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+[[नर्मद]]
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-[[राहुल सांकृत्यायन]]
-[[राहुल सांकृत्यायन]]
||[[चित्र:Narmad.jpg|right|border|100px|नर्मद]]'नर्मद' [[गुजराती भाषा]] के युग प्रवर्तक माने जाने वाले रचनाकार थे। जिस प्रकार [[हिन्दी साहित्य]] में [[आधुनिक काल]] के आरंभिक अंश को '[[भारतेंदु युग]]' संज्ञा दी जाती है, उसी प्रकार गुजराती में नवीन चेतना के प्रथम कालखंड को 'नर्मद युग' कहा जाता है। भारतेंदु की तरह ही [[नर्मद]] की प्रतिभा भी सर्वतोमुखी थी। नर्मद एक समाज सुधारक भी थे। उन्होंने '''बुद्धिवर्धक सभा''' की स्थापना की थी। नर्मद जो कहते, उस पर स्वयं भी अमल करते थे। उन्होंने एक विधवा से [[विवाह]] किया था और सामाजिक बुराइयों का विरोध करने के लिए 'दांडियो' नाम का एक पत्र निकाला। नर्मद को [[वीर रस|वीर]] तथा [[श्रृंगार रस|श्रृंगार]] के वर्णन में अधिक रुचि थी। नर्मद का अपना विशेष स्थान है और [[गुजराती साहित्य]] में उनके समय को 'नर्मद युग' के रूप में जाना जाता है।  
||[[चित्र:Narmad.jpg|right|border|100px|नर्मद]]'नर्मद' [[गुजराती भाषा]] के युग प्रवर्तक माने जाने वाले रचनाकार थे। जिस प्रकार [[हिन्दी साहित्य]] में [[आधुनिक काल]] के आरंभिक अंश को '[[भारतेंदु युग]]' संज्ञा दी जाती है, उसी प्रकार गुजराती में नवीन चेतना के प्रथम कालखंड को 'नर्मद युग' कहा जाता है। भारतेंदु की तरह ही [[नर्मद]] की प्रतिभा भी सर्वतोमुखी थी। नर्मद एक समाज सुधारक भी थे। उन्होंने '''बुद्धिवर्धक सभा''' की स्थापना की थी। नर्मद जो कहते, उस पर स्वयं भी अमल करते थे। उन्होंने एक विधवा से [[विवाह]] किया था और सामाजिक बुराइयों का विरोध करने के लिए 'दांडियो' नाम का एक पत्र निकाला। नर्मद को [[वीर रस|वीर]] तथा [[श्रृंगार रस|श्रृंगार]] के वर्णन में अधिक रुचि थी। नर्मद का अपना विशेष स्थान है और [[गुजराती साहित्य]] में उनके समय को 'नर्मद युग' के रूप में जाना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नर्मद]]
 
{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नर्मद]]
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