"आज तुम मेरे लिए हो -हरिवंश राय बच्चन": अवतरणों में अंतर
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<poem>प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो। | <poem>प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो। | ||
मैं | मैं जगत् के ताप से डरता नहीं अब, | ||
मैं समय के शाप से डरता नहीं अब, | मैं समय के शाप से डरता नहीं अब, | ||
आज कुंतल छाँह मुझपर तुम किए हो | आज कुंतल छाँह मुझपर तुम किए हो |
13:45, 30 जून 2017 का अवतरण
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प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो।
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