"चंद्रवंशी": अवतरणों में अंतर

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*पौराणिक संदर्भों के अनुसार [[चंद्र देवता|चंद्रमा]] को तपस्वी [[अत्रि]] और [[अनुसूया]] की संतान बताया गया है जिसका नाम 'सोम' है।  
*पौराणिक संदर्भों के अनुसार [[चंद्र देवता|चंद्रमा]] को तपस्वी [[अत्रि]] और [[अनुसूया]] की संतान बताया गया है जिसका नाम 'सोम' है।  
*[[दक्ष]] प्रजापति की सत्ताईस पुत्रियाँ थीं जिनके नाम पर सत्ताईस नक्षत्रों के नाम पड़े हैं। ये सब चन्द्रमा को ब्याही गईं। चन्द्रमा का इनमें से [[रोहिणी]] के प्रति विशेष अनुराग था। चन्द्रमा के इस व्यवहार से अन्य पत्नियाँ दुखी हुईं तो दक्ष ने उसे शाप दिया कि वह क्षयग्रस्त हो जाए जिसकी वजह से [[पृथ्वी देवी|पृथ्वी]] की वनस्पतियाँ भी क्षीण हो गईं। [[विष्णु]] के बीच में पड़ने पर [[समुद्र मंथन]] से चन्द्रमा का उद्धार हुआ और क्षय की अवधि पाक्षिक हो गई।  
*[[दक्ष]] प्रजापति की सत्ताईस पुत्रियाँ थीं जिनके नाम पर सत्ताईस नक्षत्रों के नाम पड़े हैं। ये सब चन्द्रमा को ब्याही गईं। चन्द्रमा का इनमें से [[रोहिणी]] के प्रति विशेष अनुराग था। चन्द्रमा के इस व्यवहार से अन्य पत्नियाँ दुखी हुईं तो दक्ष ने उसे शाप दिया कि वह क्षयग्रस्त हो जाए जिसकी वजह से [[पृथ्वी देवी|पृथ्वी]] की वनस्पतियाँ भी क्षीण हो गईं। [[विष्णु]] के बीच में पड़ने पर [[समुद्र मंथन]] से चन्द्रमा का उद्धार हुआ और क्षय की अवधि पाक्षिक हो गई।  
*एक अन्य कथा के अनुसार चन्द्रमा ने [[बृहस्पति]] की पत्नी [[तारा (बृहस्पति की पत्नी)|तारा]] का अपहरण किया था जिससे उसे [[बुध देवता|बुध]] नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ जो बाद में क्षत्रियों के [[चंद्रवंश]] का प्रवर्तक हुआ। इस वंश के राजा ख़ुद को चंद्रवंशी कहते थे।  
*एक अन्य कथा के अनुसार चन्द्रमा ने [[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]] की पत्नी [[तारा (बृहस्पति की पत्नी)|तारा]] का अपहरण किया था जिससे उसे [[बुध देवता|बुध]] नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ जो बाद में क्षत्रियों के [[चंद्रवंश]] का प्रवर्तक हुआ। इस वंश के राजा ख़ुद को चंद्रवंशी कहते थे।  


[[Category:पौराणिक कोश]]
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08:20, 3 सितम्बर 2010 का अवतरण

  • ब्राह्मणों-क्षत्रियों के कई गोत्र होते हैं उनमें चंद्र से जुड़े कुछ गोत्र के नाम हैं जैसे चंद्रवंशी।
  • पौराणिक संदर्भों के अनुसार चंद्रमा को तपस्वी अत्रि और अनुसूया की संतान बताया गया है जिसका नाम 'सोम' है।
  • दक्ष प्रजापति की सत्ताईस पुत्रियाँ थीं जिनके नाम पर सत्ताईस नक्षत्रों के नाम पड़े हैं। ये सब चन्द्रमा को ब्याही गईं। चन्द्रमा का इनमें से रोहिणी के प्रति विशेष अनुराग था। चन्द्रमा के इस व्यवहार से अन्य पत्नियाँ दुखी हुईं तो दक्ष ने उसे शाप दिया कि वह क्षयग्रस्त हो जाए जिसकी वजह से पृथ्वी की वनस्पतियाँ भी क्षीण हो गईं। विष्णु के बीच में पड़ने पर समुद्र मंथन से चन्द्रमा का उद्धार हुआ और क्षय की अवधि पाक्षिक हो गई।
  • एक अन्य कथा के अनुसार चन्द्रमा ने बृहस्पति की पत्नी तारा का अपहरण किया था जिससे उसे बुध नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ जो बाद में क्षत्रियों के चंद्रवंश का प्रवर्तक हुआ। इस वंश के राजा ख़ुद को चंद्रवंशी कहते थे।