मुग़ल स्थापत्य कला का स्वर्ण युग' माना जा सकता है।
.जहांगीर का काल 'चित्रकला का स्वर्ण युग' कहा जा सकता है।
.अकबर का शासनकाल 'साहित्य तथा संगीत के क्षेत्र में स्वर्ण युग' माना जा सकता है।
.अकबर ने स्वयं चित्रकला सीखी थी और उसने चित्रकारी का कुछ अभ्यास भी किया था। मुग़ल दरबार में चित्रकला को प्रोत्साहन अकबर के समय से ही मिलने लगा था।


{निम्न में से कौन-सा राजस्थानी चित्रकला का केंद्र नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-3
{निम्न में से कौन-सा [[राजस्थानी चित्रकला]] का केंद्र नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-3
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-किशनगढ़
-[[किशनगढ़]]
-बूंदी
-[[बूंदी]]
-चावंड
-[[चावंड उदयपुर|चावंड]]
+गुलेर
+गुलेर
||गुलेर चित्रकला का संबंध पहाड़ी कला से है। पहाड़ी कला में कांगड़ा शैली को रंग-रूप देने एवं ऊंचाइयों तक पहुंचाने का महत्त्वपूर्ण कार्य करने वाली शैली 'गुलेर' ही थी। गुलेर राज्य की स्थापना राजा हरि चंद ने 1405 ई. कांगड़ा राज्य के एक शाखा के रूप में की थी। गुलेर के राजा गोवर्धन सिंह के समय में निश्चित रूप से चित्र बनने लगे।
||गुलेर चित्रकला का संबंध [[पहाड़ी चित्रकला|पहाड़ी कला]] से है। पहाड़ी कला में कांगड़ा शैली को रंग-रूप देने एवं ऊंचाइयों तक पहुंचाने का महत्त्वपूर्ण कार्य करने वाली शैली 'गुलेर' ही थी। गुलेर राज्य की स्थापना राजा हरि चंद ने 1405 ई. [[कांगड़ा|कांगड़ा राज्य]] के एक शाखा के रूप में की थी। गुलेर के राजा गोवर्धन सिंह के समय में निश्चित रूप से चित्र बनने लगे। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) देवगढ़ चित्रशैली का संबंध [[राजस्थानी चित्रकला]] से था। (2) शेखावटी चित्रकला शैली का संबंध राजस्थानी चित्रकला से था। (3) परदाज का प्रयोग अलवर चित्र शैली राजस्थानी चित्र शैली में अर्शनीय होते हैं। (4) गुलेर राज्य को मुग़ल संरक्षण भी प्राप्त था। गुलेर के राजा रूपचंद को '[[मानसिंह]]' का समर्थन मिला। (4) राजा मानसिंह, [[शाहजहां]] एवं [[औरंगजेब]] के लिए यहां के राजा ने [[अफ़ग़ानिस्तान]] एवं [[कंधार]] के युद्ध में हिस्सा लिया। इससे प्रसन्न होकर मुग़ल शहंशाहों ने 'अफ़गानी चीता' की उपाधि प्रदान की, तभी से यहां के राजा 'चंद' के स्थान पर 'सिंह' लिखने लगे।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
.देवगढ़ चित्रशैली का संबंध राजस्थानी चित्रकला से था।
.शेखावटी चित्रकला शैली का संबंध राजस्थानी चित्रकला से था।
.परदाज का प्रयोग अलवर चित्र शैली राजस्थानी चित्र शैली में अर्शनीय होते हैं।
.गुलेर राज्य को मुग़ल संरक्षण भी प्राप्त था। गुलेर के राजा रूपचंद को 'मानसिंह' का समर्थन मिला।
.राजा मानसिंह, शाहजहां एवं औरंगजेब के लिए यहां के राजा ने अफगानिस्तान एवं कंधार के युद्ध में हिस्सा लिया। इससे प्रशन्न होकर मुग़ल शहंशाहों ने 'अफगानी चीता' की उपाधि प्रदान की, तभी से यहां के राजा 'चंद' के स्थान पर 'सिंह' लिखने लगे।


{बंगाल चित्र-शैली इनमें से एक विशेषता के कारण जानी जाती है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-4
{बंगाल चित्र-शैली इनमें से किस एक विशेषता के कारण जानी जाती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-4
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-ऑयल तकनीक
-ऑयल तकनीक
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-मिनिएचर तकनीक
-मिनिएचर तकनीक
-म्यूरल तकनीक
-म्यूरल तकनीक
||भारतीय चित्रकला के पुर्जागरण का श्रेय बंगाल शैली को दिया जाता है। इसी शैली को 'टैगोर शैली', वॉश शैली', 'पुनरुत्थान या पुनर्जागरण शैली' भी कहा जाता है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई और भारतीय चित्रकला ने पाश्चात्य के प्रभाव से मुक्ति पाई। यहीं से भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास आरंभ होता है। बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक अबनीन्द्रनाथ टैगोर थे।
||[[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] के पुर्जागरण का श्रेय बंगाल शैली को दिया जाता है। इसी शैली को 'टैगोर शैली', वॉश शैली', 'पुनरुत्थान या पुनर्जागरण शैली' भी कहा जाता है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई और भारतीय चित्रकला ने पाश्चात्य के प्रभाव से मुक्ति पाई। यहीं से भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास आरंभ होता है। बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक अबनीन्द्रनाथ टैगोर थे।


{इनमें से कौन बंगाल शैली का चित्रकार नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-84
{इनमें से कौन बंगाल शैली का चित्रकार नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-84
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{'वाल्ट डिजनी' जनक है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-197,प्रश्न-89
{'वाल्ट डिजनी' को किसका जनक माना जाता है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-197,प्रश्न-89
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-स्टिल फोटोग्राफी के
-स्टिल फोटोग्राफी
+एनीमेशन प्रक्रिया के
+एनीमेशन प्रक्रिया
-वीडियों फिल्मिंग के
-वीडियों फ़िल्मिंग
-ब्लॉक मेकिंग के
-ब्लॉक मेकिंग
||'वाल्ट डिजनी' फिल्म को एनिमेशन तकनीक से बनाया गया है इसीलिए 'आल्ट डिजनी' को एनीमेशन प्रक्रिया का जनक माना जाता है। वाल्टर इलियास डिजनी एक अमेरिकन थे।
||'वाल्ट डिजनी' फ़िल्म को एनिमेशन तकनीक से बनाया गया है इसीलिए 'आल्ट डिजनी' को एनीमेशन प्रक्रिया का जनक माना जाता है। वाल्टर इलियास डिजनी एक अमेरिकन थे। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) वाल्टर इलियाम डिजनी का जन्म [[5 दिसंबर]], [[1901]] में इलिनोयस ([[शिकागो]]) में हुआ था। (2) इन्होंने आधुनिक अमेरिकन कला के रूप में 'मोशन पिक्चर उद्योग' का विस्तार किया। (3) वाल्टर डिजनी ने 'द एलीस कॉमेडीज' को बनाया। (4) [[21 दिसंबर]], [[1937]] में बनाई गई एनिमेशन फ़िल्म 'स्नोह्वाइट एंड सेवेन डवार्पस' उनकी पहली संगीतमयी पूर्ण फ़िल्म थी जिसे लॉस एंजिल्स के कैर्थी थिएटर में दिखाया गया। (5) वाल्टर डिजनी स्टूडियो द्वारा बनाई गई प्रमुख फ़िल्में हैं- 'पिनोच्चियो (Pinocchio), 'फनटासिया' (Fantasia),  'डूम्बो' (Dumdo), 'बाम्बी, (Bamby)|
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
.वाल्टर इलियाम डिजनी का जन्म 5 दिसंबर, 1901 में इलिनोयस (शिकागो) में हुआ था।
.इन्होंने आधुनिक अमेरिकन कला के रूप में 'मोशन पिक्चर उद्योग' का विस्तार किया।
.वाल्टर डिजनी ने 'द एलीस कॉमेडीज' को बनाया।
.21 दिसंबर, 1937 में बनाई गई एनिमेशन फिल्म 'स्नोह्वाइट एंड सेवेन डवार्पस' उनकी पहली संगीतमयी पूर्ण फिल्म थी जिसे लॉस एंजिल्स के कैर्थी थिएटर में दिखाया गया।
.वाल्टर डिजनी स्टूडियो द्वारा बनाई गई प्रमुख फिल्में हैं- 'पिनोच्चियो (Pinocchio), 'फनटासिया' (Fantasia),  'डूम्बो' (Dumdo), 'बाम्बी, (Bamby)|


{सबसे ऊंची बुद्ध की मूर्ति जो हाल में ध्वस्त की गई थी, कहां स्थित थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-235,प्रश्न-363
{सबसे ऊंची [[महात्मा बुद्ध] की मूर्ति जो हाल में ध्वस्त की गई थी, कहां स्थित थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-235,प्रश्न-363
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-काबुल
-[[काबुल]]
-कुंदुल
-कुंदुल
+बामियान
+[[बामियान]]
-कैसर
-कैसर
||सबसे ऊंची बुद्ध की मूर्ति जो हल ही में ध्वस्त की गई थी, वह बामियान में स्थित थी। तत्कालीन तालिबान नेता मुल्ला मोहम्मद उमर के आदेश पर इसे वर्ष 2001 में नष्ट कर दिया गया था। इसका निर्माण गंधार कला शैली में हुआ है।
||सबसे ऊंची [[महात्मा बुद्ध]] की मूर्ति जो हल ही में ध्वस्त की गई थी, वह [[बामियान]] में स्थित थी। तत्कालीन तालिबान नेता मुल्ला मोहम्मद उमर के आदेश पर इसे वर्ष [[2001]] में नष्ट कर दिया गया था। इसका निर्माण गंधार कला शैली में हुआ है।


{मेसोपोटामिया की सभ्यता किस देश की है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-16
{[[मेसोपोटामिया]] की सभ्यता किस देश की है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-16
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-पाकिस्तान
-[[पाकिस्तान]]
-ईरान
-[[ईरान]]
-अफगानिस्तान
-[[अफ़ग़ानिस्तान]]
+इराक
+इराक
||'मेमोपोटामिया' का यूनानी अर्थ है- 'दो नदियों के बीच'। यह क्षेत्र दजला (टिगरिस) और फरात (इयुफ्रेटीस) नदियों के बीच में पड़ता है। मेसोपोटामिया को अब 'इराक' कहते हैं। यह कांस्य युगीन सभ्यता का उद्गम स्थल माना जाता है। यहां सुमेर, अक्कदी सभ्यता, बेबीलोन तथा असीरिया के साम्राज्य अलग-अलग समय में स्थापित हुए थे। यहां का प्रसिद्ध प्राचीन नगर 'उर' है, जिसे 'इब्राहिम का नगर' भी कहते हैं। निमरुद (मारी), उरुक, सूसा (ईरान) तथा लगाश यहां के प्राचीन उत्खनन के विशेष क्षेत्र रहे हैं।
||'[[मेमोपोटामिया]]' का यूनानी अर्थ है- 'दो नदियों के बीच'। यह क्षेत्र दजला (टिगरिस) और फरात (इयुफ्रेटीस) नदियों के बीच में पड़ता है। मेसोपोटामिया को अब 'इराक' कहते हैं। यह कांस्य युगीन सभ्यता का उद्गम स्थल माना जाता है। यहां सुमेर, अक्कदी सभ्यता, बेबीलोन तथा असीरिया के साम्राज्य अलग-अलग समय में स्थापित हुए थे। यहां का प्रसिद्ध प्राचीन नगर 'उर' है, जिसे 'इब्राहिम का नगर' भी कहते हैं। निमरुद (मारी), उरुक, सूसा (ईरान) तथा लगाश यहां के प्राचीन उत्खनन के विशेष क्षेत्र रहे हैं।


{लासकाक्स की गुफ़ाओं में दीर्घकाय पशु आकृतियां हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-18,प्रश्न-5
{लासकाक्स की गुफ़ाओं में किस दीर्घकाय पशु की आकृति हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-18,प्रश्न-5
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-सिंह की
-[[सिंह]]
-हाथी की
-[[हाथी]]
-डायनासोर की
-डायनासोर
+बाइसन की
+बाइसन (महिष)
||फ़्राँस के लासकाक्स की गुफ़ाओं की खोज ब्रुइल ने वर्ष 1940 में की थी। दक्षिणी फ़्राँस में स्थित यह गुफ़ा फैंको-कैंटेब्रियन क्षेत्र में उपलब्ध गुफ़ा चित्रों में सर्वश्रेष्ठ है। यहां के चित्र आश्चर्यजनक रूप से सुरक्षित भी हैं और इनमें बड़ी चमक भी है। यहां के 'विशाल कक्ष' का एक नाम 'जंगली वृषमों वाला कक्ष' भी है। इसके चित्र बड़े मार्मिक हैं, जिनमें तीन पूर्ब तथा एक अपूर्ण आकृति अंकित है। इसी वर्ग में वह आकृति है जिसे एक सींग वाला अश्व कहा गया है। यहां हरिण तथा दो महिष (Bison-बाइसन) की आकृतियां भी प्राप्त होती हैं। लगभग अठारह फीट लंबाई में अंकित ये चित्र हिमयुगीन कला का एक विशिष्ट पक्ष हैं।
||[[फ़्राँस]] के लासकाक्स की गुफ़ाओं की खोज ब्रुइल ने वर्ष [[1940]] में की थी। दक्षिणी फ़्राँस में स्थित यह गुफ़ा फैंको-कैंटेब्रियन क्षेत्र में उपलब्ध गुफ़ा चित्रों में सर्वश्रेष्ठ है। यहां के चित्र आश्चर्यजनक रूप से सुरक्षित भी हैं और इनमें बड़ी चमक भी है। यहां के 'विशाल कक्ष' का एक नाम 'जंगली वृषमों वाला कक्ष' भी है। इसके चित्र बड़े मार्मिक हैं, जिनमें तीन पूर्ब तथा एक अपूर्ण आकृति अंकित है। इसी वर्ग में वह आकृति है जिसे एक सींग वाला अश्व कहा गया है। यहां हरिण तथा दो महिष (Bison-बाइसन) की आकृतियां भी प्राप्त होती हैं। लगभग अठारह फ़ीट लंबाई में अंकित ये चित्र हिमयुगीन कला का एक विशिष्ट पक्ष हैं।


{भारत में सचित्र पुस्तकें सर्वप्रथम किस माध्यम पर बनीं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-40,प्रश्न-3
{[[भारत]] में सचित्र पुस्तकें सर्वप्रथम किस माध्यम पर बनीं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-40,प्रश्न-3
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-कपड़े पर
-कपड़े  
+ताल-पत्रों पर
+ताल-पत्रों  
-काग़ज़ पर
-काग़ज़
-लकड़ी के पट्टों पर
-लकड़ी के पट्टे
||भारत में बंगाल के पाल शासकों के काल में ताल के पत्तों तथा बाद में काग़ज़ पर लद्यु चित्रकारी का प्रचलन बढ़ा। कालांतर में भारत में लघु चित्रकारी कला या मिनीएचर आर्ट का प्रारंभ मुग़लों द्वारा किया गयाजो 'मुग़ल शैली' के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस प्रसिद्ध कला को फ़राज (पर्शिया या ईरान) से लेकर आया माना जाता है। सर्वप्रथम मुग़ल शासक हुमायूं ने फ़राज़ से लघुसे लघु चित्रकारी में विशेषज्ञ कलाकारों को बुलवाया था। मुग़ल बादशाह अकबर ने भी इस भव्य कला को बढ़ावा दिया।
||[[भारत]] में [[बंगाल]] के पाल शासकों के काल में ताल के पत्तों तथा बाद में काग़ज़ पर लद्यु चित्रकारी का प्रचलन बढ़ा। कालांतर में भारत में लघु चित्रकारी कला या मिनीएचर आर्ट का प्रारंभ मुग़लों द्वारा किया गया जो 'मुग़ल शैली' के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस प्रसिद्ध [[कला]] को फ़राज (पर्शिया या [[ईरान]]) से लेकर आया माना जाता है। सर्वप्रथम मुग़ल शासक [[हुमायूं]] ने फ़राज़ से लघु चित्रकारी में विशेषज्ञ कलाकारों को बुलवाया था। मुग़ल बादशाह [[अकबर]] ने भी इस भव्य कला को बढ़ावा दिया। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) इस शैली के चित्रकारों को [[जहांगीर]] व [[शाहजहां]] ने भी भरपूर प्रश्रय दिया। (2) [[मुग़ल काल]] में [[राजस्थान]] में इस चित्रकला के कई स्कूल प्रारम्भ हुए। (3) भौगोलिक स्थिती, सांस्कृतिक एंव शैलीगत विशेषताओं के आधार पर इन स्कूलों को चार भागों में विभाजित किया गया, ये हैं- मेवाड़ स्कूल, मारवाड़ स्कूल, हाड़ौती स्कूल, ढूंढाड़ स्कूल।


{राजपूत शैली किसका सम्मिलित नाम है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-49,प्रश्न-15
{[[राजपूत चित्रकला|राजपूत शैली]] किसका सम्मिलित नाम है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-49,प्रश्न-15
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-राजस्थानी-मुग़ल
-[[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी शैली]]-[[मुग़ल चित्रकला|मुग़ल शैली]]
-अपभ्रंश-किशनगढ़
-अपभ्रंश शैली-किशनगढ़ शैली
+राजस्थानी-पहाड़ी
+[[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी शैली]]-[[पहाड़ी चित्रकला|पहाड़ी शैली]]
-जयपुर-ईरानी
-जयपुर शैली-ईरानी शैली
||राजपूत चित्रकला शैली का सबसे पहले वैज्ञानिक विभाजन डॉ. आनन्द कुमारस्वामी ने 'राजपूत पेंटिंग' नामक पुस्तक में वर्ष 1916 में प्रस्तुत किया तथा राजपूत कला का विषय राजपूताना अर्थात राजस्थान और पंजाब की पहाड़ी रियासतों से संबंधित माना। उन्होंने राजपूत चित्रकला को दो भागों अर्थात राजस्थानी और पहाड़ी में विभक्त किया है। जम्मू, कांगड़ा, गढ़वाला, बसौली, चंबा आदि पहाड़ी रियासतों से संबंधित हैं।
||राजपूत चित्रकला शैली का सबसे पहले वैज्ञानिक विभाजन [[आनन्द कुमारस्वामी|डॉ. आनन्द कुमारस्वामी]] ने 'राजपूत पेंटिंग' नामक पुस्तक में वर्ष [[1916]] में प्रस्तुत किया तथा राजपूत कला का विषय राजपूताना अर्थात [[राजस्थान]] और [[पंजाब]] की पहाड़ी रियासतों से संबंधित माना। उन्होंने [[राजपूत चित्रकला]] को दो भागों अर्थात [[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी]] और [[पहाड़ी चित्रकला|पहाड़ी]] में विभक्त किया है। [[जम्मू]], [[कांगड़ा]], [[गढ़वाल]], [[बसौली]], [[चंबा]] आदि पहाड़ी रियासतों से संबंधित हैं।


{मुग़ल काल में चित्रकला का उत्कर्ष किसके राज्यकाल में हुआ था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-57,प्रश्न-15
{[[मुग़ल काल]] में [[चित्रकला]] का उत्कर्ष किसके राज्यकाल में हुआ था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-57,प्रश्न-15
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-अकबर
-[[अकबर]]
-शाहजहां
-[[शाहजहां]]
-औरंगजेब
-[[औरंगजेब]]
+जहांगीर
+[[जहांगीर]]
||शाहजहां (1627-1656 ई.) ने लगभग 30 वर्षों तक शासन किया। उसका यह शासन मुग़ल इतिहास में विशेष महत्त्व रखता है। यह समय मुग़ल साम्राज्य अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच चुका था। साम्राज्य की विशालता, सुदृढ़ता, आर्थिक संपन्नता और सांस्कृतिक वैभव को देखते हुए कई इतिहासकारों ने इस काल को मुग़ल इतिहास के 'स्वर्ण युग' की संज्ञा दी है, परन्तु इस परंपरागत विचारधारा के आलोचक इतिहासकार भी हैं जिनके अनुसार, शाहजहां का शासनकाल एक विरोधाभास है जिसमें एक ओर उन्नति और प्रगति है तो दूसरी ओर ऐसी समस्याएं भी हैं जो मुग़ल साम्राज्य के पतन के बीच बोने में सहातक हुई।
||[[शाहजहां]] (1627-1656 ई.) ने लगभग 30 वर्षों तक शासन किया। उसका यह शासन मुग़ल इतिहास में विशेष महत्त्व रखता है। यह समय [[मुग़ल साम्राज्य]] अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच चुका था। साम्राज्य की विशालता, सुदृढ़ता, आर्थिक संपन्नता और सांस्कृतिक वैभव को देखते हुए कई इतिहासकारों ने इस काल को मुग़ल इतिहास के 'स्वर्ण युग' की संज्ञा दी है, परन्तु इस परंपरागत विचारधारा के आलोचक इतिहासकार भी हैं जिनके अनुसार, शाहजहां का शासनकाल एक विरोधाभास है जिसमें एक ओर उन्नति और प्रगति है तो दूसरी ओर ऐसी समस्याएं भी हैं जो मुग़ल साम्राज्य के पतन के बीच बोने में सहातक हुई। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) शाहजहां का शासनकाल सही अर्थों में 'मुग़ल स्थापत्य कला का स्वर्ण युग' माना जा सकता है। (2) [[जहांगीर]] का काल 'चित्रकला का स्वर्ण युग' कहा जा सकता है। (3) [[अकबर]] का शासनकाल 'साहित्य तथा संगीत के क्षेत्र में स्वर्ण युग' माना जा सकता है। (4) अकबर ने स्वयं चित्रकला सीखी थी और उसने चित्रकारी का कुछ अभ्यास भी किया था। मुग़ल दरबार में चित्रकला को प्रोत्साहन अकबर के समय से ही मिलने लगा था।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
.शाहजहां का शासनकाल सही अर्थों में 'मुग़ल स्थापत्य कला का स्वर्ण युग' माना जा सकता है।
.जहांगीर का काल 'चित्रकला का स्वर्ण युग' कहा जा सकता है।
.अकबर का शासनकाल 'साहित्य तथा संगीत के क्षेत्र में स्वर्ण युग' माना जा सकता है।
.अकबर ने स्वयं चित्रकला सीखी थी और उसने चित्रकारी का कुछ अभ्यास भी किया था। मुग़ल दरबार में चित्रकला को प्रोत्साहन अकबर के समय से ही मिलने लगा था।


{नैनसुख किस शैली का चित्रकार था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-4
{नैनसुख किस शैली का चित्रकार था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-4
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+गुलेर
+गुलेर शैली
-कांगड़ा
-[[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा शैली]]
-बसौली
-बसौली शैली
-गढ़वाल
-[[गढ़वाल चित्रकला|गढ़वाल शैली]]
||नैनसुख गुलेर शैली का एक प्रसिद्ध चित्रकार था। 1740 ई. में मैदानी प्रदेश से आए मुग़ल कलाकारों ने नैनसुख के साथ मिलकर काम किया तथा जम्मू के राजा बलदेव सिंह के राज परिवार के लिए चित्र भी बनाए।
||नैनसुख गुलेर शैली का एक प्रसिद्ध चित्रकार था। 1740 ई. में मैदानी प्रदेश से आए मुग़ल कलाकारों ने नैनसुख के साथ मिलकर काम किया तथा [[जम्मू]] के राजा बलदेव सिंह के राज परिवार के लिए चित्र भी बनाए।


{बंगाल कला शैली किस तकनीक से जानी जाती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-5
{बंगाल कला शैली किस तकनीक से जानी जाती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-5
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+वॉश तकनीक
+वॉश तकनीक
-टेम्परा तकनीक
-टेम्परा तकनीक
||भारतीय चित्रकला के पुर्जागरण का श्रेय बंगाल शैली को दिया जाता है। इसी शैली को 'टैगोर शैली', वॉश शैली', 'पुनरुत्थान या पुनर्जागरण शैली' भी कहा जाता है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई और भारतीय चित्रकला ने पाश्चात्य के प्रभाव से मुक्ति पाई। यहीं से भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास आरंभ होता है। बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक अबनीन्द्रनाथ टैगोर थे।
||[[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] के पुर्जागरण का श्रेय बंगाल शैली को दिया जाता है। इसी शैली को 'टैगोर शैली', वॉश शैली', 'पुनरुत्थान या पुनर्जागरण शैली' भी कहा जाता है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई और भारतीय चित्रकला ने पाश्चात्य के प्रभाव से मुक्ति पाई। यहीं से भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास आरंभ होता है। बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक अबनीन्द्रनाथ टैगोर थे।


{जामिनी राय की प्रसिद्ध कृति 'मां एवं शिशु' चित्र का माध्यम- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-85
{चित्रकार [[जामिनी राय]] की प्रसिद्ध कलाकृति 'मां एवं शिशु' का माध्यम क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-85
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+कैनवास पर तैल रंग
+कैनवास पर तैल रंग
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-टेम्परा
-टेम्परा
-वॉश
-वॉश
||जामिनी राय ने अपनी प्रसिद्ध कृति 'मां एवं शिशु' का चित्रण कैनवास पर तैल रंग से किया। जिसका विवरण राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, नई दिल्ली की वेबसाइट (ngmaindia.gov.in/hindi.sh-jamini-roy.asp) पर संग्रहीत है। उ.प्र. माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड ने इसका उत्तर अपने प्रारंभिक उत्तर-कुंजी में विकल्प (a) दिया था किंतु परिवर्तित उत्तर-कुंजी में गलत बताया है।
||[[जामिनी राय]] ने अपनी प्रसिद्ध कृति 'मां एवं शिशु' का चित्रण कैनवास पर तैल रंग से किया। जिसका विवरण राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, [[नई दिल्ली]] की वेबसाइट (ngmaindia.gov.in/hindi.sh-jamini-roy.asp) पर संग्रहीत है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) जामिनी राय ने अधिकांशत: जमीनी या प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया। (2) इन्होंने स्थानीय लोक कलाओं की विषय-वस्तु को अपनी [[कला]] में समावेश किया। (3) इन्होंने [[रामायण]] और [[कृष्णलीला]] के दृश्यों को अपनी कला में उतारा। (4) इन्होंने गांव के स्त्री-पुरुष का चित्रण किया तथा पटुआ के संग्रह से लोकप्रिय प्रतिबिंबों को पुन: लोगों के बीच प्रस्तुत किया। (5) 'बाउल एवं बैठी हुई महिला' उनके चित्रकारी का उत्कृष्ट उदाहरण है।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
.जामिनी राय ने अधिकांशत: जमीनी या प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया।
.इन्होंने स्थानीय लोक कलाओं की विषय-वस्तु को अपनी कला में समावेश किया।
.इन्होंने रामायण और कृष्ण लीला के दृश्यों को अपनी कला में उतारा।
.इन्होंने गांव के स्त्री-पुरुष का चित्रण किया तथा पटुआ के संसार से लोकप्रिय प्रतिबिंबों को पुन: लोगों के बीच प्रस्तुत किया।
.'बाउल एवं बैठी हुई महिला' उनके चित्रकारी का उत्कृष्ट उदाहरण है।
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12:19, 21 अप्रैल 2017 का अवतरण

1 पौराणिक रूप से प्रथम चित्रकार किसको माना जाता हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-196,प्रश्न-84

ब्रह्मा
विष्णु
महेश
नारद

2 मनुष्य निर्मित सर्वाधिक प्राचीन स्थापत्य कौन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-234,प्रश्न-359

द रेनडियर
द वीनस ऑफ़ विलेन्डार्फ
द हेड ऑफ़ वार्का
द डांसिंग गर्ल

3 प्रागैतिहासिक चित्र सामान्यतया किसके द्वारा निर्मित किए गए हैं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-6,प्रश्न-11

तैल-पेस्टल्स
जल रंग
स्याही
गेरू व चारकोल

4 'वृषभों वाला कक्ष' किस गुफ़ा में स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-18,प्रश्न-1

तीन भाइयों की गुफ़ा
नियो की गुफ़ाएं
लासकाक्स की गुफ़ाएं
अल्टामीरा की गुफ़ाएं

5 गोथिक कला की मूर्तिकला का उच्चतम शास्त्रीय रूप कहाँ पाया जाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-39,प्रश्न-16

नाट्रेडम गिर्जा
रीम्स गिर्जा
एमिएंस गिर्जाज
बूर्जेस गिर्जा

6 इनमें से कौन असंबद्ध है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-48,प्रश्न-11

आगरा शैली
लखनऊ शैली
दिल्ली शैली
कोटा शैली

7 मुग़ल चित्रकला किन दो शैलियों के मिश्रण से बनी है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-57,प्रश्न-11

राजस्थानी-दक्खिनी
कश्मीरी-पंजाबी
जैन-पाल
भारतीय-पर्शियन

8 सबसे अधिक कृष्णलीला के चित्र किस शैली में बने? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-72,प्रश्न-12

मुग़ल शैली
पहाड़ी शैली
राजस्थानी शैली
अपभ्रंश शैली

9 भारतीय चित्रकला के पुनर्जागरण का श्रेय किसे जाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-1

क्षेत्रीय मुग़ल शैली
कंपनी शैली
यूरोपियन शैली
बंगाल शैली

10 ईसा मसीह के जीवन पर आधारित चित्र किस कलाकार ने बनाए? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-81

एम.एफ. हुसैन
बेंद्रे
जामिनी राय
गगनेन्द्रनाथ टैगोर

11 'निमातनामा' पाक कला संबंधी वस्तुओं से संबंधित है। यह पांडुलिपि मालवा के सुल्तान ग़यासुद्दीन ख़िलजी के काल में लिखना प्रारंभ की गई थी। (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-196,प्रश्न-86

प्रेम दृश्य
युद्ध दृश्य
पाक कला संबंधी वस्तुएं
दरबारी दृश्य

12 आर. के. लक्ष्मण किस रूप में प्रसिद्ध हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-234,प्रश्न-360

वास्तुकार
कार्टूनिस्ट
उपन्यासकार
आंतरिक सज्जाकार

13 प्रागैतिहासिक चित्र उत्तर प्रदेश में कहां हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-6,प्रश्न-13

सिंहारिया
चंदौली
लखनिया
सारनाथ

14 यूरोप की प्रागैतिहासिक कला का लासकाक्स क्षेत्र कहाँ स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-18,प्रश्न-2

पश्चिमोत्तर जर्मनी
दक्षिणी फ़्राँस
उत्तर इटली
पूर्व स्पेन

15 गोथिक कला के किस चित्रकार ने इंद्रधनुषी रंगों में चित्रण किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-39,प्रश्न-17

जॉन प्यूसिल
मास्टर ऑफ़ मोलिन्स
जेरार्ड डेविड
एन्जर्स

16 राजस्थान के किस क्षेत्र की कला शैली पर जहांगीर एवं शाहजहां कालीन मुग़ल प्रभाव अधिक दिखाई देता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-48,प्रश्न-12

कोटा शैली -बूंदी शैली
किशनगढ़ शैली
उदयपुर शैली
जयपुर शैली

17 स्थिर चित्रण प्रमुख रूप से किस शैली में देखने को मिलता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-57,प्रश्न-12

बंगाल शैली
मुग़ल शैली
पाश्चात्य शैली
अजंता शैली

18 'गुलेर शैली' के लगभग कितने चित्र प्राप्त हैं, जो रामायण पर आधारित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-72,प्रश्न-1

15
206
11
14

19 बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-2

अमृता शेरगिल
अबनीन्द्रनाथ टैगोर
नंदलाल बोस
यामिनी राय

20 अबनीन्द्रनाथ ठाकुर के शिष्यों में निम्न में से कौन नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-82

देवी प्रसाद रायचौधरी
नंदलाल बोस
एल.एम. सेन
गोपाल घोष

21 "कलाकार कोई विशेष प्रकार का मनुष्य नहीं होता, बल्कि हर मनुष्य एक विशेष प्रकार का कलाकार होता है।" यह कथन किसका है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-197,प्रश्न-87

आनंद कुमारस्वामी
असित कुमार हल्दर
वासुदेवशरण अग्रवाल
रायकृष्ण दास

22 इनमें से प्रसिद्ध व्यंग चित्रकार कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-234,प्रश्न-261

बी.एन. आर्य
मदन लाल नागर
पी.सी. लिटिल
आर. के. लक्ष्मण

23 यूरोपीय प्रागैतिहासिक चित्रों के प्रमुख केंद्र कहां पर स्थित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-14

यूनान एवं मेसोपोटामिया
उत्तर फ़्राँस एवं इंग्लैंड
उत्तरी स्पेन एवं दक्षिणी फ़्राँस
इटली एवं फ़्राँस

24 'लासकाक्स' गुफ़ा की खोज कब हुई थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-18,प्रश्न-3

1810
1936
1832
1940

25 भारत में लघु चित्रों की शुरुआत किसने की? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-40,प्रश्न-1

राजपूत
मुग़ल
पाल
मौर्य

26 साहिब राम किस शैली के लघु चित्रों के चित्रकार थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-48,प्रश्न-13

जोधपुर शैली
किशनगढ़ शैली
मेवाड़ शैली
जयपुर शैली

27 किस बादशाह का समय मुग़ल काल का स्वर्ण युग कहा जाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-57,प्रश्न-13

अकबर
जहांगीर
बाबर
शाहजहां

28 शिकरे के साथ महिला किस शैली का चित्र है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-72,प्रश्न-2

गुलेर शैली
बसौली शैली
जयपुर शैली
चम्बा शैली

29 भारतीय कला में पुनरुत्थान किससे आरंभ होता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-3

पटना स्कूल
बिहार स्कूल
बंगाल स्कूल
ईस्टर्न स्कूल

30 शान्ति निकेतन में मध्य युगीन हिंदू संत के भित्ति चित्रों को किसने चित्रित किया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-83

नंदलाल बोस
रबींद्रनाथ टैगोर
बिनोद बिहारी मुखर्जी
के.जी. सुब्रमण्यन

31 प्रसिद्ध कलाकृति 'चक्का फेंकने वाला' का कलाकार कौन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-197,प्रश्न-88

पालीक्लीटस
रूबेन्स
राफेल
मायरॉन

32 एक ऐसे नेता का नाम बताइए जिसने अपनी जीविका का प्रारंभ एक कार्टून चित्रकार के रूप में किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-235,प्रश्न-362

आर. के. लक्ष्मण
बाल ठाकरे
वी.पी. सिंह
इंद्र कुमार गुजराल

33 दजला और फरात नदियों के दोआब में पनपी सभ्यता किसकी है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-15

मिस्त्र
ग्रीक
भारत
मेसोपोटामिया

34 आधुनिक भारतीय चित्रकला के पितामह कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-86

अबनींद्रनाथ टैगोर
रबींद्रनाथ टैगोर
गगनेंद्रनाथ टैगोर
क्षितींद्रनाथ टैगोर

35 सर्वप्रथम लघुचित्र किस पर बनाए गए? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-40,प्रश्न-2

काग़ज़
तालपत्र
कांच
वस्त्र

36 '[[निहाल चंद' कलाकार किस शैली से संबंधित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-48,प्रश्न-14

जैन शैली
उपभ्रंश शैली
आधुनिक शैली
राजस्थानी शैली

37 प्रख्यात मूर्तिकार चिंतामणि कर निम्नलिखित में से किस ललित कला विद्यालय में प्रधानाचार्य थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-89,प्रश्न-87

मद्रास कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स
लखनऊ कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स
दिल्ली कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स
कलकत्ता कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स

38 निम्न में से कौन-सा राजस्थानी चित्रकला का केंद्र नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-3

किशनगढ़
बूंदी
चावंड
गुलेर

39 बंगाल चित्र-शैली इनमें से किस एक विशेषता के कारण जानी जाती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-4

ऑयल तकनीक
वॉश तकनीक
मिनिएचर तकनीक
म्यूरल तकनीक

40 इनमें से कौन बंगाल शैली का चित्रकार नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-84

शारदा उकील
सुधीर खास्तगीर
मुकुल डे
ईश्वरी प्रसाद

41 'वाल्ट डिजनी' को किसका जनक माना जाता है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-197,प्रश्न-89

स्टिल फोटोग्राफी
एनीमेशन प्रक्रिया
वीडियों फ़िल्मिंग
ब्लॉक मेकिंग

42 सबसे ऊंची [[महात्मा बुद्ध] की मूर्ति जो हाल में ध्वस्त की गई थी, कहां स्थित थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-235,प्रश्न-363

काबुल
कुंदुल
बामियान
कैसर

43 मेसोपोटामिया की सभ्यता किस देश की है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-16

पाकिस्तान
ईरान
अफ़ग़ानिस्तान
इराक

44 लासकाक्स की गुफ़ाओं में किस दीर्घकाय पशु की आकृति हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-18,प्रश्न-5

सिंह
हाथी
डायनासोर
बाइसन (महिष)

45 भारत में सचित्र पुस्तकें सर्वप्रथम किस माध्यम पर बनीं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-40,प्रश्न-3

कपड़े
ताल-पत्रों
काग़ज़
लकड़ी के पट्टे

46 राजपूत शैली किसका सम्मिलित नाम है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-49,प्रश्न-15

राजस्थानी शैली-मुग़ल शैली
अपभ्रंश शैली-किशनगढ़ शैली
राजस्थानी शैली-पहाड़ी शैली
जयपुर शैली-ईरानी शैली

47 मुग़ल काल में चित्रकला का उत्कर्ष किसके राज्यकाल में हुआ था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-57,प्रश्न-15

अकबर
शाहजहां
औरंगजेब
जहांगीर

48 नैनसुख किस शैली का चित्रकार था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-4

गुलेर शैली
कांगड़ा शैली
बसौली शैली
गढ़वाल शैली

49 बंगाल कला शैली किस तकनीक से जानी जाती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-5

तैल तकनीक
लघु चित्रण तकनीक
वॉश तकनीक
टेम्परा तकनीक

50 चित्रकार जामिनी राय की प्रसिद्ध कलाकृति 'मां एवं शिशु' का माध्यम क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-85

कैनवास पर तैल रंग
कैनवास पर टेम्परा
टेम्परा
वॉश