"बिबरन भयउ न जाइ निहारी": अवतरणों में अंतर
कविता भाटिया (वार्ता | योगदान) No edit summary |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - " महान " to " महान् ") |
||
पंक्ति 40: | पंक्ति 40: | ||
;भावार्थ | ;भावार्थ | ||
सुमंत्रजी के मुख का रंग बदल गया है, जो देखा नहीं जाता। ऐसा मालूम होता है मानो इन्होंने माता-पिता को मार डाला हो। उनके मन में रामवियोग रूपी हानि की | सुमंत्रजी के मुख का रंग बदल गया है, जो देखा नहीं जाता। ऐसा मालूम होता है मानो इन्होंने माता-पिता को मार डाला हो। उनके मन में रामवियोग रूपी हानि की महान् ग्लानि (पीड़ा) छा रही है, जैसे कोई पापी मनुष्य नरक को जाता हुआ रास्ते में सोच कर रहा हो॥3॥ | ||
{{लेख क्रम4| पिछला= लोचन सजल डीठि भइ थोरी |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला= बचनु न आव हृदयँ पछिताई}} | {{लेख क्रम4| पिछला= लोचन सजल डीठि भइ थोरी |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला= बचनु न आव हृदयँ पछिताई}} |
11:02, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
बिबरन भयउ न जाइ निहारी
| |
कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | चौपाई, सोरठा, छन्द और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | अयोध्या काण्ड |
सभी (7) काण्ड क्रमश: | बालकाण्ड, अयोध्या काण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किंधा काण्ड, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड, उत्तरकाण्ड |
बिबरन भयउ न जाइ निहारी। मारेसि मनहुँ पिता महतारी॥ |
- भावार्थ
सुमंत्रजी के मुख का रंग बदल गया है, जो देखा नहीं जाता। ऐसा मालूम होता है मानो इन्होंने माता-पिता को मार डाला हो। उनके मन में रामवियोग रूपी हानि की महान् ग्लानि (पीड़ा) छा रही है, जैसे कोई पापी मनुष्य नरक को जाता हुआ रास्ते में सोच कर रहा हो॥3॥
बिबरन भयउ न जाइ निहारी |
चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
पुस्तक- श्रीरामचरितमानस (अयोध्याकाण्ड) |प्रकाशक- गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन- भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|पृष्ठ संख्या-240
संबंधित लेख