"राहत इंदौरी": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{सूचना बक्सा साहित्यकार
|चित्र=Rahat-Indori.jpg
|चित्र का नाम=राहत इंदौरी
|पूरा नाम=डॉ. राहत इंदौरी
|अन्य नाम=
|जन्म= [[1 जनवरी]], [[1950]]
|जन्म भूमि=[[इंदौर]], [[मध्य प्रदेश]]
|मृत्यु=
|मृत्यु स्थान=
|अभिभावक=रफ्तुल्लाह कुरैशी और उन निशा बेगम
|पालक माता-पिता=
|पति/पत्नी=अंजुम रहबर (1988-1993), सीमा राहत
|संतान=
|कर्म भूमि=
|कर्म-क्षेत्र=
|मुख्य रचनाएँ=
|विषय=[[ग़ज़ल]], [[नज़्म]], [[गीत]]
|भाषा=[[उर्दू]]
|विद्यालय=बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, [[भोपाल]]; मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय
|शिक्षा=एम.ए. ([[उर्दू साहित्य]]), पी.एचडी
|पुरस्कार-उपाधि=
|प्रसिद्धि=उर्दू कवि, गीतकार
|विशेष योगदान=
|नागरिकता=भारतीय
|संबंधित लेख=
|शीर्षक 1=
|पाठ 1=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=राहत इंदौरी, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में [[उर्दू साहित्य]] के प्राध्यापक भी रह चुके हैं।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन={{अद्यतन|19:52, 4 जुलाई 2017 (IST)}}
}}
'''डॉ. राहत इंदौरी''' ([[अंग्रेज़ी]]:  ''Dr. Rahat Indori'', जन्म: [[1 जनवरी]], [[1950]]) एक प्रसिद्ध [[उर्दू]] [[शायर]] और [[हिन्दी फ़िल्म जगत|हिन्दी फिल्मों]] के गीतकार हैं। राहत इंदौरी, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में [[उर्दू साहित्य]] के प्राध्यापक भी रह चुके हैं।
'''डॉ. राहत इंदौरी''' ([[अंग्रेज़ी]]:  ''Dr. Rahat Indori'', जन्म: [[1 जनवरी]], [[1950]]) एक प्रसिद्ध [[उर्दू]] [[शायर]] और [[हिन्दी फ़िल्म जगत|हिन्दी फिल्मों]] के गीतकार हैं। राहत इंदौरी, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में [[उर्दू साहित्य]] के प्राध्यापक भी रह चुके हैं।
==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==

14:22, 4 जुलाई 2017 का अवतरण

राहत इंदौरी
राहत इंदौरी
राहत इंदौरी
पूरा नाम डॉ. राहत इंदौरी
जन्म 1 जनवरी, 1950
जन्म भूमि इंदौर, मध्य प्रदेश
अभिभावक रफ्तुल्लाह कुरैशी और उन निशा बेगम
पति/पत्नी अंजुम रहबर (1988-1993), सीमा राहत
विषय ग़ज़ल, नज़्म, गीत
भाषा उर्दू
विद्यालय बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल; मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय
शिक्षा एम.ए. (उर्दू साहित्य), पी.एचडी
प्रसिद्धि उर्दू कवि, गीतकार
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी राहत इंदौरी, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में उर्दू साहित्य के प्राध्यापक भी रह चुके हैं।
अद्यतन‎
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

डॉ. राहत इंदौरी (अंग्रेज़ी: Dr. Rahat Indori, जन्म: 1 जनवरी, 1950) एक प्रसिद्ध उर्दू शायर और हिन्दी फिल्मों के गीतकार हैं। राहत इंदौरी, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में उर्दू साहित्य के प्राध्यापक भी रह चुके हैं।

जीवन परिचय

राहत इंदौरी का जन्म मध्य प्रदेश राज्य के प्रसिद्ध नगर इंदौर में 1 जनवरी, 1950 में कपड़ा मिल के कर्मचारी रफ्तुल्लाह कुरैशी और मकबूल उन निशा बेगम के यहाँ हुआ। राहत की प्रारंभिक शिक्षा नूतन स्कूल इंदौर में हुई। उन्होंने इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से 1973 में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 1975 में बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल से उर्दू साहित्य में एम.ए. किया। तत्पश्चात 1985 में मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।

दिलकश शैली के शायर

राहत इंदौरी की शायरी का अंदाज़ बहुत ही दिलकश होता है। वे अपनी लोकप्रियता के लिये कोई ऐसा सरल रास्ता नहीं चुनते जो शायरी की इज़्ज़त को कम करता हो। राहत जब ग़ज़ल पढ़ रहे होते हैं तो उन्हें देखना और सुनना दोनों एक अनुभव से गुज़रना है। राहत के भीतर का एक और राहत इस वक़्त महफ़िल में नमूदार होता है और वह एक तिलिस्म सा छा जाता है। राहत मुशायरों के ऐसे हरफनमौला हैं जिन्हें आप किसी भी क्रम पर खिला लें, वे बाज़ी मार ही लेते हैं। उनका माईक पर होना ज़िन्दगी का होना होता है। यह अहसास सुनने वाले को बार-बार मिलता है कि राहत रूबरू हैं और अच्छी शायरी सिर्फ़ और सिर्फ़ इस वक़्त सुनी जा रही है।

प्रसिद्ध फ़िल्मी गीत

राहत इंदौरी ने लगभर दो दर्जन फ़िल्मों में गीत लिखे। उनके प्रसिद्ध हिन्दी फ़िल्म गीत कुछ इस प्रकार हैं-

  • आज हमने दिल का हर किस्सा (फ़िल्म- सर)
  • तुमसा कोई प्यारा कोई मासूम नहीं है (फ़िल्म- खुद्दार)
  • खत लिखना हमें खत लिखना (फ़िल्म- खुद्दार)
  • रात क्या मांगे एक सितारा (फ़िल्म- खुद्दार)
  • दिल को हज़ार बार रोका (फ़िल्म- मर्डर)
  • एम बोले तो मैं मास्टर (फ़िल्म- मुन्नाभाई एमबीबीएस)
  • धुंआ धुंआ (फ़िल्म- मिशन कश्मीर)
  • ये रिश्ता क्या कहलाता है (फ़िल्म- मीनाक्षी)
  • चोरी-चोरी जब नज़रें मिलीं (फ़िल्म- करीब)
  • देखो-देखो जानम हम दिल (फ़िल्म- इश्क़)
  • नींद चुरायी मेरी (फ़िल्म- इश्क़)
  • मुर्शिदा (फ़िल्म - बेगम जान)

प्रसिद्ध ग़ज़ल

अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो जान थोड़ी है
ये सब धुआँ है कोई आसमान थोड़ी है

लगेगी आग तो आएँगे घर कई ज़द में
यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है

मैं जानता हूँ के दुश्मन भी कम नहीं लेकिन
हमारी तरहा हथेली पे जान थोड़ी है

हमारे मुँह से जो निकले वही सदाक़त है
हमारे मुँह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है

जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे
किराएदार हैं ज़ाती मकान थोड़ी है

सभी का ख़ून है शामिल यहाँ की मिट्टी में
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख