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{'हिस्ट्री ऑफ़ ओरिसा' नामक पुस्तक किस इतिहासकार द्वारा लिखी गई है?
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-[[यदुनाथ सरकार]]
-[[यदुनाथ सरकार]]
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+[[राखालदास बंद्योपाध्याय]]
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-[[हेमचंद्र रायचौधरी]]
-[[हेमचंद्र रायचौधरी]]
||[[चित्र:Rakhaldas-Bandyopadhyay.jpg|right|100px|border|राखालदास बंद्योपाध्याय]]'राखालदास बंद्योपाध्याय' [[भारत]] के प्रसिद्ध [[इतिहासकार]] और पुरातत्त्ववेत्ता थे। ये भारतीय पुराविदों के उस समूह में से एक व्यक्ति थे, जिसमें से अधिकांश ने 20वीं शती के प्रथम चरण में तत्कालीन '[[भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण]]' के महानिदेशक जॉन मार्शल के सहयोगी के रूप में पुरातात्त्विक उत्खनन, शोध तथा स्मारकों के संरक्षण में विशेष ख्याति प्राप्त की थी। [[राखालदास बंद्योपाध्याय]] का [[1924]] में स्थानांतरण पुरातत्त्व सर्वेक्षण के पूर्वी मंडल, कलकत्ता (वर्तमान [[कोलकाता]]) में हो गया था, जहाँ वे लगभग दो वर्ष तक रहे। इस छोटी-सी अवधि में उन्होंने पहाड़पुर के प्राचीन मंदिर का उल्लेखनीय उत्खनन करवाया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राखालदास बंद्योपाध्याय]]
||[[चित्र:Rakhaldas-Bandyopadhyay.jpg|right|100px|border|राखालदास बंद्योपाध्याय]]'राखालदास बंद्योपाध्याय' [[भारत]] के प्रसिद्ध [[इतिहासकार]] और पुरातत्त्ववेत्ता थे। ये भारतीय पुराविदों के उस समूह में से एक व्यक्ति थे, जिसमें से अधिकांश ने 20वीं शती के प्रथम चरण में तत्कालीन '[[भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण]]' के महानिदेशक जॉन मार्शल के सहयोगी के रूप में पुरातात्त्विक [[उत्खनन]], शोध तथा स्मारकों के संरक्षण में विशेष ख्याति प्राप्त की थी। [[राखालदास बंद्योपाध्याय]] का [[1924]] में स्थानांतरण पुरातत्त्व सर्वेक्षण के पूर्वी मंडल, कलकत्ता (वर्तमान [[कोलकाता]]) में हो गया था, जहाँ वे लगभग दो [[वर्ष]] तक रहे। इस छोटी-सी अवधि में उन्होंने पहाड़पुर के प्राचीन मंदिर का उल्लेखनीय उत्खनन करवाया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राखालदास बंद्योपाध्याय]]
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05:35, 11 जून 2017 के समय का अवतरण