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||[[कृपाचार्य]] [[शरद्वान गौतम|महर्षि शरद्वान गौतम]] के पुत्र थे। इनकी बहन का नाम '[[कृपि]]' था, जिसका [[विवाह]] [[द्रोण]] से हुआ था, जो [[पाण्डव|पाण्डवों]] तथा [[कौरव|कौरवों]] के गुरु थे। [[महाभारत]] के युद्ध में कृपाचार्य [[भीष्म]] आदि के साथ ही [[दुर्योधन]] के पक्ष में युद्ध कर रहे थे। महाभारत युद्ध के बाद ये पाण्डवों से आ मिले और फिर [[अभिमन्यु]] के पुत्र [[परीक्षित]] को [[अस्त्र शस्त्र|अस्त्र-शस्त्र]] की शिक्षा प्रदान की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कृपाचार्य]] | ||[[कृपाचार्य]] [[शरद्वान गौतम|महर्षि शरद्वान गौतम]] के पुत्र थे। इनकी बहन का नाम '[[कृपि]]' था, जिसका [[विवाह]] [[द्रोण]] से हुआ था, जो [[पाण्डव|पाण्डवों]] तथा [[कौरव|कौरवों]] के गुरु थे। [[महाभारत]] के युद्ध में कृपाचार्य [[भीष्म]] आदि के साथ ही [[दुर्योधन]] के पक्ष में युद्ध कर रहे थे। महाभारत युद्ध के बाद ये पाण्डवों से आ मिले और फिर [[अभिमन्यु]] के पुत्र [[परीक्षित]] को [[अस्त्र शस्त्र|अस्त्र-शस्त्र]] की शिक्षा प्रदान की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कृपाचार्य]] | ||
{[[हरिवंश पुराण]] में कितने पर्व हैं? | |||
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-5 | |||
{[[धृतराष्ट्र]] के दामाद का क्या नाम था? | |||
|type="()"} | |||
-[[शिशुपाल]] | |||
+[[जयद्रथ]] | |||
-[[कृतवर्मा]] | |||
-[[शाल्व]] | |||
{[[हरिद्वार]] से 2 मील दूर, [[गंगा नदी]] और नीलधारा के संगम पर स्थित तीर्थ का नाम क्या है? | |||
|type="()"} | |||
+[[कनखल]] | |||
-[[द्वाराहाट]] | |||
-[[नंदप्रयाग]] | |||
-[[उखीमठ]] | |||
||[[कनखल]] [[हिन्दू|हिन्दुओं]] का एक प्रसिद्ध [[तीर्थ स्थान]] है, जो [[हरिद्वार]] से लगभग एक मील की दूरी पर दक्षिण में तथा ज्वालापुर से दो मील पश्चिम गंगा के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। यहाँ नगर के दक्षिण में [[दक्ष|दक्ष प्रजापति]] का भव्य मंदिर है, जिसके निकट 'सतीघाट' के नाम से वह भूमि है, जहाँ [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार [[शिव|भगवान शिव]] ने [[सती]] के प्राणोत्सर्ग के पश्चात् दक्ष के [[यज्ञ]] का ध्वंस किया था। कनखल एक पुण्य तीर्थ स्थल है, जहाँ प्रति वर्ष लाखों तीर्थयात्री दर्शनार्थ आते हैं। | |||
{[[शकुंतला]] के पोषक पिता का नाम क्या था? | |||
|type="()"} | |||
-[[विश्वामित्र]] | |||
-[[अगस्त्य]] | |||
-[[अत्रि]] | |||
+[[कण्व]] | |||
||[[प्राचीन भारत]] में 'कण्व' नाम के अनेक व्यक्ति हुए हैं, जिनमें सबसे अधिक प्रसिद्ध महर्षि [[कण्व]] थे, जिन्होंने [[अप्सरा]] [[मेनका]] के गर्भ से उत्पन्न [[विश्वामित्र]] की कन्या [[शकुंतला]] को पाला था। देवी शकुन्तला के धर्मपिता के रूप में महर्षि कण्व की अत्यन्त प्रसिद्धि है। 103 सूक्त वाले [[ऋग्वेद]] के आठवें मण्डल के अधिकांश [[मन्त्र]] महर्षि कण्व तथा उनके वंशजों तथा गोत्रजों द्वारा दृष्ट हैं। कुछ सूक्तों के अन्य भी द्रष्ट ऋषि हैं, किंतु 'प्राधान्येन व्यपदेशा भवन्ति' के अनुसार महर्षि कण्व अष्टम मण्डल के द्रष्टा [[ऋषि]] कहे गये हैं। | |||
{निम्नलिखित में से कौन [[द्रोणाचार्य]] की पत्नी थीं? | |||
|type="()"} | |||
+[[कृपि]] | |||
-[[जटिला (गौतम पुत्री)|जटिला]] | |||
-[[[शांता]] | |||
-इनमें से कोई नहीं | |||
{निम्नलिखित में से कौन [[बृहस्पति ऋषि|देवगुरु बृहस्पति]] के बड़े पुत्र थे? | |||
|type="()"} | |||
-[[जयंत]] | |||
-[[नलकूबर]] | |||
+[[कच]] | |||
-[[प्रद्युम्न]] | |||
{[[श्रीकृष्ण]] द्वारा [[रुक्मणी]] के गर्भ से उत्पन्न पुत्र का नाम क्या था? | |||
|type="()"} | |||
-[[सत्यक (कृष्ण पुत्र)|सत्यक]] | |||
+[[प्रद्युम्न]] | |||
-वृहत्सेन | |||
-प्रहरण | |||
||[[प्रद्युम्न]] [[कामदेव]] के अवतार माने जाते हैं। ये भगवान [[श्रीकृष्ण]] की प्रमुख पत्नी [[रुक्मिणी]] के पुत्र थे। इनका जीवन-चरित्र अत्यन्त विचित्र है। कामदेव को जब भगवान [[शंकर]] ने भस्म कर दिया, तब उसकी पत्नी [[रति]] भगवान शिव के पास जाकर करुण विलाप करने लगी। आशुतोष भगवान शिव ने उस पर दया करके उसे वरदान दिया कि [[द्वापर युग|द्वापर]] में जब सच्चिदानन्द भगवान श्रीकृष्ण का अवतार होगा, तब तुम्हारा पति उनके पुत्र के रूप में उत्पन्न होगा। | |||
Ø महर्षि भृगु की पत्नी का नाम क्या था →पुलोमा | |||
Ø निम्नलिखित में से कौन श्रीकृष्ण के नाना थे→देवक | |||
Ø सरस्वती और दृषद्वती नदियों के बीच का भाग क्या कहलाता था →ब्रह्मावर्त | |||
Ø निम्नलिखित में से द्रोणाचार्य के पिता कौन थे →भारद्वाज | |||
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12:34, 31 दिसम्बर 2017 का अवतरण
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