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कोष्ठागार का अध्यक्ष
डॉ. सत्यपाल
कोष्ठागार
कोठार के अध्यक्ष कोठारी को चाहिए कि वह निम्न दस बातों के सम्बंध में अच्छी जानकारी प्राप्त करे।
# [[सीता कर]]
# [[राष्ट्र कर]]
# [[क्रयिक कर]]
# [[परिवर्त्तक कर]]
# [[प्रामित्यक कर]]
# [[आपमित्यक]]
# [[सिंहनिका कर]]
# [[अन्वजात कर]]
# [[व्ययप्रत्यात कर]]
# [[उपस्थान कर]]
सीता कर
राजकीय कर के रूप में एकत्र धान्य को सीता कहा जाता है; उसको एकत्र करने वाले अधिकारी को सीताध्यक्ष कहा जाता है। कोष्ठागार के अध्यक्स को चहिए कि वह शुद्ध और पूरा सीता कर लेकर उसको व्यवस्था से रखे।


राष्ट्र कर
राष्ट्र कर के दस भेद होते हैं-
# पिण्ड कर- गांव से वसूल किए जाने वाला नियत राजकीय कर
# षड्भाग- राजा को दिये जाने वाले अन्न का छठा भाग
# सेनाभक्त- युद्धकाल में विशेष रूप से निर्धारित कर
# बलि- छठे भाग के अतिरिक्त कर
# [[कर]]- जलाशयों और जंगलों का कर
# उत्संग- राजकुमार के जन्मोत्सव पर दी जाने वाली भेंट
# पार्श्व- नियत कर के अतिरिक्त कर
# पारिहीणिक- गाय बच्छियों  के नुकसान पर डंड रूप में प्राप्त धन
#  औपायनिक-भेंट स्वरूप प्राप्त धन
# कौष्ठेयक- राजधन से बने हुए तालाबों तथा बगीचों का कर।


क्रयिक कर
टी.पी इलिस के न्यायालय द्वारा सैंट्रल समरी कोर्ट में न्याय का पक्ष प्रस्तुत किया गया तथा उनके विरुद्ध 18 अपराध लगाकर उन्हें अपराधी घोषित किया गया। जो अपराध उन पर लगाए गए वे निम्नवत थे-
क्रयिक कर तीन प्रकार का होता है-
#5 फरवरी 1919 को रौलेट बिल के विरुद्ध आक्रामक भाषण।
#धान्यमूलक- धान्य को बेचकर प्राप्त धन
#आपके भाषण द्वारा 5 फरवरी 1919 को प्लेटफार्म टिकिट जनता में शासन के प्रति रोष उत्पन्न किया गया।
# कोशनिर्हार- धन देकर खरीदा हुआ अन्न
#आपके द्वारा 12 जनवरी 1919 को मि. वेनिट को पत्र लिखा गया जिसमें कहा गया कि शहर के अंदर जो-जो आंदोलन एवं असंतोष है उसके आप मुख्य गवाह हैं और इस तरह की गवाही आपने पहले कभी नहीं देखी, सुनी होगी।
#प्रयोग-प्रत्यादान- व्याज आदि से प्राप्त धन
#11 फरवरी 1919 को जो दूसरी मीटिंग हुई उसमें आप स्वयं वक्ता थे जो अपने भाषण में सरकार के प्रति जहर उगल रहे थे।
==============================================
#17 फरवरी 1919 को ट्रेफिक मैंनेजर एन. डब्लु. रेलवे को धमकी भरा पत्र लिखा जिसमें आपने असंतोष एवं हड़ताल की बात कही। इस पत्र को 20 फरवरी 1919 को प्रकाशित किया गया।
परिवर्त्तक कर
#22 फरवरी 1919 को मौहम्मडॅन एजुकेशन मीटिंग में शासन के प्रति अप्रिय भाषा का प्रयोग किया।
एक अनाज लेकर उसके बदले दूसरा अनाज लेना परिवर्त्तक कहलाता है।
#ग्रेन सोप में 26 फरवरी 1919 को जो मीटिंग की उसमें विरोध की कोई बात नहीं कही गई लेकिन किचलू को शक्ति प्रदान करने का प्रयास किया गया।
प्रामित्यक कर
#28 फरवरी 1919 को रोलेट बिल के विरुद्ध भाषण किया जिससे जनता में सरकार के प्रति नाराजगी उतपन्न हुई।
किसी मित्र आदि से सहायता रूप में एसा धन लेना जो फिर लौटाया न जाए।
#28 मार्च 1919 को जो भाषण दिए वे बहुत ही गम्भीर थे। शासन को चेतावनी थी तथा 31 मार्च 1919 को शासन के समक्ष गम्भीर संकट उत्पन्न करने को कहा।
#23 मार्च 1919 को म्युनिसिपल कमेटी की चेयरमैन के प्रति विरोध प्रकट किया।
#29 मार्च 1919 को जो मीटिंग बुलाई गई वह आपके द्वारा प्रायोजित थी तथा आप ही उसके वक्ता थे। आपने अपने भाषण में जनता को शासन के विरुद्ध उकसारा।
#30 मार्च 1919 को जो मीटिंग शासन के विरुद्ध बुलाई गई वह भी आप द्वारा प्रायोजित थी।
#'प्रताप' अखबार में जो लेख आप द्वारा प्रस्तुत किया गया उसके आधार पर आपको राजद्रोह से सबंधित किया जाता है।
#अनेकों मीटिंग 31 मार्च 1919 से 10 अप्रॅल 1919 के बीच की जिनका उद्देश्य शासन के समक्ष कठिनाई उत्पन्न करना, यूरोपियन के बंगले में आग लगाना, यूरोपियन का कत्ल करना, ब्रिटिश सामान का परित्याग करना तथा झूठी अफवाह फैलाना आदि शामिल था। ये सभी मीटिंग सेफुद्दीन किचलू के घर पर की गई।
#एनी बैसेंट द्वारा समर्थित होम सूल के सम्बंध में सत्याग्रह करने हेतु सेफुद्दीन किचलू के घर मीटिंग में उपस्थित थे।
#8 अप्रॅल 1919 को रामनवमी के दौरान मीटिंग करने की घोषणा की।
#9 अप्रॅल 1919 को रामनवमी के जलूस में एकत्रित हे, मिठाई बाँटी तथा गुरु बाज़ार मे जाकर आगे के कार्यक्रम पर विचार विमर्श किया।
#10 अप्रॅल 1919 को जब शहर से बाहर किए गए तब जनता को भड़काया तथा बदला लेने के लिए प्रेरित किया।
डॉ. सत्यपाल का निम्नलिखित धाराओं के अंतर्गत चालान किया गया।
121A-121, 121A, 336, 146,436, 326, 506, 426/120B 124A, 147 456, 302/100 506


 
टी. पी इलिस की अदालत ने केस की समरी बनाकर तैयार किया। समरी कोर्ट ने डॉ. सत्यपाल तथा डॉ. किचलू को 10 अप्रॅल 1919 को शासन के विरुद्ध युद्ध छेड़ाने के लिस ज़िम्मेदार ठहराता। अत: दोनों को 10 अप्रॅल 1919 को सुबह 10 बजे धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) भेज किया जिससे अमृतसर में अमन शांति रह सके। यह सूचना कि डॉ. सत्यपाल तथा डॉ. किचलू को अमृतसर से बाहर आज्ञात स्थान पर सरकार ने भेज दिया है आग की तरह पूरे शहर में फैल गयी। और थोड़े ही समय में लोगों का समूह इकट्ठा होकर डिप्टी कमिश्नर के बंगले की तरफ बढ़ने लगा। जनता की माँग थी कि दोनों नेताओं क रिहा करो
आपमित्यक कर
व्याज सहित पुन: लौटा देने के वायदे पर लिया गया अन्न आदि कर। आपमित्यक कर कहलाता है।
सिंहनिका कर
कूट-पीस कर, छान-बीन कर, सत्तू पीस कर, गन्ना आदि को पेर कर, आटा पीस कर, तिलों का तेल निकाल कर, भेड़ों के बाल काटकर और गुड़, राव, शक्कर आदि पर आजीविका निर्भर करने वाले लोगों से जो कर लिया जाता है, उसे सिंहानिका कर कहते हैं।
अन्यजात
नष्ट हुए तथा भूले हुए धन नाम अन्यजात है।
व्ययप्रत्याय कर
व्ययप्रत्याय कर तीन प्रकार का होता है।
#विक्षेपशेष– सेना के व्यय से बचा धन
# व्यधितशेष- औषधालय के व्यय से बचा हुआ धन
# अन्तरारम्भशेष- दुर्ग आदि की मरम्मत से बचा हुआ धन।
उपस्थान कर
 
बाट-तराजू कई पसंघा से, तौलने के बाद मुट्ठी-दो-मुट्ठी दिया हुआ अधिक अन्न, तौली या गिनी हुई  वस्तु में कोई दूसरी ही वस्तु मिला देना, छीजन के रूप में ली हुई वस्तु, पिछ्ले वर्ष का बकाया और चतुराई से उपार्जित धन उपस्थान कहलाता है।
 
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=कौटिलीय अर्थ्शास्त्रम्‌ |लेखक=वाचस्पति गैरोला|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=चौखम्बा विधाभवन, चौक (बैंक ऑफ़ बड़ौदा भवन के पीछे , वाराणसी 221001, उत्तर प्रदेश|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=157|url=}}

13:02, 4 अक्टूबर 2017 का अवतरण

डॉ. सत्यपाल


टी.पी इलिस के न्यायालय द्वारा सैंट्रल समरी कोर्ट में न्याय का पक्ष प्रस्तुत किया गया तथा उनके विरुद्ध 18 अपराध लगाकर उन्हें अपराधी घोषित किया गया। जो अपराध उन पर लगाए गए वे निम्नवत थे-

  1. 5 फरवरी 1919 को रौलेट बिल के विरुद्ध आक्रामक भाषण।
  2. आपके भाषण द्वारा 5 फरवरी 1919 को प्लेटफार्म टिकिट जनता में शासन के प्रति रोष उत्पन्न किया गया।
  3. आपके द्वारा 12 जनवरी 1919 को मि. वेनिट को पत्र लिखा गया जिसमें कहा गया कि शहर के अंदर जो-जो आंदोलन एवं असंतोष है उसके आप मुख्य गवाह हैं और इस तरह की गवाही आपने पहले कभी नहीं देखी, सुनी होगी।
  4. 11 फरवरी 1919 को जो दूसरी मीटिंग हुई उसमें आप स्वयं वक्ता थे जो अपने भाषण में सरकार के प्रति जहर उगल रहे थे।
  5. 17 फरवरी 1919 को ट्रेफिक मैंनेजर एन. डब्लु. रेलवे को धमकी भरा पत्र लिखा जिसमें आपने असंतोष एवं हड़ताल की बात कही। इस पत्र को 20 फरवरी 1919 को प्रकाशित किया गया।
  6. 22 फरवरी 1919 को मौहम्मडॅन एजुकेशन मीटिंग में शासन के प्रति अप्रिय भाषा का प्रयोग किया।
  7. ग्रेन सोप में 26 फरवरी 1919 को जो मीटिंग की उसमें विरोध की कोई बात नहीं कही गई लेकिन किचलू को शक्ति प्रदान करने का प्रयास किया गया।
  8. 28 फरवरी 1919 को रोलेट बिल के विरुद्ध भाषण किया जिससे जनता में सरकार के प्रति नाराजगी उतपन्न हुई।
  9. 28 मार्च 1919 को जो भाषण दिए वे बहुत ही गम्भीर थे। शासन को चेतावनी थी तथा 31 मार्च 1919 को शासन के समक्ष गम्भीर संकट उत्पन्न करने को कहा।
  10. 23 मार्च 1919 को म्युनिसिपल कमेटी की चेयरमैन के प्रति विरोध प्रकट किया।
  11. 29 मार्च 1919 को जो मीटिंग बुलाई गई वह आपके द्वारा प्रायोजित थी तथा आप ही उसके वक्ता थे। आपने अपने भाषण में जनता को शासन के विरुद्ध उकसारा।
  12. 30 मार्च 1919 को जो मीटिंग शासन के विरुद्ध बुलाई गई वह भी आप द्वारा प्रायोजित थी।
  13. 'प्रताप' अखबार में जो लेख आप द्वारा प्रस्तुत किया गया उसके आधार पर आपको राजद्रोह से सबंधित किया जाता है।
  14. अनेकों मीटिंग 31 मार्च 1919 से 10 अप्रॅल 1919 के बीच की जिनका उद्देश्य शासन के समक्ष कठिनाई उत्पन्न करना, यूरोपियन के बंगले में आग लगाना, यूरोपियन का कत्ल करना, ब्रिटिश सामान का परित्याग करना तथा झूठी अफवाह फैलाना आदि शामिल था। ये सभी मीटिंग सेफुद्दीन किचलू के घर पर की गई।
  15. एनी बैसेंट द्वारा समर्थित होम सूल के सम्बंध में सत्याग्रह करने हेतु सेफुद्दीन किचलू के घर मीटिंग में उपस्थित थे।
  16. 8 अप्रॅल 1919 को रामनवमी के दौरान मीटिंग करने की घोषणा की।
  17. 9 अप्रॅल 1919 को रामनवमी के जलूस में एकत्रित हे, मिठाई बाँटी तथा गुरु बाज़ार मे जाकर आगे के कार्यक्रम पर विचार विमर्श किया।
  18. 10 अप्रॅल 1919 को जब शहर से बाहर किए गए तब जनता को भड़काया तथा बदला लेने के लिए प्रेरित किया।

डॉ. सत्यपाल का निम्नलिखित धाराओं के अंतर्गत चालान किया गया। 121A-121, 121A, 336, 146,436, 326, 506, 426/120B 124A, 147 456, 302/100 506

टी. पी इलिस की अदालत ने केस की समरी बनाकर तैयार किया। समरी कोर्ट ने डॉ. सत्यपाल तथा डॉ. किचलू को 10 अप्रॅल 1919 को शासन के विरुद्ध युद्ध छेड़ाने के लिस ज़िम्मेदार ठहराता। अत: दोनों को 10 अप्रॅल 1919 को सुबह 10 बजे धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) भेज किया जिससे अमृतसर में अमन शांति रह सके। यह सूचना कि डॉ. सत्यपाल तथा डॉ. किचलू को अमृतसर से बाहर आज्ञात स्थान पर सरकार ने भेज दिया है आग की तरह पूरे शहर में फैल गयी। और थोड़े ही समय में लोगों का समूह इकट्ठा होकर डिप्टी कमिश्नर के बंगले की तरफ बढ़ने लगा। जनता की माँग थी कि दोनों नेताओं क रिहा करो