"यह रहीम माने नहीं -रहीम": अवतरणों में अंतर

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चीते का, चोर का और कमान का झुकना अनर्थ से खाली नहीं होता है। मन नहीं कहता कि इनका झुकना सच्चा होता है। चीता हमला करने के लिए झुककर कूदता है। चोर मीठा वचन बोलता है, तो विश्वासघात करने के लिए। कमान ([[धनुष अस्त्र|धनुष]]) झुकने पर ही [[बाण अस्त्र|तीर]] चलाती है।
चीते का, चोर का और कमान का झुकना अनर्थ से खाली नहीं होता है। मन नहीं कहता कि इनका झुकना सच्चा होता है। चीता हमला करने के लिए झुककर कूदता है। चोर मीठा वचन बोलता है, तो विश्वासघात करने के लिए। कमान ([[धनुष अस्त्र|धनुष]]) झुकने पर ही [[बाण अस्त्र|तीर]] चलाती है।


{{लेख क्रम3| पिछला=यह रहीम निज संग लै -रहीम|मुख्य शीर्षक=रहीम के दोहे |अगला=यों रहीम सुख दुख सहत -रहीम}}
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14:03, 2 जून 2017 का अवतरण

यह ‘रहीम’ माने नहीं , दिल से नवा न होय । चीता, चोर, कमान के, नवे ते अवगुन होय ॥

अर्थ

चीते का, चोर का और कमान का झुकना अनर्थ से खाली नहीं होता है। मन नहीं कहता कि इनका झुकना सच्चा होता है। चीता हमला करने के लिए झुककर कूदता है। चोर मीठा वचन बोलता है, तो विश्वासघात करने के लिए। कमान (धनुष) झुकने पर ही तीर चलाती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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