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'''अनुपम खैर''' (अंग्रेज़ी: ''Anupam Kher'' जन्म: [[7 मार्च]], [[1955]], [[शिमला]]) भारतीय अभिनेता हैं, जिन्होंने 500 से ज़्यादा फ़िल्मों में काम किया है। मुख्यतः उन्होंने हिंदी फ़िल्मों में काम किया है, इसके साथ-साथ उन्होंने बहुत सी इंटरनेशनल फ़िल्में भी की है, जिनमें मुख्यतः बेककहम, लस्ट जैसी सुपरहिट फ़िल्में शामिल है। अनुपम खैर को पाँच बार कॉमिक रोल के लिये बेस्ट परफॉरमेंस के लिये पाँच फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड मिल चुके हैं। विजय फ़िल्म में अपने किरदार के लिये उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड भी मिला था। अभिनेता होने के साथ-साथ वे सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ फ़िल्म सर्टिफिकेशन एंड नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा, इंडिया के चेयरमैन भी है। हिंदी सिनेमा और कला के क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिये [[भारत सरकार]] ने [[2004]] में उन्हें [[पद्मश्री|पद्म श्री]] और [[2016]] में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया था। उनकी पत्नी एक्ट्रेस किरण खैर, चंडीगढ़ से इंडिया पार्लिमेंट की नियुक्त सदस्य भी है।<ref>{{cite web |url=http://www.gyanipandit.com/anupam-kher-biography-in-hindi/ |title=अनुपम खैर |accessmonthday=14 सितम्बर |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.gyanipandit.com |language=हिंदी }}</ref> | |||
==जीवन परिचय== | |||
अनुपम खैर का जन्म 7 मार्च 1955 को शिमला में हुआ था। इनके पिता पुष्कर नाथ एक कश्मीरी पंडित थे, वे पेशे से क्लर्क थे। शिमला में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) से स्नातक की शिक्षा पूरी की। | |||
====पढ़ाई==== | |||
अनुपम की पढ़ाई शिमला के डी.ए.वी. स्कूल से हुई है। वे नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के पूर्व छात्र व पूर्व अध्यक्ष भी रहे हैं। | |||
====शादी==== | |||
अनुपम की पहली शादी मधुमालती से हुई थी। उनसे तलाक के बाद उन्होंने [[1985]] में किरण खेर से शादी कर ली। उनका एक बेटा सिकंदर खैर है। | |||
| | ==फ़िल्म करियर== | ||
| | अनुपम खैर ने [[1982]] में आयी फ़िल्म आगमन अपने फ़िल्मी कॅरियर की शुरुआत की। इसके बाद [[1984]] में उन्होंने सारांश फ़िल्म की, जिसमे 28 साल के खैर ने एक सामान्य वर्ग के महाराष्ट्रियन का किरदार निभाया था जिसने अपने बेटे को खो दिया हो। उन्होंने बहुत से टी.वी शो भी होस्ट किये हैं, जैसे कि सेना समथिंग तो अनुपम अंकल, सवाल दस करोड़ का, लीड इंडिया और वर्तमान में अनुपम खैर शो – कुछ भी हो सकता है, और अपने पहले एपिसोड से ही यह सुपरहिट साबित हुआ, क्योकि पहले ही एपिसोड में इसमें मेहमान भूमिका में शाहरुख़ खान को बुलाया गया था। उन्होंने बहुत से हास्य रोल भी किये हैं।<ref>{{cite web |url=https://www.notedlife.com/hi/Anupam-Kher-biography-in-hindi |title=अनुपम खैर |accessmonthday=14 सितम्बर |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.notedlife.com |language=हिंदी }}</ref> लेकिन कुछ फ़िल्मो में उन्होंने विलन की भूमिका भी अदा की है, उन फ़िल्मो में डॉ. दंग इन कर्मा (1986) शामिल है। उन्हें फ़िल्म डैडी (1989) में उनके रोल के लिये बेस्ट परफॉरमेंस का फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड भी मिला था। उन्होंने शाहरुख खान के साथ मिलकर बहुत सी फ़िल्मे की है, जिनमे वे शाहरुख़ के सह-कलाकार दिखे। | ||
| | ====निर्देशक के रूप में==== | ||
| | इसके बाद उन्होंने [[2002]] में आयी फ़िल्म 'ओम जय जगदीश' को डायरेक्ट किया और प्रोड्यूसर बने। उन्होंने इसके बाद उन्होंने फ़िल्म 'मैंने गांधी को नही मारा' (2005) प्रोड्यूस की और उसमे वे खुद ही एक्टर बने। फ़िल्म में उनके लाजवाब प्रदर्शन को देखकर कराची इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल में उन्हें बेस्ट एक्टर का अवार्ड भी मिला था। फ़िल्म में पुलिस कमिश्नर राठोड के किरदार को लोगो ने काफी सराहा था और आलोचकों ने भी जमकर तारीफ की थी। | ||
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| | अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुपम खैर ने बेककहम (2002), ब्राइड एंड प्रेज्यूडिस (2004), स्पीडी सिंह (2011) जैसी सुपरहिट फ़िल्मे की है। इसके साथ-साथ उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत से टी. वी शो भी किये हैं, जिनके लिये उन्हें बहुत से अवार्ड भी मिले है। | ||
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| | अनुपम खैर ने अपने खुद के जीवन पर आधारित नाटक 'कुछ भी हो सकता है' लिखा था और खुद ही उसमे एक्टिंग भी की थी जिसे फ़िरोज अब्बास ख़ान ने डायरेक्ट किया था। अभी कुछ दिनों पहले तक ही उन्होंने इंडियन फ़िल्म सेंसर बोर्ड के पद पर रहते हुए सेवा की थी। इसके साथ-साथ वे नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के 1978 की बैच के भूतपूर्व छात्रा भी थे। [[2007]] में अनुपम खैर अपने साथियों एन.एस.डी, सतीश कौशिक जैसी फ़िल्मे की। दोनों ने मिलकर करोल बाग़ प्रोडक्शन की स्थापना की और उनकी पहले फ़िल्म तेरे संग थी, जिसे सतीश कौशिक ने ही डायरेक्ट किया था। | ||
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| | इसके बाद प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन ने 2010 में उन्हें अपना गुडविल एम्बेसडर घोषित किया जिनका मुख्य उद्देश्य भारत में सभी बच्चो को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना है। 2011 में उन्होंने मोहनलाल और जयाप्रदा के साथ मिलकर मलयालम भाषा में रोमांटिक ड्रामा प्राणायाम शुरू किया। खैर के अनुसार प्राणायाम उनके जीवन की 7 सबसे पसंदीदा फ़िल्मो में से एक है। उन्होंने बहुत से मराठी फ़िल्मे भी की है जिनमें मुख्य रूप से तुझा… थोडा माझा, कशाला उद्याची बात और मलयालम भाह्सा की रोमांटिक ड्रामा फ़िल्मे भी शामिल है। [[2009]] में अनुपम खैर ने 'कार्ल फ्रेडरिक्क्सन' को डिज्नी पिक्सर 3डी एनीमेशन फ़िल्म के लिये अपनी आवाज़ भी दी। उन्होंने ब्रिटिश फ़िल्म शोंग्राम करना शुरू कर दी। जो एक रोमांटिक ड्रामा फ़िल्म है और 1971 के बांग्लादेश लिबरेशन युद्ध पर आधारित है। | ||
| | ====नामांकरण और पुरस्कार==== | ||
*[[1985]] - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - सारांश | |||
*[[1996]] - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार - दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे | |||
*[[1993]] - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार - खेल | |||
*[[1994]] - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार - डर | |||
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13:06, 14 सितम्बर 2017 का अवतरण
अनुपम खैर (अंग्रेज़ी: Anupam Kher जन्म: 7 मार्च, 1955, शिमला) भारतीय अभिनेता हैं, जिन्होंने 500 से ज़्यादा फ़िल्मों में काम किया है। मुख्यतः उन्होंने हिंदी फ़िल्मों में काम किया है, इसके साथ-साथ उन्होंने बहुत सी इंटरनेशनल फ़िल्में भी की है, जिनमें मुख्यतः बेककहम, लस्ट जैसी सुपरहिट फ़िल्में शामिल है। अनुपम खैर को पाँच बार कॉमिक रोल के लिये बेस्ट परफॉरमेंस के लिये पाँच फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड मिल चुके हैं। विजय फ़िल्म में अपने किरदार के लिये उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड भी मिला था। अभिनेता होने के साथ-साथ वे सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ फ़िल्म सर्टिफिकेशन एंड नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा, इंडिया के चेयरमैन भी है। हिंदी सिनेमा और कला के क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिये भारत सरकार ने 2004 में उन्हें पद्म श्री और 2016 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। उनकी पत्नी एक्ट्रेस किरण खैर, चंडीगढ़ से इंडिया पार्लिमेंट की नियुक्त सदस्य भी है।[1]
जीवन परिचय
अनुपम खैर का जन्म 7 मार्च 1955 को शिमला में हुआ था। इनके पिता पुष्कर नाथ एक कश्मीरी पंडित थे, वे पेशे से क्लर्क थे। शिमला में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) से स्नातक की शिक्षा पूरी की।
पढ़ाई
अनुपम की पढ़ाई शिमला के डी.ए.वी. स्कूल से हुई है। वे नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के पूर्व छात्र व पूर्व अध्यक्ष भी रहे हैं।
शादी
अनुपम की पहली शादी मधुमालती से हुई थी। उनसे तलाक के बाद उन्होंने 1985 में किरण खेर से शादी कर ली। उनका एक बेटा सिकंदर खैर है।
फ़िल्म करियर
अनुपम खैर ने 1982 में आयी फ़िल्म आगमन अपने फ़िल्मी कॅरियर की शुरुआत की। इसके बाद 1984 में उन्होंने सारांश फ़िल्म की, जिसमे 28 साल के खैर ने एक सामान्य वर्ग के महाराष्ट्रियन का किरदार निभाया था जिसने अपने बेटे को खो दिया हो। उन्होंने बहुत से टी.वी शो भी होस्ट किये हैं, जैसे कि सेना समथिंग तो अनुपम अंकल, सवाल दस करोड़ का, लीड इंडिया और वर्तमान में अनुपम खैर शो – कुछ भी हो सकता है, और अपने पहले एपिसोड से ही यह सुपरहिट साबित हुआ, क्योकि पहले ही एपिसोड में इसमें मेहमान भूमिका में शाहरुख़ खान को बुलाया गया था। उन्होंने बहुत से हास्य रोल भी किये हैं।[2] लेकिन कुछ फ़िल्मो में उन्होंने विलन की भूमिका भी अदा की है, उन फ़िल्मो में डॉ. दंग इन कर्मा (1986) शामिल है। उन्हें फ़िल्म डैडी (1989) में उनके रोल के लिये बेस्ट परफॉरमेंस का फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड भी मिला था। उन्होंने शाहरुख खान के साथ मिलकर बहुत सी फ़िल्मे की है, जिनमे वे शाहरुख़ के सह-कलाकार दिखे।
निर्देशक के रूप में
इसके बाद उन्होंने 2002 में आयी फ़िल्म 'ओम जय जगदीश' को डायरेक्ट किया और प्रोड्यूसर बने। उन्होंने इसके बाद उन्होंने फ़िल्म 'मैंने गांधी को नही मारा' (2005) प्रोड्यूस की और उसमे वे खुद ही एक्टर बने। फ़िल्म में उनके लाजवाब प्रदर्शन को देखकर कराची इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल में उन्हें बेस्ट एक्टर का अवार्ड भी मिला था। फ़िल्म में पुलिस कमिश्नर राठोड के किरदार को लोगो ने काफी सराहा था और आलोचकों ने भी जमकर तारीफ की थी।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुपम खैर ने बेककहम (2002), ब्राइड एंड प्रेज्यूडिस (2004), स्पीडी सिंह (2011) जैसी सुपरहिट फ़िल्मे की है। इसके साथ-साथ उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत से टी. वी शो भी किये हैं, जिनके लिये उन्हें बहुत से अवार्ड भी मिले है।
अनुपम खैर ने अपने खुद के जीवन पर आधारित नाटक 'कुछ भी हो सकता है' लिखा था और खुद ही उसमे एक्टिंग भी की थी जिसे फ़िरोज अब्बास ख़ान ने डायरेक्ट किया था। अभी कुछ दिनों पहले तक ही उन्होंने इंडियन फ़िल्म सेंसर बोर्ड के पद पर रहते हुए सेवा की थी। इसके साथ-साथ वे नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के 1978 की बैच के भूतपूर्व छात्रा भी थे। 2007 में अनुपम खैर अपने साथियों एन.एस.डी, सतीश कौशिक जैसी फ़िल्मे की। दोनों ने मिलकर करोल बाग़ प्रोडक्शन की स्थापना की और उनकी पहले फ़िल्म तेरे संग थी, जिसे सतीश कौशिक ने ही डायरेक्ट किया था।
इसके बाद प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन ने 2010 में उन्हें अपना गुडविल एम्बेसडर घोषित किया जिनका मुख्य उद्देश्य भारत में सभी बच्चो को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना है। 2011 में उन्होंने मोहनलाल और जयाप्रदा के साथ मिलकर मलयालम भाषा में रोमांटिक ड्रामा प्राणायाम शुरू किया। खैर के अनुसार प्राणायाम उनके जीवन की 7 सबसे पसंदीदा फ़िल्मो में से एक है। उन्होंने बहुत से मराठी फ़िल्मे भी की है जिनमें मुख्य रूप से तुझा… थोडा माझा, कशाला उद्याची बात और मलयालम भाह्सा की रोमांटिक ड्रामा फ़िल्मे भी शामिल है। 2009 में अनुपम खैर ने 'कार्ल फ्रेडरिक्क्सन' को डिज्नी पिक्सर 3डी एनीमेशन फ़िल्म के लिये अपनी आवाज़ भी दी। उन्होंने ब्रिटिश फ़िल्म शोंग्राम करना शुरू कर दी। जो एक रोमांटिक ड्रामा फ़िल्म है और 1971 के बांग्लादेश लिबरेशन युद्ध पर आधारित है।