"पारिजात प्रथम सर्ग": अवतरणों में अंतर
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कर न सके भयभीत किसी को भावी। | कर न सके भयभीत किसी को भावी। | ||
साहस बने सुधारस-स्रावी। | साहस बने सुधारस-स्रावी। | ||
दिखलावे सबल समोद दुखित दल | दिखलावे सबल समोद दुखित दल दु:ख दले॥4॥ | ||
मद-रज से हों मानस-मुकुर न मैले। | मद-रज से हों मानस-मुकुर न मैले। |
14:03, 2 जून 2017 का अवतरण
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एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- पारिजात (बहुविकल्पी) |
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शार्दूल-विक्रीडित |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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