"बड़ माया को दोष यह -रहीम": अवतरणों में अंतर
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बड़ माया को दोष यह , जो कबहूं घटि जाय ।<br /> | बड़ माया को दोष यह , जो कबहूं घटि जाय ।<br /> | ||
तो ‘रहीम’ मरोबो भलो, | तो ‘रहीम’ मरोबो भलो, दु:ख सहि जियै बलाय ॥ | ||
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14:01, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
बड़ माया को दोष यह , जो कबहूं घटि जाय ।
तो ‘रहीम’ मरोबो भलो, दु:ख सहि जियै बलाय ॥
- अर्थ
धन सम्पत्ति का बहुत बड़ा दोष यह है :- यदि वह कभी घट जाय, तो उस दशा में मर जाना ही अच्छा है। दुःख झेल-झेलकर कौन जिये ?
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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