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{[[गांधी-इरविन समझौता]] ([[5 मार्च]] [[1931]]) किससे संबंधित है? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-102,प्रश्न-17 | |||
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-[[भारत छोड़ो आंदोलन]] | |||
+[[सविनय अवज्ञा आंदोलन]] | |||
-असहयोग-खिलाफत आंदोलन | |||
-[[रॉलेट एक्ट|रॉलेट आंदोलन]] | |||
||[[सविनय अवज्ञा आन्दोलन]], [[ब्रिटिश साम्राज्य|ब्रिटिश साम्राज्यवाद]] के विरुद्ध [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] द्वारा चलाये गए जन आन्दोलन में से एक था। इस के चलते सरकार ने भी [[गांधी जी]] व अन्य कांग्रेसी नेताओं को रिहा कर दिया और [[वाइसराय]] [[लॉर्ड इरविन]] और गांधी जी के बीच सीधी बातचीत का आयोजन करके समझौते की अभिलाषा प्रकट की। गांधी जी और लॉर्ड इरविन में समझौता हुआ, जिसके अंतर्गत सविनय अवज्ञा आन्दोलन वापस ले लिया गया। हिंसा के दोषी लोगों को छोड़कर आन्दोलन में भाग लेने वाले सभी बन्दियों को रिहा कर दिया गया और [[कांग्रेस]] [[गोलमेज सम्मेलन]] के दूसरे अधिवेशन में भाग लेने को सहमत हो गई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सविनय अवज्ञा आंदोलन]], [[गाँधी-इरविन समझौता]] | |||
{किसने सुझाव दिया था कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] को समाप्त कर दिया जाय? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-105,प्रश्न-95 | |||
|type="()"} | |||
-[[सी. राजगोपालाचारी]] | |||
-[[जे. बी. कृपलानी]] | |||
+[[महात्मा गांधी]] | |||
-[[जयप्रकाश नारायण]] | |||
{निम्नलिखित में किसका योगदान [[होमरूल लीग आन्दोलन]] की स्थापना में नहीं था? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-100,प्रश्न-51 | |||
|type="()"} | |||
-[[बाल गंगाधर तिलक]] | |||
-[[ऐनी बेसेंट]] | |||
-[[एस. सुब्रह्मण्य अय्यर]] | |||
+टी. एस. ऑल्कॉट | |||
||[[होमरूल लीग आन्दोलन]] का उद्देश्य [[ब्रिटिश साम्राज्य]] के अधीन रहते हुए संवैधानिक तरीक़े से स्वशासन को प्राप्त करना था। इस लीग के प्रमुख नेता [[बाल गंगाधर तिलक]] एवं श्रीमती [[एनी बेसेंट]] थीं। स्वराज्य की प्राप्ति के लिए तिलक ने [[28 अप्रैल]], [[1916]] ई. को बेलगांव में 'होमरूल लीग' की स्थापना की थी। इनके द्वारा स्थापित लीग का प्रभाव [[कर्नाटक]], [[महाराष्ट्र]] ([[बम्बई]] को छोड़कर), मध्य प्रान्त एवं [[बरार]] तक फैला हुआ था। कालान्तर में होमरूल लीग के बढ़ते हुए प्रभाव से ख़तरा महसूस करके [[ब्रिटिश सरकार]] ने एनी बेसेंट, जॉर्ज अरुन्डेल तथा वी.पी. वाडिया को [[1917]] ई. में गिरफ़्तार कर लिया। इस गिरफ़्तारी के विरोध में [[एस. सुब्रह्मण्य अय्यर]] ने अपनी 'नाइट हुड' की उपाधि वापस कर दी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[होमरूल लीग आन्दोलन]] | |||
{[[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]] और [[आनंद मोहन बोस]] ने [[कांग्रेस]] के जन्म के पहले किस राष्ट्रवादी पार्टी की स्थापना की, जो कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण थी? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-96,प्रश्न-46 | |||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -मद्रास महाजन सभा | ||
+[[इण्डियन एसोसिएशन]] | |||
-बंगाल यंग एसोसिएशन | |||
- | -इनमें से कोई नहीं | ||
|| | ||[[इण्डियन एसोसिएशन]] की स्थापना [[जुलाई]] [[1876]] ई. में [[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]] ने [[कलकत्ता]] में की थी, जो उस समय उग्रवादी नेता समझे जाते थे। इसका उद्देश्य [[भारत]] में शक्तिशाली जनमत का निर्माण करना तथा समान राजनीतिक हितों और महत्त्वाकांक्षाओं के आधार पर विविध भारतीय जातियों तथा वर्गों का एकीकरण करना था। अपने जन्मकाल से ही इस एसोसिएशन ने देश के सामने उपस्थित राजनीतिक प्रश्नों पर भारतीय जनमत को संगठित करने तथा अभिव्यक्त करने का प्रयास किया। परन्तु यह एसोसिएशन वास्तव में [[नरम दल]] वालों का संगठन बना रहा और आज भी इसका यही रूप है। | ||
{[[दांडी मार्च]] में [[गांधी जी]] ने कितनी दूरी तय करके नमक क़ानून का विरोध किया था? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-103,प्रश्न-47 | |||
|type="()"} | |||
-248 कि.मी. | |||
+358 कि.मी. | |||
-284 कि.मी. | |||
-348 कि.मी. | |||
||[[दांडी मार्च]] से अभिप्राय उस पैदल यात्रा से है, जो [[महात्मा गाँधी]] और उनके स्वयं सेवकों द्वारा [[12 मार्च]], [[1930]] ई. को प्रारम्भ की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य था- "[[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] द्वारा बनाये गए 'नमक क़ानून को तोड़ना'।" गाँधी जी ने अपने 78 स्वयं सेवकों, जिनमें वेब मिलर भी एक था, के साथ [[साबरमती आश्रम]] से 358 कि.मी. दूर स्थित दांडी के लिए प्रस्थान किया। लगभग 24 दिन बाद [[6 अप्रैल]], 1930 ई. को दांडी पहुँचकर उन्होंने समुद्रतट पर नमक क़ानून को तोड़ा। महात्मा गाँधी ने दांडी यात्रा के दौरान [[सूरत]], डिंडौरी, वांज, धमन के बाद [[नवसारी ज़िला|नवसारी]] को यात्रा के आखिरी दिनों में अपना पड़ाव बनाया था। यहाँ से कराडी और दांडी की यात्रा पूरी की थी। नवसारी से दांडी का फासला लगभग 13 मील का है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[दांडी मार्च]] | |||
{[[जलियाँवाला बाग़]] के नरसंहार के समय [[भारत]] का [[वायसराय]] कौन था? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-103,प्रश्न-57 | |||
|type="()"} | |||
-[[लॉर्ड कैनिंग]] | |||
-[[लॉर्ड रिपन]] | |||
-[[लॉर्ड कर्ज़न]] | |||
+[[लॉर्ड चेम्सफ़ोर्ड]] | |||
||[[लॉर्ड चेम्सफ़ोर्ड]] [[1916]] ई. से [[1921]] ई. तक [[भारत]] का [[वाइसराय]] रहा था। प्रथम विश्वयुद्ध छिड़ जाने के समय में इसे भारत भेजा गया था। इस महायुद्ध में भारतीय सेनाओं को भेजने के कारण वह काफ़ी चर्चित रहा। इसके समय में [[1919]] ई. का [[रौलट एक्ट]] पास हुआ था। प्रसिद्ध [[जलियांवाला बाग़]] हत्याकांड, लॉर्ड चेम्सफ़ोर्ड के समय में ही [[13 अप्रैल]], 1919 ई. को हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[लॉर्ड चेम्सफ़ोर्ड]], [[जलियाँवाला बाग़]] | |||
{[[मुग़ल चित्रकला|मुग़ल चित्रकारी]] ने किसके शासनकाल में पराकाष्ठा/ चरमोत्कर्ष प्राप्त किया? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-54,प्रश्न-16 | |||
|type="()"} | |||
-[[शाहजहाँ]] | |||
-[[अकबर]] | |||
+[[जहाँगीर]] | |||
-[[औरंगज़ेब]] | |||
||[[मुग़ल]] बादशाहों [[बाबर]] और [[हुमायूँ]] के काल में [[मुग़लकालीन चित्रकला]] फ़ारसी चित्रकला शैली से पूर्णतया प्रभावित थी। [[जहाँगीर]] के काल में [[चित्रकला]] का और अधिक विकास हुआ। उसने पशु पक्षियों के उत्कृष्ट चित्र बनवाये। क़िलों की दीवारों पर [[भारत के पुष्प|फूल]] पत्तियों के चित्रण की विशेष शैली देखने को मिलती है, जिसे इतिहासकारों ने 'पित्रेदुरा' नाम दिया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुग़ल चित्रकला]] | |||
{'जिस प्रकार स्पेन के फोड़े ने नेपोलियन को बर्बाद किया उसी प्रकार दक्कन के फोड़े ने औरंगज़ेब को।' यह उक्ति किस इतिहासकार की है? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-60,प्रश्न-184 | |||
|type="()"} | |||
+[[जदुनाथ सरकार]] | |||
-[[कर्नल टॉड]] | |||
-वी. ए. स्मिथ | |||
-इनमें से कोई नहीं | |||
{'अखिल भारतीय व्यापार संघ कांग्रेस' (All India Trade Union Congrerss- AITUC) की स्थापना [[1920]] में किसने की? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-90,प्रश्न-91 | |||
|type="()"} | |||
+[[एन. एम. जोशी]] | |||
-एन. एम. लोखाण्डे | |||
-शशिपद बनर्जी | |||
-बी. पी. वाडिया | |||
||[[एन. एम. जोशी]] का पूरा नाम 'नारायण मल्हार जोशी' था। ये [[भारत]] में 'ट्रेड यूनियन आंदोलन' के जन्मदाता थे। इन्होंने [[1920]] ई. में 'अखिल भारतीय ट्रेड युनियन कांग्रेस' की स्थाना की और [[1929]] ई. तक उसके सचिव रहे। [[कांग्रेस]] में साम्यवादियों के प्रभाव के कारण इन्होंने कांग्रेस छोड़कर 'ट्रेड यूनियन परिसंघ' नामक एक नया संगठन बनाया। ये केन्द्रीय विधानसभा [[दिल्ली]] के निर्वाचित सदस्य भी रहे थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[एन. एम. जोशी]] | |||
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11:36, 3 दिसम्बर 2017 का अवतरण
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