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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {[[बल्लव]] किसका दूसरा नाम था?
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| +[[भीम]]
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| -[[अर्जुन]]
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| -[[नकुल]]
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| -[[सहदेव]]
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| ||[[महाभारत]] में [[पांडव|पांडवों]] के वनवास में एक [[वर्ष]] का [[अज्ञातवास]] भी था, जो उन्होंने [[विराट नगर]] में बिताया। विराट नगर में पांडव अपना नाम और पहचान छुपाकर रहे। इन्होंने [[विराट|राजा विराट]] के यहाँ सेवक बनकर एक वर्ष बिताया। [[भीम (पांडव)|भीम]] ने अपना नाम [[बल्लव]] बताया और रसोइये का कार्य किया। बल्लव का अर्थ है सूपकर्त्ता अर्थात् रसोइया। रसोई के काम में निपुण होने से उनका यह नाम यथार्थ ही है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[बल्लव]], [[भीम]]
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| {[[शिशुपाल]] का वध किस अस्त्र द्वारा हुआ था?
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| -[[बाण अस्त्र|बाण]]
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| -[[पाश अस्त्र|पाश]]
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| +[[सुदर्शन चक्र|चक्र]]
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| -[[गरुड़ अस्त्र|गरुड़]]
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| ||[[शिशुपाल]] [[कृष्ण]] की बुआ का लड़का था। [[युधिष्ठर]] ने जब [[राजसूय यज्ञ]] की तैयारी की तब सभी प्रमुख राजाओं को यज्ञ में आने का निमन्त्रण दिया गया जिसमें चेदिराज शिशुपाल भी था । देवपूजा के समय [[कृष्ण]] का सम्मान देखकर वह जल गया और उनको गालियाँ देने लगा। शिशुपाल द्वारा सौ गालियाँ देने पर भी कृष्ण ने उसे माफ कर दिया और चेतावनी दी। अतः उसने काल के वश होकर अपनी तलवार निकालते हुये श्रीकृष्ण को फिर से गाली दी। शिशुपाल के मुख से अपशब्द के निकलते ही श्रीकृष्ण ने अपना [[सुदर्शन चक्र]] चला दिया और पलक झपकते ही शिशुपाल का सिर कट कर गिर गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[शिशुपाल]], [[शिशुपाल वध]]
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| {[[हिंदू]] पौराणिक ग्रंथ [[महाभारत]] के अनुसार [[भीष्म]] कौन थे?
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| +[[वसु]]
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| -[[यक्ष]]
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| -[[रुद्र]]
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| -[[प्रचेता]]
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| ||[[भीष्म]] [[महाभारत]] के प्रमुख पात्र थे। ये महाराजा [[शान्तनु]] के पुत्र थे। इनका वास्तविक नाम देवव्रत था। राजा शांतनु के बड़े बेटे भीष्म आठवें [[वसु]] थे। अपने पिता को दिये गये वचन के कारण इन्होंने आजीवन [[ब्रह्मचर्य]] का व्रत लिया था। इन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था। युद्ध में [[शिखंडी]] की सहायता से [[अर्जुन]] ने इनका वध किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[भीष्म]]
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| {[[युधिष्ठिर]] के [[अश्वमेध यज्ञ]] में निन्दा करने वाले नेवले का नाम एक [[पांडव]] का भी था, वह पांडव कौन था?
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| |type="()"}
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| -[[अर्जुन]]
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| -[[भीम]]
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| +[[नकुल]]
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| -[[सहदेव]]
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| {[[कुबेर|यक्षराज कुबेर]] के पुत्र का नाम क्या था?
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| |type="()"}
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| -[[आनर्त (शर्याति पुत्र)|आनर्त]]
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| +[[नलकूबर]]
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| -[[सुकेतु|सुकेतु (यक्ष)]]
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| -[[चित्रांग]]
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| ||[[नलकूबर]] [[पुराण|पुराणों]] और [[महाभारत]] के अनुसार [[कुबेर]] के पुत्र को कहा गया है। नलकूबर के बड़े भाई का नाम मणिग्रीव था। एक बार दोनों भाई स्त्रियों के साथ [[जल]]-क्रीड़ा कर रहे थे। मद्यपान के कारण इन्हें अपने वस्त्रों की भी सुधि नहीं थी। इतने में [[नारद]] को आता देखकर स्त्रियों ने तो वस्त्र पहन लिए पर नलकूबर और मणिग्रीव नशे के कारण निवर्सन ही खड़े रहे। इससे रुष्ट होकर नारद ने इन दोनों को सौ वर्षों तक वृक्ष योनि में रहने का शाप दे दिया। [[कृष्णावतार]] के समय में वे [[गोकुल]] में [[नंद]] के घर पर वृक्ष बने जहाँ [[कृष्ण]] के द्वारा इनका वृक्ष योनि से उद्धार हुआ। नलकूबर की प्रेयसी [[रंभा]] थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[नलकूबर]]
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| {[[उर्वशी]] से उत्पन्न [[पुरुरवा]] के पुत्र का क्या नाम था?
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| |type="()"}
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| -[[कृतक्षण]]
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| -[[वात्स्य]]
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| -[[सत्यव्रत]]
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| +[[शतायु]]
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| {[[द्रोणाचार्य]] का वध [[महाभारत]] युद्ध के कौन से दिन हुआ था?
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| |type="()"}
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| +[[महाभारत युद्ध पंद्रहवाँ दिन|15वें दिन]]
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| -[[महाभारत युद्ध ग्यारहवाँ दिन|11वें दिन]]
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| -[[महाभारत युद्ध बारहवाँ दिन|12वें दिन]]
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| -[[महाभारत युद्ध सोलहवाँ दिन|16वें दिन]]
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| ||[[भीम]] ने [[द्रोणाचार्य|द्रोण]] को '[[अश्वत्थामा]] मार डाला गया है'- यह समाचार दिया। द्रोण अपने बेटे के बल से परिचित थे, अत: उन्होंने धर्मावतार युधिष्ठिर से इस समाचार की पुष्टि करने के लिए कहा। युधिष्ठिर ने ज़ोर से कहा- अश्वत्थामा मारा गया और साथ ही धीरे से यह भी कह दिया 'हाथी का वध हुआ है।' उत्तरांश द्रोण ने नहीं सुना तथा पुत्रशोक से संतप्त हो उनकी चेतना लुप्त होने लगी। द्रोण आर्तनाद कर उठे तथा कौरवों को पुकारकर कहने लगे कि अब युद्ध का कार्यभार वे लोग स्वयं ही संभाले। सुअवसर देखकर [[धृष्टद्युम्न]] तलवार लेकर उनके रथ की ओर लपका और उनके मस्तक के बाल पकड़कर सबके मना करते हुए भी चार सौ वर्षीय द्रोण के सिर को धड़ से काट गिराया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[द्रोणाचार्य]]
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| {भोजन बनाने की कला में कौन से [[पाण्डव]] श्रेष्ठ थे?
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| |type="()"}
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| -[[नकुल]]
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| +[[भीम]]
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| -[[सहदेव]]
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| -[[अर्जुन]]
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| ||[[पांडु]] के पाँच में से दूसरे पुत्र का पुत्र का नाम [[भीम]] अथवा भीमसेन था। भीम में दस हज़ार [[हाथी|हाथियों]] का बल था और वह गदा युद्ध में पारंगत था। [[दुर्योधन]] की ही तरह भीम ने भी गदा युद्ध की शिक्षा [[श्रीकृष्ण]] के बड़े भाई [[बलराम]] से ली थी। [[महाभारत]] में भीम ने ही दुर्योधन और [[दुशासन|दुःशासन]] सहित [[गांधारी]] के सौ पुत्रों को मारा था। इसके साथ ही उसे पाक कला में भी महारथ हासिल थी। अज्ञातवास के समय [[विराट]] के महल में वह एक रसोईये के रूप में रहा था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[भीम]]
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| {निम्न में से किसे [[संकर्षण]] नाम से भी जाना जाता है?
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| |type="()"}
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| -[[कृष्ण]]
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| -[[युधिष्ठिर]]
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| +[[बलराम]]
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| -[[दुर्योधन]]
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| ||[[संकर्षण]] भगवान [[श्रीकृष्ण]] के बड़े भाई '[[बलराम]]' का ही एक अन्य नाम है, जिन्हें [[शेषनाग]] का [[अवतार]] माना जाता है। [[हिन्दू धर्म]] में कहीं-कहीं इन्हें भगवान [[विष्णु]] के अवतारों में भी गिना जाता है। [[ब्रज]] के राजा बलराम या दाऊजी महाराज के जन्म के विषय में 'गर्ग पुराण' के अनुसार [[देवकी]] के सप्तम गर्भ को [[योगमाया]] ने संकर्षण कर [[रोहिणी]] के गर्भ में पहुँचाया था। जब [[कंस]] ने देवकी-[[वसुदेव]] के छ: पुत्रों को मार डाला, तब देवकी के गर्भ में भगवान [[बलराम]] पधारे थे। योगमाया ने उन्हें आकर्षित करके [[नन्द]] के यहाँ निवास कर रही रोहिणी के गर्भ में पहुँचा दिया। इसलिये उनका एक नाम 'संकर्षण' पड़ा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[संकर्षण]], [[बलराम]]
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| {[[संज्ञा (सूर्य की पत्नी)|संज्ञा]] और छाया किसकी पत्नियाँ थी?
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| |type="()"}
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| -[[शनि देव]]
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| +[[सूर्य देवता|सूर्य]]
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| -[[कुबेर]]
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| -[[इंद्र]]
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| ||वैदिक और पौराणिक आख्यानों के अनुसार [[सूर्य देवता|भगवान सूर्य]] समस्त जीव-जगत के आत्मस्वरूप हैं। पौराणिक सन्दर्भ में सूर्यदेव की उत्पत्ति के अनेक प्रसंग प्राप्त होते हैं। यद्यपि उनमें वर्णित घटनाक्रमों में अन्तर है, किन्तु कई प्रसंग परस्पर मिलते-जुलते हैं। सर्वाधिक प्रचलित मान्यता के अनुसार भगवान सूर्य महर्षि [[कश्यप]] के पुत्र हैं। वे महर्षि कश्यप की पत्नी [[अदिति]] के गर्भ से उत्पन्न हुए। अदिति के पुत्र होने के कारण ही उनका एक नाम [[आदित्य देवता|आदित्य]] हुआ। सूर्य देव की दो पत्नियाँ अर्थात सहचरी बतायी गयीं हैं- [[संज्ञा (सूर्य की पत्नी)|संज्ञा]] और छाया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सूर्य देवता]], [[संज्ञा (सूर्य की पत्नी)|संज्ञा]]
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