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{{सूचना बक्सा क्रिकेट खिलाड़ी
कोष्ठागार का अध्यक्ष
|चित्र=
कोष्ठागार
|चित्र का नाम=
कोठार के अध्यक्ष कोठारी को चाहिए कि वह निम्न दस बातों के सम्बंध में अच्छी जानकारी प्राप्त करे।
|पूरा नाम= स्मृति श्रीनिवास मंधाना
# [[सीता कर]]
|अन्य नाम=स्मृति मंधाना
# [[राष्ट्र कर]]
|जन्म= [[18 जुलाई]], [[1996]]
# [[क्रयिक कर]]
|जन्म भूमि= [[मुंबई]]
# [[परिवर्त्तक कर]]
|ऊँचाई=
# [[प्रामित्यक कर]]
|अभिभावक= माता- स्मिता, पिता- श्रीनिवास मंधाना
# [[आपमित्यक]]
|पत्नी=
# [[सिंहनिका कर]]
|संतान=
# [[अन्वजात कर]]
|मृत्यु=
# [[व्ययप्रत्यात कर]]
|मृत्यु स्थान=
# [[उपस्थान कर]]
|बल्लेबाज़ी शैली= बायें हाथ की बल्लेबाज़
सीता कर
|गेंदबाज़ी शैली=
राजकीय कर के रूप में एकत्र धान्य को सीता कहा जाता है; उसको एकत्र करने वाले अधिकारी को सीताध्यक्ष कहा जाता है। कोष्ठागार के अध्यक्स को चहिए कि वह शुद्ध और पूरा सीता कर लेकर उसको व्यवस्था से रखे।
|टीम= भारतीय महिला क्रिकेट टीम
 
|भूमिका=
राष्ट्र कर
|पहला टेस्ट= [[13 अगस्त]], [[2014]] बनाम इंग्लैंड
राष्ट्र कर के दस भेद होते हैं-
|आख़िरी टेस्ट=
# पिण्ड कर- गांव से वसूल किए जाने वाला नियत राजकीय कर
|पहला वनडे= [[10 अप्रॅल]], [[2013]] बनाम बांग्लादेश
# षड्भाग- राजा को दिये जाने वाले अन्न का छठा भाग
|आख़िरी वनडे=
# सेनाभक्त- युद्धकाल में विशेष रूप से निर्धारित कर
|टेस्ट मुक़ाबले= 2
# बलि- छठे भाग के अतिरिक्त कर
|एकदिवसीय मुक़ाबले= 24
# [[कर]]- जलाशयों और जंगलों का कर
|टी-ट्वेन्टी मुक़ाबले= 27
# उत्संग- राजकुमार के जन्मोत्सव पर दी जाने वाली भेंट
|टेस्ट रन= 81
# पार्श्व- नियत कर के अतिरिक्त कर
|एकदिवसीय रन= 791
# पारिहीणिक- गाय बच्छियों  के नुकसान पर डंड रूप में प्राप्त धन
|टी-ट्वेन्टी रन= 424
#  औपायनिक-भेंट स्वरूप प्राप्त धन
|टेस्ट बल्लेबाज़ी औसत=
# कौष्ठेयक- राजधन से बने हुए तालाबों तथा बगीचों का कर।
|एकदिवसीय बल्लेबाज़ी औसत=
 
|टी-ट्वेन्टी बल्लेबाज़ी औसत=
क्रयिक कर
|टेस्ट 100/50=
क्रयिक कर तीन प्रकार का होता है-
|एकदिवसीय 100/50=
#धान्यमूलक- धान्य को बेचकर प्राप्त धन
|टी-ट्वेन्टी 100/50=
# कोशनिर्हार- धन देकर खरीदा हुआ अन्न
|टेस्ट सर्वोच्च स्कोर=
#प्रयोग-प्रत्यादान- व्याज आदि से प्राप्त धन
|एकदिवसीय सर्वोच्च स्कोर=
==============================================
|टी-ट्वेन्टी स्कोर=
परिवर्त्तक कर
|टेस्ट गेंद फेंकी=
एक अनाज लेकर उसके बदले दूसरा अनाज लेना परिवर्त्तक कहलाता है।
|एकदिवसीय गेंद फेंकी=
प्रामित्यक कर
|टी-ट्वेन्टी फेंकी=
किसी मित्र आदि से सहायता रूप में एसा धन लेना जो फिर लौटाया न जाए।
|टेस्ट विकेट=
 
|एकदिवसीय विकेट=
 
|टी-ट्वेन्टी विकेट=
आपमित्यक कर
|टेस्ट गेंदबाज़ी औसत=
व्याज सहित पुन: लौटा देने के वायदे पर लिया गया अन्न आदि कर। आपमित्यक कर कहलाता है।
|एकदिवसीय गेंदबाज़ी औसत=
सिंहनिका कर
|टी-ट्वेन्टी गेंदबाज़ी औसत=
कूट-पीस कर, छान-बीन कर, सत्तू पीस कर, गन्ना आदि को पेर कर, आटा पीस कर, तिलों का तेल निकाल कर, भेड़ों के बाल काटकर और गुड़, राव, शक्कर आदि पर आजीविका निर्भर करने वाले लोगों से जो कर लिया जाता है, उसे सिंहानिका कर कहते हैं।
|टेस्ट गेंदबाज़ी 5=
अन्यजात
|एकदिवसीय गेंदबाज़ी 5=
नष्ट हुए तथा भूले हुए धन नाम अन्यजात है।
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व्ययप्रत्याय कर
|टेस्ट गेंदबाज़ी 10=
व्ययप्रत्याय कर तीन प्रकार का होता है।
|एकदिवसीय गेंदबाज़ी 10=
#विक्षेपशेष– सेना के व्यय से बचा धन
|टी-ट्वेन्टी गेंदबाज़ी 10=
# व्यधितशेष- औषधालय के व्यय से बचा हुआ धन
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# अन्तरारम्भशेष- दुर्ग आदि की मरम्मत से बचा हुआ धन।
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उपस्थान कर
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|टेस्ट कैच/स्टम्पिंग=
बाट-तराजू कई पसंघा से, तौलने के बाद मुट्ठी-दो-मुट्ठी दिया हुआ अधिक अन्न, तौली या गिनी हुई  वस्तु में कोई दूसरी ही वस्तु मिला देना, छीजन के रूप में ली हुई वस्तु, पिछ्ले वर्ष का बकाया और चतुराई से उपार्जित धन उपस्थान कहलाता है।
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{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=कौटिलीय अर्थ्शास्त्रम्‌ |लेखक=वाचस्पति गैरोला|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=चौखम्बा विधाभवन, चौक (बैंक ऑफ़ बड़ौदा भवन के पीछे , वाराणसी 221001, उत्तर प्रदेश|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=157|url=}}
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13:35, 2 जुलाई 2017 का अवतरण

कोष्ठागार का अध्यक्ष कोष्ठागार कोठार के अध्यक्ष कोठारी को चाहिए कि वह निम्न दस बातों के सम्बंध में अच्छी जानकारी प्राप्त करे।

  1. सीता कर
  2. राष्ट्र कर
  3. क्रयिक कर
  4. परिवर्त्तक कर
  5. प्रामित्यक कर
  6. आपमित्यक
  7. सिंहनिका कर
  8. अन्वजात कर
  9. व्ययप्रत्यात कर
  10. उपस्थान कर

सीता कर राजकीय कर के रूप में एकत्र धान्य को सीता कहा जाता है; उसको एकत्र करने वाले अधिकारी को सीताध्यक्ष कहा जाता है। कोष्ठागार के अध्यक्स को चहिए कि वह शुद्ध और पूरा सीता कर लेकर उसको व्यवस्था से रखे।

राष्ट्र कर राष्ट्र कर के दस भेद होते हैं-

  1. पिण्ड कर- गांव से वसूल किए जाने वाला नियत राजकीय कर
  2. षड्भाग- राजा को दिये जाने वाले अन्न का छठा भाग
  3. सेनाभक्त- युद्धकाल में विशेष रूप से निर्धारित कर
  4. बलि- छठे भाग के अतिरिक्त कर
  5. कर- जलाशयों और जंगलों का कर
  6. उत्संग- राजकुमार के जन्मोत्सव पर दी जाने वाली भेंट
  7. पार्श्व- नियत कर के अतिरिक्त कर
  8. पारिहीणिक- गाय बच्छियों के नुकसान पर डंड रूप में प्राप्त धन
  9. औपायनिक-भेंट स्वरूप प्राप्त धन
  10. कौष्ठेयक- राजधन से बने हुए तालाबों तथा बगीचों का कर।

क्रयिक कर क्रयिक कर तीन प्रकार का होता है-

  1. धान्यमूलक- धान्य को बेचकर प्राप्त धन
  2. कोशनिर्हार- धन देकर खरीदा हुआ अन्न
  3. प्रयोग-प्रत्यादान- व्याज आदि से प्राप्त धन
==================================

परिवर्त्तक कर एक अनाज लेकर उसके बदले दूसरा अनाज लेना परिवर्त्तक कहलाता है। प्रामित्यक कर किसी मित्र आदि से सहायता रूप में एसा धन लेना जो फिर लौटाया न जाए।


आपमित्यक कर व्याज सहित पुन: लौटा देने के वायदे पर लिया गया अन्न आदि कर। आपमित्यक कर कहलाता है। सिंहनिका कर कूट-पीस कर, छान-बीन कर, सत्तू पीस कर, गन्ना आदि को पेर कर, आटा पीस कर, तिलों का तेल निकाल कर, भेड़ों के बाल काटकर और गुड़, राव, शक्कर आदि पर आजीविका निर्भर करने वाले लोगों से जो कर लिया जाता है, उसे सिंहानिका कर कहते हैं। अन्यजात नष्ट हुए तथा भूले हुए धन नाम अन्यजात है। व्ययप्रत्याय कर व्ययप्रत्याय कर तीन प्रकार का होता है।

  1. विक्षेपशेष– सेना के व्यय से बचा धन
  2. व्यधितशेष- औषधालय के व्यय से बचा हुआ धन
  3. अन्तरारम्भशेष- दुर्ग आदि की मरम्मत से बचा हुआ धन।

उपस्थान कर

बाट-तराजू कई पसंघा से, तौलने के बाद मुट्ठी-दो-मुट्ठी दिया हुआ अधिक अन्न, तौली या गिनी हुई वस्तु में कोई दूसरी ही वस्तु मिला देना, छीजन के रूप में ली हुई वस्तु, पिछ्ले वर्ष का बकाया और चतुराई से उपार्जित धन उपस्थान कहलाता है।


कौटिलीय अर्थ्शास्त्रम्‌ |लेखक: वाचस्पति गैरोला |प्रकाशक: चौखम्बा विधाभवन, चौक (बैंक ऑफ़ बड़ौदा भवन के पीछे , वाराणसी 221001, उत्तर प्रदेश |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 157 |