"अनवर जलालपुरी": अवतरणों में अंतर
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'''अनवर जलालपुरी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Anwar Jalalpuri'', जन्म- [[6 जुलाई]], [[1947]], [[अम्बेडकर नगर ज़िला|अम्बेडकर नगर]], [[उत्तर प्रदेश]]; मृत्यु- [[2 जनवरी]], 2018) 'यश भारती' से सम्मानित [[उर्दू]] के मशहूर शायर थे। उन्होंने [[हिन्दू]] धार्मिक ग्रंथ '[[गीता|श्रीमद्भागवत गीता]]' का उर्दू शायरी में अनुवाद किया था। उर्दू दुनिया की नामचीन हस्तियों में शुमार अनवर जलालपुरी मुशायरों की निजामत के बादशाह थे। | '''अनवर जलालपुरी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Anwar Jalalpuri'', जन्म- [[6 जुलाई]], [[1947]], [[अम्बेडकर नगर ज़िला|अम्बेडकर नगर]], [[उत्तर प्रदेश]]; मृत्यु- [[2 जनवरी]], 2018) 'यश भारती' से सम्मानित [[उर्दू]] के मशहूर शायर थे। उन्होंने [[हिन्दू]] धार्मिक ग्रंथ '[[गीता|श्रीमद्भागवत गीता]]' का उर्दू शायरी में अनुवाद किया था। उर्दू दुनिया की नामचीन हस्तियों में शुमार अनवर जलालपुरी मुशायरों की निजामत के बादशाह थे। मुशायरों की जान माने जाने वाले अनवर जलालपुरी ने 'राहरौ से रहनुमा तक', 'उर्दू शायरी में गीतांजलि' तथा भगवद्गीता के उर्दू संस्करण 'उर्दू शायरी में गीता' पुस्तकें लिखीं, जिन्हें बेहद सराहा गया। उन्होंने 'अकबर द ग्रेट' धारावाहिक के संवाद भी लिखे थे। | ||
==परिचय== | ==परिचय== | ||
अनवर जलालपुरी का जन्म 6 जुलाई सन 1947 को जलालपुर, अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनका वास्तविक नाम 'अनवर अहमद' था। उन्होंने [[1966]] में गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक किया। इसके बाद [[1968]] में [[अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय]] से [[अंग्रेज़ी]] में और [[1978]] में अवध विश्वविद्यालय से [[उर्दू साहित्य]] में भी एम.ए. किया। अनवर जलालपुरी उर्दू, अरबी, फ़ारसी विश्वविधालय, नीरज शहरयार अवार्ड चयन कमेटी, यूपी राज्य उर्दू कमेटी से भी जुड़े रहे थे। | अनवर जलालपुरी का जन्म 6 जुलाई सन 1947 को जलालपुर, अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनका वास्तविक नाम 'अनवर अहमद' था। उन्होंने [[1966]] में गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक किया। इसके बाद [[1968]] में [[अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय]] से [[अंग्रेज़ी]] में और [[1978]] में अवध विश्वविद्यालय से [[उर्दू साहित्य]] में भी एम.ए. किया। अनवर जलालपुरी उर्दू, अरबी, फ़ारसी विश्वविधालय, नीरज शहरयार अवार्ड चयन कमेटी, यूपी राज्य उर्दू कमेटी से भी जुड़े रहे थे। | ||
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==अधूरी हसरत== | ==अधूरी हसरत== | ||
अनवर जलालपुरी पिछले काफ़ी दिनों से [[उर्दू]] में ढली 'गीता' की शायरियों की ऑडियो सीडी लगभग बनवा चुके थे, जिसे भजन सम्राट अनूप जलोटा ने अपने सुरों से सजाया है। आने वाले दिनों में [[नरेंद्र मोदी|प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी]] के हाथों इसके विमोचन की कवायद भी चल रही थी। | अनवर जलालपुरी पिछले काफ़ी दिनों से [[उर्दू]] में ढली 'गीता' की शायरियों की ऑडियो सीडी लगभग बनवा चुके थे, जिसे भजन सम्राट अनूप जलोटा ने अपने सुरों से सजाया है। आने वाले दिनों में [[नरेंद्र मोदी|प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी]] के हाथों इसके विमोचन की कवायद भी चल रही थी। | ||
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*[http://thewirehindi.com/30425/munawwar-rana-remembering-renowned-urdu-poet-anwar-jalalpuri/ अनवर जलालपुरी-मुशायरे का टीचर चला गया] | *[http://thewirehindi.com/30425/munawwar-rana-remembering-renowned-urdu-poet-anwar-jalalpuri/ अनवर जलालपुरी-मुशायरे का टीचर चला गया] | ||
*[https://navbharattimes.indiatimes.com/state/uttar-pradesh/others/thousands-of-people-gave-emotional-adieu-to-anwar-jalalpuri/articleshow/62354520.cms अनवर जलालपुरी को दी अंतिम विदाई] | |||
*[http://zeenews.india.com/hindi/india/goodbye-anwar-jalalpuri-i-am-not-going-to-wait-for-me/362067 मैं जा रहा हूँ मेरा इंतजार मत करना] | |||
*[https://www.livehindustan.com/uttar-pradesh/moradabad/story-famous-ghazals-of-anwar-jalalpuri-1726867.html अनवर जलालपुरी-मैं एक शायर हूँ मेरा रुतबा नहीं किसी भी वज़ीर जैसा] | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
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11:51, 7 जनवरी 2018 का अवतरण
अनवर जलालपुरी (अंग्रेज़ी: Anwar Jalalpuri, जन्म- 6 जुलाई, 1947, अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 2 जनवरी, 2018) 'यश भारती' से सम्मानित उर्दू के मशहूर शायर थे। उन्होंने हिन्दू धार्मिक ग्रंथ 'श्रीमद्भागवत गीता' का उर्दू शायरी में अनुवाद किया था। उर्दू दुनिया की नामचीन हस्तियों में शुमार अनवर जलालपुरी मुशायरों की निजामत के बादशाह थे। मुशायरों की जान माने जाने वाले अनवर जलालपुरी ने 'राहरौ से रहनुमा तक', 'उर्दू शायरी में गीतांजलि' तथा भगवद्गीता के उर्दू संस्करण 'उर्दू शायरी में गीता' पुस्तकें लिखीं, जिन्हें बेहद सराहा गया। उन्होंने 'अकबर द ग्रेट' धारावाहिक के संवाद भी लिखे थे।
परिचय
अनवर जलालपुरी का जन्म 6 जुलाई सन 1947 को जलालपुर, अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनका वास्तविक नाम 'अनवर अहमद' था। उन्होंने 1966 में गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक किया। इसके बाद 1968 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी में और 1978 में अवध विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में भी एम.ए. किया। अनवर जलालपुरी उर्दू, अरबी, फ़ारसी विश्वविधालय, नीरज शहरयार अवार्ड चयन कमेटी, यूपी राज्य उर्दू कमेटी से भी जुड़े रहे थे।
उर्दू शायरी में ढली 'गीता'
अनवर जलालपुरी का अहम कार्य 'गीता' को उर्दू शायरी में ढालने का है। 'गीता' के 701 श्लोकों को उन्होंने 1761 उर्दू अशआर में व्याख्यायित किया है। जलालपुरी जी कहते थे- "आज जब समाज में संवेदनाशीलता खत्म होती जा रही है, तब 'गीता' की शिक्षा बेहद प्रासंगिक है। मुझे लगता था कि शायरी के तौर पर इसे अवाम के सामने पेश करूँ तो एक नया पाठक वर्ग इसकी तालीम से फायदा उठा सकेगा।" इसकी बानगी कुछ इस प्रकार है-
- गीता श्लोक
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संङ्गोऽस्त्वकर्मणि।
- अर्थ
सतो गुन सदा तेरी पहचान हो/कि रूहानियत तेरा ईमान हो
कुआं तू न बन, बल्कि सैलाब बन/जिसे लोग देखें वही ख्वाब बन
तुझे वेद की कोई हाजत न हो/ किसी को तुझ से कोई चाहत ना हो।
- गीता श्लोक
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत्।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मांन सृजाम्यहम्॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥
- अर्थ
फराएज से इंसा हो बेजार जब/हो माहौल सारा गुनाहगार जब बुरे लोगों का बोलबाला रहे/न सच बात को कहने बाला रहे कि जब धर्म का दम भी घुटने लगे/शराफत का सरमाया लुटने लगे तो फिर जग में होना है जाहिर मुझे/जहां भर में रहना है हाजिर मुझे बुरे जो हैं उनका करूँ खात्मा/जो अच्छे हैं उनका करूँ में भला धरम का जमाने में हो जाए राज/चले नेक रास्ते पे सारा समाज इसी वास्ते जन्म लेता हूँ मैं/नया एक संदेश देता हूँ मैं
इस तरह हुई शुरुआत
अनवर जलालपुरी का कहना था कि- "पहले 1982 में 'गीता' पर पीएचडी का रजिस्ट्रेशन कराया था। जब अध्ययन करना शुरू किया तो लगा कि ये विषय बहुत बड़ा है। शायद मैं इसके साथ न्याय न कर सकूं। चूंकि मैं कवि था, इसलिए इसके श्लोकों का उर्दू में पद्य के रूप में अनुवाद करने की कोशिश करने लगा। पहले तो ये काम बहुत धीमी गति से चला, मगर पिछले 10 सालों में इसमें खासी तेजी आई और करीब तीन साल पहले ये काम मुकम्मल हो गया। इस ऊर्दू गीता को नामवर गायक अनूप जलोटा गा रहे हैं, जिसकी महज 20 प्रतिशत रिकॉर्डिंग ही शेष बची है। इसके बाद हमारा दुनिया के 20-22 इस्लामी देशों में 'गीता' का पैगाम पहुंचाने का मिशन है। पाकिस्तान में 'गीता' गाकर जलोटा जी ने इसकी शुरुआत कर दी है।"
उनका यह भी कहना था कि- "साहित्य, दर्शन और धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन करना शुरू से मेरी आदत में शुमार था। 'गीता' मुझे इसलिए अच्छी लगी क्योंकि इसमें दार्शनिक रोशनी के साथ साहित्यिक चाशनी भी है। इसकी तर्जुमानी के दौरान मैंने महसूस किया कि दुनिया की तमाम बड़ी किताबों में तकरीबन एक ही जैसा इंसानियत का पैगाम है। पूरी 'गीता' पढ़ने के बाद मैंने करीब 100 ऐसी बातें खोज निकालीं, जो क़ुरान और हदीस की हिदायतों से बहुत मिलती-जुलती हैं। मतलब साफ है कि अपने वक्त की आध्यात्मिक ऊंचाई पर रही शख्सियतों की सोच तकरीबन एक जैसी ही है। हम जिस मिले-जुले समाज में रह रहे हैं, उसमें एक-दूसरे को समझने की जरूरत है। मगर दिक्कत ये है कि हम समझाने की कोशिश तो करते हैं, मगर सामने वाले वो बात समझना नहीं चाहते हैं।"[1]
प्रकाशित रचनाएँ
- उर्दु शायरी में गीता
- जोश-ए-आखिरत
- उर्दु शायरी में गीतांजलि
- जागती आंखें
- हर्फे अब्जद
- अदब के अक्षर
पुरस्कार व सम्मान
उर्दू के प्रसिद्ध शायर अनवर जलालपुरी को पुरस्कार तथा मान-सम्मान आदि भी बहुत मिले-
- इफ्तेखार-ए-मीर सम्मान - 2011
- गजल संग्रह पुरस्कार - 2011
- उत्तर प्रदेश गौरव सम्मान - 2012
- साम्प्रदायिक एकता सम्मान - 2015
- बिहार उर्दू अकादमी सम्मान - 2015
- यश भारती - 2016
मृत्यु
अनवर जलालपुरी की मृत्यु 2 जनवरी, 2018 को हुई। उनको 28 दिसंबर, 2017 को उनके घर में मस्तिष्क आघात के बाद लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था, जहां सुबह करीब सवा नौ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। मृत्यु के समय उनकी आयु करीब 70 वर्ष थी। उनके परिवार में पत्नी और तीन बेटे हैं।
अधूरी हसरत
अनवर जलालपुरी पिछले काफ़ी दिनों से उर्दू में ढली 'गीता' की शायरियों की ऑडियो सीडी लगभग बनवा चुके थे, जिसे भजन सम्राट अनूप जलोटा ने अपने सुरों से सजाया है। आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इसके विमोचन की कवायद भी चल रही थी।
मुशायरे का टीचर
उनकी ज़िंदगी में यदि परेशानियां कुछ कम रही होतीं तो अदब की दुनिया में उन्होंने और भी बहुत कुछ किया होता। उनकी बेटी की मौत ने उन्हें बहुत परेशान किया था। वह घर में सबसे बड़े थे, तो नतीजे के तौर पर रो भी नहीं सकते थे और वह रोये भी नहीं। जो भी मिलने आता, उससे एक ही बात कहते कि 'पहली बार अंदाज़ा हुआ कि दुःख क्या होता है।' पर वह रोये नहीं। इस वाकये ने उनके ऊपर बेहद असर डाला था। वह बिल्कुल टूट गये थे। अहमद फ़राज़ का एक मशहूर शेर है-
ज़ब्त लाज़िम है पर दुख है क़यामत का ‘फ़राज़’
ज़ालिम अब के भी न रोएगा तो मर जाएगा
उनके साथ यही हुआ कि वह रोये नहीं और मर गए। अनवर जलालपुरी की मौत से जो सबसे बड़ा नुकसान हुआ है, वह ये कि मुशायरे का टीचर चला गया। एक टीचर के तौर पर वह हमेशा यही चाहते थे कि मुशायरे का स्तर ख़राब न होने पाए। मुशायरा सांप्रदायिकता या अश्लीलता की तरफ न जाये। वह एक संचालक के बतौर नहीं बल्कि एक टीचर की तरह मुशायरे को चलाते थे। कभी किसी ने ख़राब शेर पढ़ा, गलत वाक्य बोला, तो वह टोक दिया करते थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ उर्दू के नामचीन शायर अनवर जलालपुरी का इंतकाल (हिंदी) naidunia.jagran.com। अभिगमन तिथि: 07 जनवरी, 2018।
बाहरी कड़ियाँ
- अनवर जलालपुरी
- अनवर जलालपुरी-मुशायरे का टीचर चला गया
- अनवर जलालपुरी को दी अंतिम विदाई
- मैं जा रहा हूँ मेरा इंतजार मत करना
- अनवर जलालपुरी-मैं एक शायर हूँ मेरा रुतबा नहीं किसी भी वज़ीर जैसा