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{वह प्रथम भारतीय शासक किस वंश का था, जिसने रोमन मुद्रा प्रणाली के अनुरूप अपने सिक्कों का प्रसारण किया? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-761
|type="()"}
-[[शुंग वंश|शुंग]]
-[[यूनानी|हिन्द-यूनानी]]
+[[कुषाण वंश|कुषाण]]
-[[गुप्तवंश]]
||युइशि जाति', जिसे '[[यूची क़बीला]]' के नाम से भी जाना जाता है, का मूल अभिजन [[तिब्बत]] के उत्तर-पश्चिम में 'तकला मक़ान' की मरुभूमि के सीमान्त क्षेत्र में था। [[हूण|हूणों]] के आक्रमण प्रारम्भ हो चुके थे। युइशि लोगों के लिए यह सम्भव नहीं था कि वे बर्बर और प्रचण्ड हूण आक्रान्ताओं का मुक़ाबला कर सकते। वे अपने अभिजन को छोड़कर पश्चिम व दक्षिण की ओर जाने के लिए विवश हुए। उस समय सीर नदी की घाटी में [[शक|शक जाति]] का निवास था। यूची क़बीले के लोगों ने [[कुषाण वंश]] प्रारम्भ किया।{{point}}'''अधिक जानकारी के लिए देखें''':-[[कुषाण वंश]]


{[[हरिषेण]] किस शासक का दरबारी कवि था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-946
|type="()"}
+[[समुद्रगुप्त]]
-[[अशोक]]
-[[कनिष्क]]
-[[चंद्रगुप्त द्वितीय]]
||महादण्ड नायक ध्रुवभूति के पुत्र, संधिविग्रहिक महादण्डनायक [[हरिषेण]] [[समुद्रगुप्त]] के समय में 'सन्धिविग्रहिक कुमारामात्य' एवं 'महादण्डनायक' के पद पर कार्यरत था। हरिषेण की शैली के विषय में जानकारी 'प्रयाग स्तम्भ' लेख से मिलती है। हरिषेण द्वारा स्तम्भ लेख में प्रयुक्त [[छन्द]] [[कालिदास]] की शैली की याद दिलाते हैं। हरिषेण का पूरा लेख 'चंपू (गद्यपद्य-मिश्रित) शैली' का एक अनोखा उदाहरण है।{{point}}'''अधिक जानकारी के लिए देखें''':-[[हरिषेण]]
{[[संगम युग]] में प्रांतों को मंडलम में विभाजित किया गया था और मंडलम का भी उपविभाजन निम्नलिखित में से किसमें हुआ था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-863
|type="()"}
+नाडु
-[[कुर्रम]]
-कोट्टम
-[[उर]]
||सुदूर [[दक्षिण भारत]] में [[कृष्णा नदी|कृष्णा]] एवं [[तुंगभद्रा नदी|तुंगभद्रा]] नदियों के बीच के क्षेत्र को '[[तमिल नाडु|तमिल प्रदेश]]' कहा जाता था। इस प्रदेश में अनेक छोटे-छोटे राज्यों का अस्तित्व था, जिनमें [[चेर वंश|चेर]], [[चोल साम्राज्य|चोल]] और [[पांड्य साम्राज्य|पांड्य]] प्रमुख थे। [[दक्षिण भारत]] के इस प्रदेश में [[तमिल भाषा|तमिल]] कवियों द्वारा सभाओं तथा गोष्ठियों का आयोजन किया जाता था। इन गोष्ठियों में विद्वानों के मध्य विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श किया जाता था, इसे ही 'संगम' के नाम से जाना जाता है। 100 ई. से 250 ई. के मध्य दक्षिण भारत में तीन संगमों को आयोजित किया गया। इस युग को ही [[इतिहास]] में "संगम युग" के नाम से जाना जाता है।{{point}}:-'''अधिक जानकारी के लिए देखें''':-[[संगम युग]]
{[[संगम युग]] में संगम ग्रंथों में वर्णित नगर 'वसव समुद्र' किससे सम्बंधित है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-917
|type="()"}
+[[मद्रास]]
-[[मदुरै]]
-कावेरीपट्टनम
-मुसिरी
||[[मद्रास]] अथवा '''मद्रास प्रेसीडेंसी''' जिसे आधिकारिक तौर पर फोर्ट सेंट जॉर्ज की प्रेसीडेंसी तथा मद्रास प्रोविंस के रूप में भी जाना जाता है। मद्रास, ब्रिटिश भारत का एक प्रशासनिक अनुमंडल था। अपनी सबसे विस्तृत सीमा तक प्रेसीडेंसी में [[दक्षिण भारत]] के अधिकांश हिस्सों सहित वर्तमान भारतीय राज्य [[तमिल नाडु]], उत्तरी [[केरल]] का मालाबार क्षेत्र, [[लक्षद्वीप|लक्षद्वीप द्वीपसमूह]], तटीय [[आंध्र प्रदेश]] और आंध्र प्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र, गंजाम, मल्कानगिरी, कोरापुट, रायगढ़, नवरंगपुर और दक्षिणी [[उड़ीसा]] के गजपति जिले और बेल्लारी, दक्षिण कन्नड़ और [[कर्नाटक]] के उडुपी जिले शामिल थे। मद्रास का वर्तमान नाम [[चेन्नई]] है। सन् 1639 ई. में [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] के कर्मचारी [[फ़्रांसिस डे]] ने विजयनगर के राजा से कुछ भूमि लेकर इस नगर की स्थापना की थी। उस समय का बना हुआ क़िला अभी तक विद्यमान है।{{point}}:-'''अधिक जानकारी के लिए देखें''':-[[मद्रास]]
{[[गुप्तकाल|गुप्तकालीन]] [[ग्रंथ|ग्रंथों]] में प्रयुक्त "आभ्यांतर सिद्ध" से ध्वनित होता है- (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1004
|type="()"}
+फौज़दारी एवं दीवानी मामले
-सामंतों की कार्य प्रणाली
-दो सामंतों के मध्य विवाद
-इनमें से कोई नहीं
{पुरालेखीय स्त्रोतों में प्राप्त कुटुम्बिन शब्द का अभिप्राय निम्नलिखित में से क्या था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-239,प्रश्न-1076
|type="()"}
-भू-स्वामी
-व्यक्तियों का एक वर्ग जिसे कभी-कभी भूमि के साथ हस्तांतरित कर दिया जाता था।
+उपर्युक्त दोनों
-इनमें से कोई नहीं
{किस [[चोल]] शासक ने [[वैदिक धर्म]] से अनुप्राणित होकर [[अश्वमेध यज्ञ]] सम्पन्न कराया? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-243,प्रश्न-1128
|type="()"}
-[[विक्रम चोल]]
-सुन्दर चोल
+[[राजाधिराज प्रथम]]
-इनमें से कोई नहीं
||[[राजाधिराज]] (1044-1052 ई.), [[राजेन्द्र प्रथम]] का पुत्र था और उसके बाद राज्य का वास्तविक उत्तराधिकारी था। उसकी शक्ति का उपयोग प्रधानतया उन विद्रोहों को शान्त करने में हुआ, जो उसके विशाल साम्राज्य में समय-समय पर होते रहते थे। विशेषतया, [[पांड्य|पाड्य]], [[चेर वंश]] और सिंहल ([[श्रीलंका]]) के राज्यों ने राजाधिराज के शासन काल में स्वतंत्र होने का प्रयत्न किया, पर चोलराज ने उन्हें बुरी तरह से कुचल डाला।{{point}}:-'''अधिक जानकारी के लिए देखें''':-[[राजाधिराज]]
{[[कश्मीर]] का वह कौन प्रसिद्ध शासक था, जिसे [[मार्तंड सूर्य मंदिर|मार्तण्ड मन्दिर]] के निर्माण का श्रेय है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-247,प्रश्न-1171
|type="()"}
-जयपीड विनयादित्य
+[[ललितादित्य मुक्तापीड]]
-[[अवन्ति वर्मन]]
-इनमें से कोई नहीं
||ललितादित्य [[कर्कोटक वंश]] का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक था। उसने तिब्बतियों, कम्बोजों एवं तुर्को को पराजित किया। उसकी श्रेष्ठ उपलब्धि थी - कन्नौज नरेश यशोवर्मन की पराजय। 733 ई. में ललितादित्य ने [[चीन]] में अपना दूत मण्डल भेजा। विजेता होने के साथ ही ललितादित्य एक महान् निर्माता भी था।{{point}}:-'''अधिक जानकारी के लिए देखें''':-[[ललितादित्य मुक्तापीड]]
{निम्नलिखित में से किस ग्रंथ में [[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] का जीवन-चरित्र या जीवनी वर्णित नहीं है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-202,प्रश्न-488
|type="()"}
-[[ललितविस्तर]]
+[[महावस्तु]]
-निदानकथा
-[[बुद्धचरित]]
||[[महावस्तु]] एक प्रसिद्ध बौद्ध ग्रन्थ है। यह [[बौद्ध|बौद्धों]] के [[हीनयान|हीनयान पंथ]] का एक प्रसिद्ध प्राचीन विनय-ग्रन्थ है। महावस्तु का अर्थ है- 'महान विषय' या 'कथा'। इस [[ग्रन्थ]] में भगवान [[बुद्ध]] के जीवन को केन्द्र बिन्दू मानकर छ्ठी शताब्दी ई. के [[इतिहास]] को प्रस्तुतु किया गया है।{{point}}:-'''अधिक जानकारी के लिए देखें''':-[[महावस्तु]]
{[[अशोक]] का समकालीन सीरिया का ग्रीक राजा, जिसका उसके अभिलेखों में उल्लेख मिलता है, कौन था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-212,प्रश्न-656
|type="()"}
+एण्टयोकस द्वितीय थियॉस
-टॉल्मी द्वितीय
-एण्टीगोनस
-अलेक्जेंडर
</quiz>
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12:29, 15 नवम्बर 2017 का अवतरण