"मंगलवार": अवतरणों में अंतर
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06:51, 7 सितम्बर 2010 का अवतरण
- मंगलवार सप्ताह का एक दिन है।
- मंगलवार सोमवार के बाद और बुधवार से पहला दिन है ।
- इसदिन मंगल की पूजा की जाती है।
- मंगलवार का नाम 'मंगल' से पड़ा है जिसका शाब्दिक अर्थ 'कुशल' है।
- मंगल का अर्थ भगवान 'हनुमान' से भी लगाया जाता है और मंगलवार को हनुमान जी की पूजा की जाती है।
- आथर्वणपरिशिष्ट [1] के अनुसार ब्राह्मण, गाय, अग्नि, भूमि, सरसों, घी, शमी, चावल एवं जौ आठ शुभ वस्तुएँ हैं।
- द्रोणपर्व [2] ने आठ मंगलों का उल्लेख किया है। द्रोणपर्व [3] में लम्बी सूची है।
- वामन पुराण [4] ने शुभ वस्तुओं के रूप में कतिपय वस्तुओं का उल्लेख किया है, जिन्हें घर से बाहर जाते समय छूना चाहिए, यथा– दूर्वा, घृत, ब्राह्मण कुमारियाँ, श्वेत पुष्प, शमी, अग्नि, सूर्य चक्र, चन्दन एवं अश्ववत्थ वृक्ष [5]। [6]।
कथा
वाराह कल्प की बात है। जब हिरण्यकशिपु का बड़ा भाई हिरण्याक्ष पृथ्वी को चुरा ले गया था और पृथ्वी के उद्धार के लिये भगवान ने वाराहवतार लिया तथा हिरण्याक्ष को मारकर पृथ्वी देवी का उद्धार किया, उस समय भगवान को देखकर पृथ्वी देवी अत्यन्त प्रसन्न हुईं और उनके मन में भगवान को पति रूप में वरण करने की इच्छा हुई। वाराहावतार के समय भगवान का तेज करोड़ों सूर्यों की तरह असह्य था। पृथ्वी की अधिष्ठात्री देवी की कामना पूर्ण करने के लिये भगवान अपने मनोरम रूप में आ गये और पृथ्वी देवी के साथ दिव्य एक वर्ष तक एकान्त में रहे। उस समय पृथ्वी देवी और भगवान के संयोग से मंगल ग्रह की उत्पत्ति हुई [7] इस प्रकार विभिन्न कल्पों में मंगल ग्रह की उत्पत्ति की विभिन्न कथाएँ हैं। पूजा के प्रयोग में इन्हें भारद्वाज गोत्र कहकर सम्बोधित किया जाता है। यह कथा गणेश पुराण में आयी है।
पुराण में मंगल
मंगल ग्रह की पूजा की पुराणों में बड़ी महिमा बतायी गयी है। यह प्रसन्न होकर मनुष्य की हर प्रकार की इच्छा पूर्ण करते हैं। भविष्य पुराण के अनुसार मंगल व्रत में ताम्रपत्र पर भौमयन्त्र लिखकर तथा मंगल की सुवर्णमयी प्रतिमा की प्रतिष्ठा कर पूजा करने का विधान है। मंगल देवता के नामों का पाठ करने से ऋण से मुक्ति मिलती है। यह अशुभ ग्रह माने जाते हैं। यदि ये वक्रगति से न चलें तो एक-एक राशि को तीन-तीन पक्ष में भोगते हुए बारह राशियों को डेढ़ वर्ष में पार करते हैं।
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