"थोथे बादर क्वार के -रहीम": अवतरणों में अंतर

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क्वार मास में पानी से खाली बादल जिस प्रकार गरजते हैं, उसी प्रकार धनी मनुष्य जब निर्धन हो जाता है, तो अपनी बातों का बारबार बखान करता है ।
क्वार मास में पानी से ख़ाली बादल जिस प्रकार गरजते हैं, उसी प्रकार धनी मनुष्य जब निर्धन हो जाता है, तो अपनी बातों का बारबार बखान करता है ।


{{लेख क्रम3| पिछला=तबही लौं जीवो भलो -रहीम|मुख्य शीर्षक=रहीम के दोहे |अगला=थोरी किए बड़ेन की -रहीम}}
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11:18, 5 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

थोथे बादर क्वार के, ज्यों ‘रहीम’ घहरात ।
धनी पुरुष निर्धन भये, करैं पाछिली बात ॥

अर्थ

क्वार मास में पानी से ख़ाली बादल जिस प्रकार गरजते हैं, उसी प्रकार धनी मनुष्य जब निर्धन हो जाता है, तो अपनी बातों का बारबार बखान करता है ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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