"कपिशा नदी": अवतरणों में अंतर

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<poem>'स तीर्त्वा कपिशां सैन्यैर्बद्धद्धिरदसेतुभि:,  
<poem>'स तीर्त्वा कपिशां सैन्यैर्बद्धद्धिरदसेतुभि:,  
उत्कलादर्शितपथ: कर्लिंगाभिमुखोययौ'।</poem>
उत्कलादर्शितपथ: कर्लिंगाभिमुखोययौ'।</poem>
*यह वर्णन [[रघु]] की दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में वंगविजय के ठीक पश्चात और और [[कलिंग]] विजय के पूर्व है जिससे जान पड़ता है कि यह नदी वर्तमान कोश्या है जिसके दक्षिण तट पर [[ताम्रलिप्ति]] ([[तामलुक]], [[मिदनापुर ज़िला]], [[पश्चिम बंगाल]]) बसा हुआ था।  
*यह वर्णन [[रघु]] की दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में वंगविजय के ठीक पश्चात् और और [[कलिंग]] विजय के पूर्व है जिससे जान पड़ता है कि यह नदी वर्तमान कोश्या है जिसके दक्षिण तट पर [[ताम्रलिप्ति]] ([[तामलुक]], [[मिदनापुर ज़िला]], [[पश्चिम बंगाल]]) बसा हुआ था।  
*यह भी प्राय: निश्चित जान पड़ता है कि [[विराट पर्व महाभारत|विराट पर्व]]<ref>विराट पर्व 30,32</ref> में उल्लिखित कौशिकी कोश्या या [[कालिदास]] की कपिशा है-  
*यह भी प्राय: निश्चित जान पड़ता है कि [[विराट पर्व महाभारत|विराट पर्व]]<ref>विराट पर्व 30,32</ref> में उल्लिखित कौशिकी कोश्या या [[कालिदास]] की कपिशा है-  
<poem>'तत: पुंड्राधिपंवीर वासुदेवं महाबलम्।  
<poem>'तत: पुंड्राधिपंवीर वासुदेवं महाबलम्।  

07:42, 23 जून 2017 का अवतरण

'स तीर्त्वा कपिशां सैन्यैर्बद्धद्धिरदसेतुभि:,
उत्कलादर्शितपथ: कर्लिंगाभिमुखोययौ'।

'तत: पुंड्राधिपंवीर वासुदेवं महाबलम्।
कौशिकीकच्छनिलयं राजानं च महौजसम्'।

  • महाभारत के उल्लेखानुसार वर्तमान कसाई या कपिशा नदी को ही प्राचीन समय में कोषा कहा जाता था, जो बंगाल के मेदिनीपुर ज़िले में बहती है।[2]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विराट पर्व 30,32
  2. महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 41 |

बाहरी कड़ियाँ

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