"कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 365": अवतरणों में अंतर
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||[[गोथिक कला]] के चित्रकार मास्टर ऑफ़ मोलिन्स ने इंद्रधनुषी रंगों में Virgin in Glory तथा Nativity का चित्रण किया। इससे | ||[[गोथिक कला]] के चित्रकार मास्टर ऑफ़ मोलिन्स ने इंद्रधनुषी रंगों में Virgin in Glory तथा Nativity का चित्रण किया। इससे सम्बंधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) एक अन्य अज्ञात कलाकार ने पिएटा चित्रित किया है। (2) रस्किन के मतानुसार पोल द लिम्बर्ग (Pol de limbourg) प्रथम चित्रकार था जिसने [[सूर्य]] को [[आकाश]] में ठीक तरह से स्थान दिया। (3) फूके को पहला महान फ़्राँसीसी चित्रकार कहा गया है। उसकी आकृतियां पंद्रहवीं शती की बरगण्डी की आधुनिक वेशभूषा पहने हैं। (4) किंग रेने (King Rene) ने जलती हुई झाड़ी के मध्य कुमारी तथा शिशु का चित्र बनाया। | ||
{[[राजस्थान]] के किस क्षेत्र की कला शैली पर [[जहांगीर]] एवं [[शाहजहां]] कालीन मुग़ल प्रभाव अधिक दिखाई देता है? | {[[राजस्थान]] के किस क्षेत्र की कला शैली पर [[जहांगीर]] एवं [[शाहजहां]] कालीन मुग़ल प्रभाव अधिक दिखाई देता है? | ||
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+जयपुर शैली | +जयपुर शैली | ||
||जयपुर चित्र शैली पर मुग़लों का अधिक प्रभाव दिखाई पड़ता देता है, खासकर [[जहांगीर]] एवं [[शाहजहां]] कालीन मुग़ल प्रभाव अधिक दिखाई देता है। स्त्रियों के वस्त्रों के चित्रण में मुग़ल पहनावे की छाप दिखाई देती है। साथ ही चित्रों की कलई [[मुग़ल चित्रकला|मुग़ल चित्रों]] के समान [[काला रंग|काले रंग]] या काली स्याही से की गई है। इससे | ||जयपुर चित्र शैली पर मुग़लों का अधिक प्रभाव दिखाई पड़ता देता है, खासकर [[जहांगीर]] एवं [[शाहजहां]] कालीन मुग़ल प्रभाव अधिक दिखाई देता है। स्त्रियों के वस्त्रों के चित्रण में मुग़ल पहनावे की छाप दिखाई देती है। साथ ही चित्रों की कलई [[मुग़ल चित्रकला|मुग़ल चित्रों]] के समान [[काला रंग|काले रंग]] या काली स्याही से की गई है। इससे सम्बंधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) [[सवाई जयसिंह]] ने अपने राज चिन्हों, कोषों, रोजमर्रा की वस्तुएं, [[कला]] का खजाना, साज-सामान आदि को सुव्यवस्थित ढंग से संचालित करने के लिए 'छत्तीस कारख़ानों' की स्थापना की, जिसमें सूरत खाना (यहां चित्रकार चित्रों का निर्माण करते थे) ही एक है। (2) इस समय के दरबारी चित्रकार मोहम्मद शाह और साहिब राम थे। (3) साहिब राम [[ईश्वरीसिंह|ईश्वरी सिंह]] के समय के प्रभावशाली चित्रकार थे। (4) जयपुर शैली 'ढूंढाड़ शैली' के नाम से भी जानी जाती है। (5) [[जयसिंह|जय सिंह]] के दरबारी कवि 'शिवदास राय' द्वारा [[ब्रज भाषा]] में तैयार करवाई गई सचित्र [[पाण्डुलिपि]] 'सरस रस ग्रंथ' है जिसमें कृष्ण विषयक चित्र पूरे 39 पृष्ठों पर अंकित हैं। (6) सवाई जयसिंह के पुत्र सवाई ईश्वरी सिंह ने अपने निर्देशन में '[[ईसरलाट जयपुर|ईसरलाट]]' और '[[सिटी पैलेस काम्पलेक्स उदयपुर|सिटी पैलेस]]' का निर्माण करवाया। | ||
{स्थिर चित्रण प्रमुख रूप से किस शैली में देखने को मिलता है? | {स्थिर चित्रण प्रमुख रूप से किस शैली में देखने को मिलता है? |
07:08, 2 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण
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