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{निम्नलिखित कलाकारों में स्वच्छंदतावाद से किसका संबंध है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-114,प्रश्न-7
|type="()"}
-[[पाब्लो पिकासो]]
-बेरनिनी
-वरमीयर
+ओजेन देलाक्रा
||'स्वच्छंदतावाद' (Romanticism) से देलाक्रा का संबंध है। स्वच्छंदतावाद की शुरुआत यद्यपि जरिको (थियोडोर जेरिकॉल्ट) ने की परंतु उसमें अधिक संवेदना और चेतना डालकर उसे सामर्थ्यशाली बनाने का काम ओजेन देलाक्रा ने किया। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) देलाक्रा ने ऑटोमॅन सेना द्वारा किओस में बसे लोगों पर हमले की भीषण घटना को विषय बनाते हुए अपना बहुविख्यात चित्र 'किओस में नरसंहार' (The Massacre of chios) बनाया। (2) देलाक्रा के विषय-चयन के साहस, स्फोटक रंगांकन और वस्तु-विन्यास ने एक नए कला-विचार का सूत्रपात्र किया।


{[[पाब्लो पिकासो]] किसके समय में पैदा हुआ था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-6
|type="()"}
-फ़ासिज़्म
-रिनेसांस
+घनचित्रण शैली (Cubism)
-आभास चित्रण (Imprissionism)
||[[पाब्लो पिकासो]] व ब्राक ने घनवाद को विकसित किया। संभवत: घनवाद का उदय ([[1907]] ई.) पाब्लो पिकासो के सुविख्यात चित्र 'एविगनन की स्त्रियां' (सुंदरियां) (1907 ई.) से हुआ जो कि घनवाद का प्रथम चित्र माना जाता है। यह चित्र एविगनन के वेश्यालय से संबंधित है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) पाब्लो पिकासो का चित्र 'बेंत की कुर्सी पर वस्तु समूह' ([[1912]]) घनवाद की प्रथम कोलाज कृति है। (2) आकारों के सामर्थ्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पाब्लो पिकासो ने चमकीले रंगों को छोड़कर [[भूरा रंग|भूरे रंगों]] का प्रयोग किया। (3) पाब्लो पिकासो ने चित्रकला के अतिरिक्त [[मूर्तिकला]], एंग्रेविंग, लीथोग्राफी, सरैमिक्स, कोलाज आदि भिन्न माध्यमों से उत्कृष्ट कलाकृतियों का निर्माण किया। (4) मजाकिया, मुर्गा, धातु की रचना, बिल्ली, बकरी तथा भेड़ वाला आदमी आदि पाब्लो पिकासो के मूर्ति शिल्प हैं। (5) पाब्लो पिकासो के प्रमुख चित्र हैं- वायलिन, माता व बालक (मैटरनिटी), युद्ध, शांति आदि।
{[[भारत]] में समीक्षावाद किसने स्थापित किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-139,प्रश्न-6
|type="()"}
-आर. एस. बिष्ट
-एम. एच. अंसारी
-जी. बी. लाल
+[[रामचंद्र शुक्ल (चित्रकार)|रामचंद्र शुक्ल]]
||[[रामचंद्र शुक्ल (चित्रकार)|रामचंद्र शुक्ल]] एक प्रख्यात [[कला]] समीक्षक थे। इसके साथ ही शुक्ल जी एक [[चित्रकार]] और कला लेखक भी थे। इससे सम्बंधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) रामचंद्र शुक्ल [[फ़्राँस]] द्वारा 'जीवन ऑनर फ्रैगानार्ड' सम्मान पाने वाले पहले भारतीय चित्रकार हैं। रामचंद्र शुल्क ने [[काशी हिंदू विश्वविद्यालय]] के चित्रकला विभाग में अध्यापन का कार्य किया तथा आगे चलकर इस विभाग के विभागाध्यक्ष भी हुए। (2) प्रो. रामचंद्र शुक्ल ने आधुनिक कला-समीक्षावाद, भारतीय चित्रकला शिक्षण पद्धति, रेखावली, कला दर्शन, कला-प्रसंग और पश्चिमी आधुनिक चित्रकार आदि पुस्तकों की भी रचना की। (3) काग़ज़ की नाव, आपातकाल, अंतिम भोज, चंद्र यात्रा, बैलेट बॉक्स आदि रामचंद्र शुक्ल की प्रमुख चित्र कृतियां हैं।
{"कला सहजानुभूति है", किस महान दार्शनिक ने इस तथ्य को स्पष्ट किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-152,प्रश्न-6
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-हीगल
-कांट
+बेनेदितो क्रोचे
-[[प्लेटो]]
||पाश्चात्य सौन्दर्यशास्त्र 'सहजानुभूति' (Intuition) का सिद्धांत क्रोचे ने प्रतिपादित किया। क्रोचे ने [[कला]] को सहजानुभूति माना है। क्रोचे को आधुनिक काल के महान सौन्दर्यशास्त्रियों में गिना जाता है। 'What is Beauty' की विवेचना करते हुए उसने 'एस्थेटिक' ग्रंथ की रचना की। इससे सम्बंधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) क्रोचे ने कला को तत्त्वत: भाषा माना है और भाषा को तत्त्वत: अभिव्यक्ति। (2) क्रोचे ने अभिव्यक्त के दो विभेद किए हैं- एस्थेटिक सेंस और नेचुरोलिस्टक सेंस। (3) क्रोचे ने अभिव्यक्त एवं सौन्दर्य को एक माना है। उन्हीं के शब्दों में- अभिव्यक्त एवं सौन्दर्य दो अवधारणाएं नहीं हैं बल्कि एक ही अवधारणा है (Expression and beauty are not two concapts but a Single concapt)। (4) 'एक्सप्रेशनिस्ट थ्योरी' का सबसे प्रमुख प्रवर्तक क्रोचे था। (5) हीगल की भाँति ही क्रोचे ने भी कलाकृति को बौद्धिक माना है। क्रोचे माइकेल एंजेलो के कथन का उल्लेख करता है- "मैं अपने दिमाग से चित्र बनाता हूं, हाथ से नहीं।"
{[[नाट्यशास्त्र]] के प्रणेता कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-6
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-[[कालिदास]]
-[[वात्स्यायन]]
+[[भरत मुनि]]
-[[अरस्तु]]
||[[भरत मुनि]] (2-3 शती ई.) ने [[काव्य]] के आवश्यक तत्त्व के रूप में [[रस]] की प्रतिष्ठा करते हुए [[श्रृंगार रस|श्रृंगार]], [[हास्य रस|हास्य]], [[रौद्र रस|रौद्र]], [[करुण रस|करुण]], [[वीर रस|वीर]], [[अद्भुत रस|अद्‌भुत]], [[वीभत्स रस|वीभत्स]] तथा [[भयानक रस|भयानक]] नाम से उसके आठ भेदों का स्पष्ट उल्लेख किया है। उन्होंने अपनी कृति [[नाट्यशास्त्र]] में इसका विस्तारपूर्वक वर्णन किया है। कतिपय विद्वानों की कल्पना है कि उन्होंने [[शांत रस|शांत]] नामक नवें रस को भी स्वीकृति दी है।
{किन दो [[रंग|रंगों]] को मिलाकर [[काला रंग]] बनाया जा सकता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-7
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+[[लाल रंग|लाल]]+[[नीला रंग|नीला]]
-[[हरा रंग|हरा]]+लाल
-[[कत्थई रंग|कत्थई]]+[[नीला रंग|नीला]]
-कत्थई+[[हरा रंग|हरा]]
||चित्रकार के लिए [[नीला रंग]], [[लाल रंग]] एवं [[पीला रंग]] [[प्राथमिक रंग]] होते हैं। [[बैंगनी रंग]], [[हरा रंग]] और [[नारंगी रंग]] [[द्वितीयक रंग]] होते हैं। प्राथमिक और द्वितीयक रंगों के संयोजन से ही अन्य रंगों को प्राप्त किया जाता है। [[काला रंग|काले रंग]] को प्राप्त करने के लिए प्राथमिक रंगों (नीला, लाल एवं पीला रंग) को एक साथ मिलाना पड़ेगा।
{जलरंगीय चित्रों (Wash Painting) को [[जल]] में कितनी बार डुबाना चाहिए? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-6
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-8 बार
-10 बार
+आवश्यकतानुसार
-11 बार
||जल रंगीय चित्रों (Wash Painting) को [[जल]] में आवश्यकतानुसार डुबाया जाता है। इससे सम्बंधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) जलरंगीय पेंटिंग बंगाल शैली और जापान शैली के चित्रकारों के सहयोग से विकसित हुई। (2) जलरंगीय शैली के चित्रण के लिए सबसे उपयुक्त काग़ज़ सफ़ेद कैंट पेपर व हैंडमेड पेपर होता है।
{भारतीय चित्रकला के षडंग में अनुपात को किस शब्द से परिभाषित किया गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-6
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-सादृश्य
-लावण्य योजना
-वर्णिका भंग
+प्रमाण
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्। यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं।
{एल. सी. डी. मॉनिटर में एल. सी. डी. का क्या अर्थ है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-182,प्रश्न-6
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+लिक्विड क्रिस्टल डिस्पले
-लो कॉस्ट डिजिट
-लिक्विड कैडमियम डिस्पले
-लो कंजम्पशन डिस्पले
||लिक्विड क्रिस्टल डिस्पले (एल. सी. डी.) का विस्तार रूप है। यह तरल क्रिस्टल मिश्रण के साथ ध्रुवीय धात्विक दो चद्दर होता है, जिसके बीच में [[विद्युत धारा]] प्रवाहित होती है।
{[[अंग्रेज़ी भाषा]] के लगभग सभी अक्षर किस अक्षर [[लिपि]] से आए हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-188,प्रश्न-37
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+लैटिन
-[[रोमन लिपि]]
-फ़्रेंच
-स्वीडिश
||[[अंग्रेज़ी भाषा]] के लगभग सभी अक्षर 'लैटिन' अक्षर [[लिपि]] से आए हैं। 750 ई. पू. के आस-पास [[स्वर (व्याकरण)|स्वरों]] को जोड़कर (फोनिशियाई वर्णमाला) के आधार पर ग्रीक अक्षर बना। बाद में यह लैटिन वर्णमाला से विनियोगित किया गया जो आगे चलकर [[रोमन लिपि]] बना।
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12:00, 9 जनवरी 2018 का अवतरण

1 निम्नलिखित कलाकारों में स्वच्छंदतावाद से किसका संबंध है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-114,प्रश्न-7

पाब्लो पिकासो
बेरनिनी
वरमीयर
ओजेन देलाक्रा

2 पाब्लो पिकासो किसके समय में पैदा हुआ था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-6

फ़ासिज़्म
रिनेसांस
घनचित्रण शैली (Cubism)
आभास चित्रण (Imprissionism)

3 भारत में समीक्षावाद किसने स्थापित किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-139,प्रश्न-6

आर. एस. बिष्ट
एम. एच. अंसारी
जी. बी. लाल
रामचंद्र शुक्ल

4 "कला सहजानुभूति है", किस महान दार्शनिक ने इस तथ्य को स्पष्ट किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-152,प्रश्न-6

हीगल
कांट
बेनेदितो क्रोचे
प्लेटो

5 नाट्यशास्त्र के प्रणेता कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-6

कालिदास
वात्स्यायन
भरत मुनि
अरस्तु

6 किन दो रंगों को मिलाकर काला रंग बनाया जा सकता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-7

लाल+नीला
हरा+लाल
कत्थई+नीला
कत्थई+हरा

7 जलरंगीय चित्रों (Wash Painting) को जल में कितनी बार डुबाना चाहिए? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-6

8 बार
10 बार
आवश्यकतानुसार
11 बार

8 भारतीय चित्रकला के षडंग में अनुपात को किस शब्द से परिभाषित किया गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-6

सादृश्य
लावण्य योजना
वर्णिका भंग
प्रमाण

9 एल. सी. डी. मॉनिटर में एल. सी. डी. का क्या अर्थ है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-182,प्रश्न-6

लिक्विड क्रिस्टल डिस्पले
लो कॉस्ट डिजिट
लिक्विड कैडमियम डिस्पले
लो कंजम्पशन डिस्पले

10 अंग्रेज़ी भाषा के लगभग सभी अक्षर किस अक्षर लिपि से आए हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-188,प्रश्न-37

लैटिन
रोमन लिपि
फ़्रेंच
स्वीडिश