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-[[कृतवर्मा]]
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-[[शाल्व]]
-[[शाल्व]]
||[[महाभारत]] में [[जयद्रथ]] [[सिंध प्रांत|सिंधु प्रदेश]] के राजा थे। जयद्रथ का [[विवाह]] [[कौरव|कौरवों]] की एकमात्र बहन [[दु:शला]] से हुआ था। जयद्रथ [[वृद्धक्षत्र (जयद्रथ पिता)|वृद्धक्षत्र]] के पुत्र थे। वृद्धक्षत्र के यहाँ जयद्रथ का जन्म देर से हुआ था और जयद्रथ को यह वरदान प्राप्त था कि जयद्रथ का वध कोई सामान्य व्यक्ति नहीं कर पायेगा, साथ ही यह वरदान भी प्राप्त था कि जो भी जयद्रथ को मारेगा और जयद्रथ का सिर ज़मीन पर गिरायेगा, तब उसके सिर के भी हज़ारों टुकड़े हो जायेंगे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जयद्रथ]], [[दु:शला]]


{[[हरिद्वार]] से 2 मील दूर, [[गंगा नदी]] और नीलधारा के संगम पर स्थित तीर्थ का नाम क्या है?
{[[हरिद्वार]] से 2 मील दूर, [[गंगा नदी]] और नीलधारा के संगम पर स्थित तीर्थ का नाम क्या है?
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-[[नंदप्रयाग]]
-[[नंदप्रयाग]]
-[[उखीमठ]]
-[[उखीमठ]]
||[[कनखल]] [[हिन्दू|हिन्दुओं]] का एक प्रसिद्ध [[तीर्थ स्थान]] है, जो [[हरिद्वार]] से लगभग एक मील की दूरी पर दक्षिण में तथा ज्वालापुर से दो मील पश्चिम गंगा के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। यहाँ नगर के दक्षिण में [[दक्ष|दक्ष प्रजापति]] का भव्य मंदिर है, जिसके निकट 'सतीघाट' के नाम से वह भूमि है, जहाँ [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार [[शिव|भगवान शिव]] ने [[सती]] के प्राणोत्सर्ग के पश्चात्‌ दक्ष के [[यज्ञ]] का ध्वंस किया था। कनखल एक पुण्य तीर्थ स्थल है, जहाँ प्रति वर्ष लाखों तीर्थयात्री दर्शनार्थ आते हैं।
||[[कनखल]] [[हिन्दू|हिन्दुओं]] का एक प्रसिद्ध [[तीर्थ स्थान]] है, जो [[हरिद्वार]] से लगभग एक मील की दूरी पर दक्षिण में तथा ज्वालापुर से दो मील पश्चिम गंगा के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। यहाँ नगर के दक्षिण में [[दक्ष|दक्ष प्रजापति]] का भव्य मंदिर है, जिसके निकट 'सतीघाट' के नाम से वह भूमि है, जहाँ [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार [[शिव|भगवान शिव]] ने [[सती]] के प्राणोत्सर्ग के पश्चात्‌ दक्ष के [[यज्ञ]] का ध्वंस किया था। कनखल एक पुण्य तीर्थ स्थल है, जहाँ प्रति वर्ष लाखों तीर्थयात्री दर्शनार्थ आते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कनखल]]




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-[[अत्रि]]
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+[[कण्व]]
+[[कण्व]]
||[[प्राचीन भारत]] में 'कण्व' नाम के अनेक व्यक्ति हुए हैं, जिनमें सबसे अधिक प्रसिद्ध महर्षि [[कण्व]] थे, जिन्होंने [[अप्सरा]] [[मेनका]] के गर्भ से उत्पन्न [[विश्वामित्र]] की कन्या [[शकुंतला]] को पाला था। देवी शकुन्तला के धर्मपिता के रूप में महर्षि कण्व की अत्यन्त प्रसिद्धि है। 103 सूक्त वाले [[ऋग्वेद]] के आठवें मण्डल के अधिकांश [[मन्त्र]] महर्षि कण्व तथा उनके वंशजों तथा गोत्रजों द्वारा दृष्ट हैं। कुछ सूक्तों के अन्य भी द्रष्ट ऋषि हैं, किंतु 'प्राधान्येन व्यपदेशा भवन्ति' के अनुसार महर्षि कण्व अष्टम मण्डल के द्रष्टा [[ऋषि]] कहे गये हैं।
||[[प्राचीन भारत]] में 'कण्व' नाम के अनेक व्यक्ति हुए हैं, जिनमें सबसे अधिक प्रसिद्ध महर्षि [[कण्व]] थे, जिन्होंने [[अप्सरा]] [[मेनका]] के गर्भ से उत्पन्न [[विश्वामित्र]] की कन्या [[शकुंतला]] को पाला था। देवी शकुन्तला के धर्मपिता के रूप में महर्षि कण्व की अत्यन्त प्रसिद्धि है। 103 सूक्त वाले [[ऋग्वेद]] के आठवें मण्डल के अधिकांश [[मन्त्र]] महर्षि कण्व तथा उनके वंशजों तथा गोत्रजों द्वारा दृष्ट हैं। कुछ सूक्तों के अन्य भी द्रष्ट ऋषि हैं, किंतु 'प्राधान्येन व्यपदेशा भवन्ति' के अनुसार महर्षि कण्व अष्टम मण्डल के द्रष्टा [[ऋषि]] कहे गये हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कण्व]]


{निम्नलिखित में से कौन [[द्रोणाचार्य]] की पत्नी थीं?
{निम्नलिखित में से कौन [[द्रोणाचार्य]] की पत्नी थीं?
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+[[कृपि]]
+[[कृपि]]
-[[जटिला (गौतम पुत्री)|जटिला]]
-[[जटिला (गौतम पुत्री)|जटिला]]
-[[[शांता]]
-[[शांता]]
-इनमें से कोई नहीं
-इनमें से कोई नहीं
||[[कृपि]] [[पाण्डव|पाण्डवों]] और [[कौरव|कौरवों]] के गुरु [[द्रोणाचार्य]] की पत्नी थीं। इन्हीं के गर्भ से तेजस्वी [[अश्वत्थामा]] का जन्म हुआ था, जिसके मस्तक पर जन्म से ही मणि विराजमान थी और जिसने [[महाभारत]] युद्ध में बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। कृपि आचार्य [[कृपाचार्य]] की बहिन थीं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कृपि]]


{निम्नलिखित में से कौन [[बृहस्पति ऋषि|देवगुरु बृहस्पति]] के बड़े पुत्र थे?
{निम्नलिखित में से कौन [[बृहस्पति ऋषि|देवगुरु बृहस्पति]] के बड़े पुत्र थे?
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+[[कच]]
+[[कच]]
-[[प्रद्युम्न]]
-[[प्रद्युम्न]]
||[[कच]] पौराणिक धर्म ग्रंथों और [[हिन्दू]] मान्यताओं के अनुसार [[देवता|देवताओं]] के गुरु [[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]] के पुत्र थे। इन्होंने दैत्यगुरु [[शुक्राचार्य]] से संजीवनी विद्या प्राप्त की थी। किंतु गुरुपुत्री [[देवयानी]] के प्रेम को ठुकरा देने के कारण देवयानी ने कच को संजीवनी विद्या भूल जाने का शाप दे दिया। इसके साथ ही कच ने भी देवयानी को यह शाप दिया कि कोई भी [[ब्राह्मण]] उससे [[विवाह]] नहीं करेगा। कच तथा देवयानी की कथा विस्तारपूर्वक '[[महाभारत]]' के 'आदिपर्व' में दी गई है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कच]]


{[[श्रीकृष्ण]] द्वारा [[रुक्मणी]] के गर्भ से उत्पन्न पुत्र का नाम क्या था?
{[[श्रीकृष्ण]] द्वारा [[रुक्मणी]] के गर्भ से उत्पन्न पुत्र का नाम क्या था?
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-वृहत्सेन
-वृहत्सेन
-प्रहरण
-प्रहरण
||[[प्रद्युम्न]] [[कामदेव]] के अवतार माने जाते हैं। ये भगवान [[श्रीकृष्ण]] की प्रमुख पत्नी [[रुक्मिणी]] के पुत्र थे। इनका जीवन-चरित्र अत्यन्त विचित्र है। कामदेव को जब भगवान [[शंकर]] ने भस्म कर दिया, तब उसकी पत्नी [[रति]] भगवान शिव के पास जाकर करुण विलाप करने लगी। आशुतोष भगवान शिव ने उस पर दया करके उसे वरदान दिया कि [[द्वापर युग|द्वापर]] में जब सच्चिदानन्द भगवान श्रीकृष्ण का अवतार होगा, तब तुम्हारा पति उनके पुत्र के रूप में उत्पन्न होगा।
||[[प्रद्युम्न]] [[कामदेव]] के अवतार माने जाते हैं। ये भगवान [[श्रीकृष्ण]] की प्रमुख पत्नी [[रुक्मिणी]] के पुत्र थे। इनका जीवन-चरित्र अत्यन्त विचित्र है। कामदेव को जब भगवान [[शंकर]] ने भस्म कर दिया, तब उसकी पत्नी [[रति]] भगवान शिव के पास जाकर करुण विलाप करने लगी। आशुतोष भगवान शिव ने उस पर दया करके उसे वरदान दिया कि [[द्वापर युग|द्वापर]] में जब सच्चिदानन्द भगवान श्रीकृष्ण का अवतार होगा, तब तुम्हारा पति उनके पुत्र के रूप में उत्पन्न होगा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[प्रद्युम्न]]


Ø  महर्षि भृगु की पत्नी का नाम क्या था →पुलोमा
{[[भृगु|महर्षि भृगु]] की पत्नी का नाम क्या था?
|type="()"}
+[[पुलोमा]]
-[[जटिला (गौतम पुत्री)|जटिला]]
-[[मृगी]]
-[[रेणुका]]
||[[पुलोमा]] [[हिन्दू]] मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य [[महाभारत]] के उल्लेखानुसार वैश्वानर नामक दैत्य की चार पुत्रियों में से एक थी, जो [[भृगु|ऋषि भृगु]] की पत्नी थी। अन्य मत से यह [[कश्यप]] की पत्नी थी। पुलोमा के पुत्र [[च्यवन|महर्षि च्यवन]] थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[पुलोमा]]


Ø  निम्नलिखित में से कौन श्रीकृष्ण के नाना थे→देवक
{निम्नलिखित में से कौन [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] के नाना थे?
|type="()"}
-[[उग्रसेन]]
-[[शूरसेन]]
-[[अंधक]]
+[[देवक]]
||[[कंस]] के चाचा और [[उग्रसेन]] के भाई का नाम 'देवक' था। उन्होंने अपनी सात पुत्रियों का विवाह [[वासुदेव]] से कर दिया था, जिनमें [[देवकी]] भी एक थी। [[कृष्ण]] देवकी के गर्भ से उत्पन्न आठवें पुत्र थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[देवक]]


Ø  सरस्वती और दृषद्वती नदियों के बीच का भाग क्या कहलाता था →ब्रह्मावर्त
{[[सरस्वती नदी|सरस्वती]] और [[दृषद्वती नदी|दृषद्वती]] नदियों के बीच का भाग क्या कहलाता था?
|type="()"}
+[[ब्रह्मावर्त]]
-[[अन्तचार]]
-[[दीपवती]]
-[[कुशप्लव]]
||[[यमुना नदी]] की पावन धारा के तट का वह भू-भाग, जिसे आजकल [[ब्रजमंडल]] या [[मथुरा]] मंडल कहते हैं पहले मध्य देश अथवा ब्रह्मर्षि देश के अन्तर्गत [[शूरसेन]] जनपद के नाम से प्रसिद्ध था, [[भारतवर्ष]] का अत्यन्त प्राचीन और महत्त्वपूर्ण प्रदेश माना गया है, अत्यन्त प्राचीन काल से ही इसी गौरव-गाथा के सूत्र मिलते हैं। हिन्दू , [[जैन]], और बौद्धों की धार्मिक अनुश्रुतियों तथा [[संस्कृत]], [[पालि]], प्राकृत के प्राचीन ग्रन्थों में इस पवित्र भू-खण्ड का विशद वर्णन वर्णित है । ब्रह्मावर्त, ब्रह्मदेश, ब्रह्मर्षिदेश और आर्यावर्त आदि नामों से विख्यात उत्तरांचल प्रदेश वेद भूमि है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[ब्रह्मावर्त]]


Ø  निम्नलिखित में से द्रोणाचार्य के पिता कौन थे →भारद्वाज
{[[द्रोणाचार्य]] के पिता कौन थे?
|type="()"}
-[[अत्रि]]
+[[भारद्वाज]]
-[[फेनप ऋषि]]
-[[कर्दम]]
||[[भारद्वाज|महर्षि भारद्वाज]] [[ऋग्वेद]] के छठे मण्डल के द्रष्टा कह गये हैं। इस मण्डल में भारद्वाज के 765 [[मन्त्र]] हैं। [[अथर्ववेद]] में भी भारद्वाज के 23 मन्त्र मिलते हैं। वैदिक ऋषियों में भारद्वाज-ऋषि का अति उच्च स्थान है। भारद्वाज के पिता [[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]] और माता ममता थीं। इनके पुत्र गुरु [[द्रोणाचार्य]] थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[भारद्वाज]], [[द्रोणाचार्य]]
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12:08, 3 जनवरी 2018 का अवतरण

1 महाभारत के अठारहवें दिन के युद्ध का कौरव सेना का सेनापत्तित्व किसने किया था?

शल्य और कर्ण
कर्ण और शल्य
शल्य और अश्वत्थामा
अश्वत्थामा और कर्ण

2 महाभारत युद्ध के अंत में निम्न में से कौन जीवित बचा था?

कृपाचार्य
शल्य
भगदत्त (नरकासुर पुत्र)
धृष्टद्युम्न

3 हरिवंश पुराण में कितने पर्व हैं?

4
2
3
5

5 हरिद्वार से 2 मील दूर, गंगा नदी और नीलधारा के संगम पर स्थित तीर्थ का नाम क्या है?

कनखल
द्वाराहाट
नंदप्रयाग
उखीमठ

6 शकुंतला के पोषक पिता का नाम क्या था?

विश्वामित्र
अगस्त्य
अत्रि
कण्व

7 निम्नलिखित में से कौन द्रोणाचार्य की पत्नी थीं?

कृपि
जटिला
शांता
इनमें से कोई नहीं

8 निम्नलिखित में से कौन देवगुरु बृहस्पति के बड़े पुत्र थे?

जयंत
नलकूबर
कच
प्रद्युम्न

9 श्रीकृष्ण द्वारा रुक्मणी के गर्भ से उत्पन्न पुत्र का नाम क्या था?

सत्यक
प्रद्युम्न
वृहत्सेन
प्रहरण

10 महर्षि भृगु की पत्नी का नाम क्या था?

पुलोमा
जटिला
मृगी
रेणुका

11 निम्नलिखित में से कौन श्रीकृष्ण के नाना थे?

उग्रसेन
शूरसेन
अंधक
देवक

12 सरस्वती और दृषद्वती नदियों के बीच का भाग क्या कहलाता था?

ब्रह्मावर्त
अन्तचार
दीपवती
कुशप्लव