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बुतरस घाली संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बनने वाले पहले अरब नेता थे। उनके कार्यकाल के दौरान ही सोमालिया में भीषण [[अकाल]] पड़ा और उन्होंने पहली बार बड़े पैमाने पर [[संयुक्त राष्ट्र]] का सहायता कार्यक्रम चलाया था। हालांकि [[1994]] में रवांडा में हुए नरसंहार मामले में संयुक्त राष्ट्र की नाकामी के चलते उनकी काफ़ी आलोचना हुई थी। लेकिन, चार साल के कार्यकाल के बाद क्लिंटन प्रशासन से मतभेदों के कारण [[अमेरिका]] ने [[1996]] में उनके कार्यकाल की पुनरावृत्ति नहीं होने दी। इसके बाद उनके स्थान पर [[घाना]] के कोफी अनान महासचिव बने।
बुतरस घाली संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बनने वाले पहले अरब नेता थे। उनके कार्यकाल के दौरान ही सोमालिया में भीषण [[अकाल]] पड़ा और उन्होंने पहली बार बड़े पैमाने पर [[संयुक्त राष्ट्र]] का सहायता कार्यक्रम चलाया था। हालांकि [[1994]] में रवांडा में हुए नरसंहार मामले में संयुक्त राष्ट्र की नाकामी के चलते उनकी काफ़ी आलोचना हुई थी। लेकिन, चार साल के कार्यकाल के बाद क्लिंटन प्रशासन से मतभेदों के कारण [[अमेरिका]] ने [[1996]] में उनके कार्यकाल की पुनरावृत्ति नहीं होने दी। इसके बाद उनके स्थान पर [[घाना]] के कोफी अनान महासचिव बने।


बुतरस घाली ने ऐसे वक्त संयुक्त राष्ट्र का नेतृत्व किया, जब सोवियत संघ का पतन हुआ था। साथ ही सोमालिया, रवांडा, मध्यपूर्व और यूगोस्लाविया संकट के दौर से गुजर रहा था। [[मिस्र]] के विदेशमंत्री रहने के दौरान बुतरस घाली ने इस्राइल और मिस्र के बीच शांति संधि कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालांकि कई मुद्दों पर अमेरिका से मतभेद के कारण उन्हें दूसरी बार महासचिव बनने का मौका नहीं दिया गया। विश्लेषकों का कहना था कि बुतरस घाली ने संयुक्त राष्ट्र को महाशक्तियों के नियंत्रण से बाहर लाकर स्वतंत्र संस्था बनाने की कोशिश की। हालांकि कुछ लोग उन्हें [[अफ़्रीका]] और बाल्कन द्वीप में नरसंहार न रोक पाने का जिम्मेदार भी मानते हैं। हालांकि घाली ने इन आरोपों पर कहा था कि- "[[अमेरिका]], [[ब्रिटेन]], [[फ़्राँस]] जैसे बड़े देशों के दखल के कारण इन घटनाओं को रोका नहीं जा सका।"<ref>{{cite web |url= http://www.vivacepanorama.com/ex-un-chief-boutros-boutros-ghali-passes-away/|title= संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव घाली का निधन|accessmonthday= 16 मार्च|accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=vivacepanorama.com |language=हिंदी }}</ref>
बुतरस घाली ने ऐसे वक्त संयुक्त राष्ट्र का नेतृत्व किया, जब सोवियत संघ का पतन हुआ था। साथ ही सोमालिया, रवांडा, मध्यपूर्व और यूगोस्लाविया संकट के दौर से गुजर रहा था। [[मिस्र]] के विदेशमंत्री रहने के दौरान बुतरस घाली ने इस्राइल और मिस्र के बीच शांति संधि कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालांकि कई मुद्दों पर अमेरिका से मतभेद के कारण उन्हें दूसरी बार महासचिव बनने का मौका नहीं दिया गया। विश्लेषकों का कहना था कि बुतरस घाली ने संयुक्त राष्ट्र को महाशक्तियों के नियंत्रण से बाहर लाकर स्वतंत्र संस्था बनाने की कोशिश की। हालांकि कुछ लोग उन्हें [[अफ़्रीका]] और बाल्कन द्वीप में नरसंहार न रोक पाने का जिम्मेदार भी मानते हैं। हालांकि घाली ने इन आरोपों पर कहा था कि- "[[अमेरिका]], [[ब्रिटेन]], [[फ़्राँस]] जैसे बड़े देशों के दख़ल के कारण इन घटनाओं को रोका नहीं जा सका।"<ref>{{cite web |url= http://www.vivacepanorama.com/ex-un-chief-boutros-boutros-ghali-passes-away/|title= संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव घाली का निधन|accessmonthday= 16 मार्च|accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=vivacepanorama.com |language=हिंदी }}</ref>





11:30, 5 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

बुतरस घाली
बुतरस घाली
बुतरस घाली
पूरा नाम बुतरस बुतरस-घाली
जन्म 14 नवम्बर, 1922
जन्म भूमि काहिरा, मिस्र
मृत्यु 16 फ़रवरी, 2016
मृत्यु स्थान काहिरा, मिस्र
पति/पत्नी लिया मारिया बुतरस-घाली
प्रसिद्धि संयुक्त राष्ट्र महासचिव, राजनेता और राजनयिक।
पार्टी अरब सोसलिस्ट यूनियन (1978 से पहले), नेशनल डेमोकृत्क पार्टी (1978-2011)।
कार्य काल महासचिव - 1 जनवरी, 1992 से 31 दिसम्बर, 1996
शिक्षा अंतर्राष्ट्रीय लॉ में पीएचडी
विद्यालय काहिरा विश्वविद्यालय, पेरिस विश्वविद्यालय
संबंधित लेख संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राष्ट्र महासभा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

बुतरस बुतरस-घाली (अंग्रेज़ी: Boutros Boutros-Ghali, जन्म- 14 नवम्बर, 1922, मिस्र; मृत्यु- 16 फ़रवरी, 2016) संयुक्त राष्ट्र संघ के छठे महासचिव थे। वे मिस्र के प्रसिद्ध राजनेता और राजनयिक थे। सन 1992 से 1996 तक वे महासचिव के पद पर रहे। मिस्र के निवासी बुतरस घाली ने दूसरी बार भी संयुक्त राष्ट्र महासचिव के पद के लिए दावेदारी पेश की थी, लेकिन अमेरिका ने उनके नाम पर वीटो लगा दिया था। बुतरस घाली अफ़्रीकी महाद्वीप से यू.एन. महासचिव बनने वाले पहले शख्स थे।

परिचय

बुतरस घाली का जन्म काहिरा, मिस्र में 14 नवम्बर, 1922 को हुआ था। उनके दादा बुट्रोस घाली 1908 से 1910 तक मिस्र के प्रधानमंत्री रहे थे, जिनकी हत्या कर दी गयी थी। बुतरस घाली ने 1946 में काहिरा विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् पेरिस विश्वविद्यालय से अंतर्राष्ट्रीय लॉ में पीएचडी की डिग्री ली। साथ ही उन्होंने 1949 में अंतर्राष्ट्रीय संबंध पर आधारित डिप्लोमा किया। 1954 से 1955 तक वे कोलंबिया विश्वविद्यालय में रिसर्च स्कॉलर रहे। 1963 से 1964 तक वे 'हेग अकादमी ऑफ़ इंटरनेशनल लॉ' के अनुसंधान केंद्र के निदेशक तथा 1967 से 1968 तक पेरिस विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ़ लॉ में विजिटिंग प्रोफेसर रहे। 1979 में बुतरस घाली काहिरा विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय क़ानून और अंतर्राष्ट्रीय संबंध पर आधारित विषय पढ़ाने हेतु प्राध्यापक नियुक्त हुये, जहाँ वे 1999 तक कार्यरत रहे।

राजनीतिक कार्यकाल

बुतरस घाली का राजनीतिक जीवन मिस्त्र के तात्कालिक राष्ट्रपति अनवर अल सादात के शासन काल में बिकसित हुआ। 1974 से 1977 तक वे अरब सोशलिस्ट संघ के केंद्रीय समिति के सदस्य रहे। 1977 से 1991 तक उन्होंने मिस्त्र के विदेश मंत्री के रूप में अपनी सेवाएँ दीं। इस दौरान उन्होंने मिस्र के राष्ट्रपति सादात और इजरायल के प्रधानमंत्री के बीच शांति समझौते में एक बड़ी भूमिका निभाई थी।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव

बुतरस घाली संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बनने वाले पहले अरब नेता थे। उनके कार्यकाल के दौरान ही सोमालिया में भीषण अकाल पड़ा और उन्होंने पहली बार बड़े पैमाने पर संयुक्त राष्ट्र का सहायता कार्यक्रम चलाया था। हालांकि 1994 में रवांडा में हुए नरसंहार मामले में संयुक्त राष्ट्र की नाकामी के चलते उनकी काफ़ी आलोचना हुई थी। लेकिन, चार साल के कार्यकाल के बाद क्लिंटन प्रशासन से मतभेदों के कारण अमेरिका ने 1996 में उनके कार्यकाल की पुनरावृत्ति नहीं होने दी। इसके बाद उनके स्थान पर घाना के कोफी अनान महासचिव बने।

बुतरस घाली ने ऐसे वक्त संयुक्त राष्ट्र का नेतृत्व किया, जब सोवियत संघ का पतन हुआ था। साथ ही सोमालिया, रवांडा, मध्यपूर्व और यूगोस्लाविया संकट के दौर से गुजर रहा था। मिस्र के विदेशमंत्री रहने के दौरान बुतरस घाली ने इस्राइल और मिस्र के बीच शांति संधि कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालांकि कई मुद्दों पर अमेरिका से मतभेद के कारण उन्हें दूसरी बार महासचिव बनने का मौका नहीं दिया गया। विश्लेषकों का कहना था कि बुतरस घाली ने संयुक्त राष्ट्र को महाशक्तियों के नियंत्रण से बाहर लाकर स्वतंत्र संस्था बनाने की कोशिश की। हालांकि कुछ लोग उन्हें अफ़्रीका और बाल्कन द्वीप में नरसंहार न रोक पाने का जिम्मेदार भी मानते हैं। हालांकि घाली ने इन आरोपों पर कहा था कि- "अमेरिका, ब्रिटेन, फ़्राँस जैसे बड़े देशों के दख़ल के कारण इन घटनाओं को रोका नहीं जा सका।"[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव घाली का निधन (हिंदी) vivacepanorama.com। अभिगमन तिथि: 16 मार्च, 2016।

संबंधित लेख