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-[[स्वामी हरिदास]]
-[[स्वामी हरिदास]]
-[[कृष्णदास कविराज]]
-[[कृष्णदास कविराज]]
||[[चित्र:Bhaktivedanta-Swami-Prabhupada.jpg|130px|right|भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद]]'स्वामी प्रभुपाद' प्रसिद्ध [[गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय|गौड़ीय वैष्णव]] गुरु तथा धर्मप्रचारक थे। [[वेदान्त]], [[कृष्ण]] की भक्ति और इससे संबंधित क्षेत्रों पर आपने विचार रखे और कृष्णभावना को पश्चिमी जगत में पहुँचाने का कार्य किया। वे भक्तिसिद्धांत ठाकुर सरस्वती के शिष्य थे। सन [[1965]] में अपने गुरुदेव के अनुष्ठान को संपन्न करने आप अमेरिका को निकले। जब वे मालवाहक जलयान द्वारा पहली बार न्यूयॉर्क नगर में आए तो उनके पास एक पैसा भी नहीं था। अत्यंत कठिनाई भरे करीब एक वर्ष के बाद [[जुलाई]], [[1966]] में उन्होंने 'अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ' ('इस्कॉन' ISKCON) की स्थापना की। [[1968]] में प्रयोग के तौर पर वर्जीनिया की पहाड़ियों में नव-वृन्दावन की स्थापना की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद]]
||[[चित्र:Bhaktivedanta-Swami-Prabhupada.jpg|130px|right|भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद]]'स्वामी प्रभुपाद' प्रसिद्ध [[गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय|गौड़ीय वैष्णव]] गुरु तथा धर्मप्रचारक थे। [[वेदान्त]], [[कृष्ण]] की भक्ति और इससे संबंधित क्षेत्रों पर आपने विचार रखे और कृष्णभावना को पश्चिमी जगत् में पहुँचाने का कार्य किया। वे भक्तिसिद्धांत ठाकुर सरस्वती के शिष्य थे। सन [[1965]] में अपने गुरुदेव के अनुष्ठान को संपन्न करने आप अमेरिका को निकले। जब वे मालवाहक जलयान द्वारा पहली बार न्यूयॉर्क नगर में आए तो उनके पास एक पैसा भी नहीं था। अत्यंत कठिनाई भरे करीब एक वर्ष के बाद [[जुलाई]], [[1966]] में उन्होंने 'अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ' ('इस्कॉन' ISKCON) की स्थापना की। [[1968]] में प्रयोग के तौर पर वर्जीनिया की पहाड़ियों में नव-वृन्दावन की स्थापना की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद]]
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13:57, 30 जून 2017 के समय का अवतरण