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-[[सरदार पटेल|सरदार वल्लभ भाई पटेल]]
-[[सरदार पटेल|सरदार वल्लभ भाई पटेल]]
-[[जे. आर. डी. टाटा]]
-[[जे. आर. डी. टाटा]]
||[[चित्र:Mokshagundam-Visvesvarayya.jpg|right|border|100px|मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया]]'मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया' को आज भी "आधुनिक भारत के विश्वकर्मा" के रूप में बड़े सम्मान के साथ स्मरण किया जाता है। अपने समय के बहुत बड़े इंजीनियर, वैज्ञानिक और निर्माता के रूप में देश की सेवा में अपना जीवन समर्पित करने वाले [[मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया|डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया]] को [[भारत]] ही नहीं वरन विश्व की महान प्रतिभाओं में गिना जाता है। अपनी शताब्दी पूरी करने के बाद भी यह महान व्यक्ति पूरी तरह स्वस्थ था। वह सुबह-शाम सैर पर जाते। वह सदा समय के पाबन्द रहे और उनमें जीने का उत्साह सदा बना रहा। वह अपने विचारों में पूर्णरूप से स्वतंत्र थे। जब उन्हें [[1955]] में '[[भारत रत्न]]' प्रदान किया गया, तो उन्होंने [[जवाहरलाल नेहरू]] को लिखा- "अगर आप यह सोचते हैं कि इस उपाधि से विभूषित करने से मैं आपकी सरकार की प्रशंसा करूँगा, तो आपको निराशा ही होगी। मैं सत्य की तह तक पहुँचने वाला व्यक्ति हूँ।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया]]
||[[चित्र:Mokshagundam-Visvesvarayya.jpg|right|border|100px|मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया]]'मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया' को आज भी "आधुनिक भारत के विश्वकर्मा" के रूप में बड़े सम्मान के साथ स्मरण किया जाता है। अपने समय के बहुत बड़े इंजीनियर, वैज्ञानिक और निर्माता के रूप में देश की सेवा में अपना जीवन समर्पित करने वाले [[मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया|डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया]] को [[भारत]] ही नहीं वरन विश्व की महान् प्रतिभाओं में गिना जाता है। अपनी शताब्दी पूरी करने के बाद भी यह महान् व्यक्ति पूरी तरह स्वस्थ था। वह सुबह-शाम सैर पर जाते। वह सदा समय के पाबन्द रहे और उनमें जीने का उत्साह सदा बना रहा। वह अपने विचारों में पूर्णरूप से स्वतंत्र थे। जब उन्हें [[1955]] में '[[भारत रत्न]]' प्रदान किया गया, तो उन्होंने [[जवाहरलाल नेहरू]] को लिखा- "अगर आप यह सोचते हैं कि इस उपाधि से विभूषित करने से मैं आपकी सरकार की प्रशंसा करूँगा, तो आपको निराशा ही होगी। मैं सत्य की तह तक पहुँचने वाला व्यक्ति हूँ।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया]]
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14:02, 30 जून 2017 का अवतरण