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'''सीता कर''' [[प्राचीन भारत]] की शासन व्यवस्था में राजकीय कर के रूप में एकत्र किये गए धान्य को कहा जाता था। | '''सीता कर''' [[प्राचीन भारत]] की शासन व्यवस्था में राजकीय कर के रूप में एकत्र किये गए धान्य को कहा जाता था। | ||
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सीता | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- सीता (बहुविकल्पी) |
सीता कर प्राचीन भारत की शासन व्यवस्था में राजकीय कर के रूप में एकत्र किये गए धान्य को कहा जाता था।
- सीता कर को एकत्र करने वाले अधिकारी को 'सीताध्यक्ष' कहा जाता था।
- कौटिल्य के अनुसार कोष्ठागार के अध्यक्ष को चहिए कि वह शुद्ध और पूरा सीता कर लेकर उसको व्यवस्था से रखे।
- प्राचीन भारतीय अर्थव्यवस्था में निम्नांकित कर भी प्रचलित थे-
- सीता कर
- राष्ट्र कर
- क्रयिम कर
- परिवर्त्तक कर
- प्रामित्यक कर
- आपमित्यक
- सिंहनिका कर
- अन्वजात कर
- व्ययप्रत्यात कर
- उपस्थान कर
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
कौटिलीय अर्थशास्त्रम् |लेखक: वाचस्पति गैरोला |प्रकाशक: चौखम्बा विधाभवन, चौक (बैंक ऑफ़ बड़ौदा भवन के पीछे , वाराणसी 221001, उत्तर प्रदेश |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 157 |