"प्रयोग:दीपिका1": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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{ | {'दि एंड ऑफ़ हिस्ट्री' का संकल्प किसका दिया हुआ है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-205,प्रश्न-33 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -जॉन बर्टन | ||
- | -सैमुएल हंटिंगटन | ||
+ | -केनेथ वाल्ट्ज | ||
+फ्रांसिस फूकूयामा | |||
|| | ||'दि एंड ऑफ़ हिस्ट्री' फ्रांसिस फूकूयामा द्वारा वर्ष 1989 में प्रकाशित अंतर्राष्ट्रीय मामलों का एक जर्नल है। बाद में इसी को विस्तारित करते हुए वर्ष 1992 में पुस्तक के रूप में 'दि एंड ऑफ़ हिस्ट्री एंड दि लास्ट मैन' नाम से प्रकाशित किया गया। | ||
{ | {[[राज्य सभा]] का [[सभापति]] निर्वाचित होता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-140,प्रश्न-24 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -राज्य सभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा | ||
- | -राज्य सभा के सभी सदस्यों द्वारा | ||
- | -संसद के निर्वाचित सदस्यों द्वारा | ||
+ | +संसद के सभी सदस्यों द्वारा | ||
|| | ||[[उपराष्ट्रपति]] [[राज्य सभा]] का पदेन अध्यक्ष होता है। [[संविधान]] के अनुच्छेद 89 (1) में यह उल्लेखित है कि '[[भारत]] का [[उपराष्ट्रपति]] राज्य सभा का पदेन [[सभापति]] होगा'। उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों राज्य सभा एवं लोक सभा के सदस्यों को मिलाकर बनने वाले निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है जिसका वर्णन संविधान के अनुच्छेद 66 (1) में किया गया है। | ||
{ | {[[भारतीय संविधान]] में 'न्याय' शब्द का उल्लेख कहाँ पर है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-152,प्रश्न-92 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+ | +प्रस्तावना में | ||
- | -भौलिक अधिकार के अध्याय में | ||
- | -नीति-निदेशक तत्वों के अध्याय में | ||
- | -कहीं नहीं | ||
|| | ||[[भारत का संविधान |भारत के संविधान]] की उद्देशिका या प्रस्तावना (Preamble) में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का उल्लेख किया गया है। | ||
{[[ | {[[संविधान]] की [[आठवीं अनुसूची]] में कितनी प्रादेशिक भाषाओं को शामिल किया गया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-163,प्रश्न-151 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -14 | ||
+ | -16 | ||
- | +22 | ||
-इनमें से कोई भी नहीं | |||
|| | ||[[भारतीय संविधान]] में किसी भी भाषा को आठवीं अनुसूची के अंतर्गत शामिल किया जाता है। संविधान के प्रारंभ में केवल 14 भाषाओं को राजकीय भाषा का दर्जा प्राप्त था। 92वें संविधान संशोधन 2003 द्वारा [[जनवरी]], 2004 में बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली को राजकीय भाषा के रूप में मान्यता दी गई। इससे पहले वर्ष 1992 में 71 वें संविधान संशोधन द्वारा नेपाली, कोंकणी तथा मणिपुरी को तथा वर्ष 1967 में 21 वें संविधान संशोधन द्वारा सिंधी को राजकीय भाषा का दर्जा दिया गया था। इस प्रकार अभी तक 22 भाषाओं को संविधान में अनुच्छेद 344 के तहत मान्यता प्राप्त है। | ||
{ | {केंन्द्र-राज्य के मध्य शक्तियों का बंटवारा संविधान की किस अनुसूची में दिया गया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-174,प्रश्न-213 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -पांचवीं | ||
+ | +सातवीं | ||
- | -दसवीं | ||
- | -बारहवीं | ||
|| | ||केंद्रीय और प्रांतीय सरकारों के मध्य शक्तियों का विभाजन संघात्मक संविधान का एक परमावश्यक तत्व है। यह विभाजन संविधान द्वारा ही किया जाता है। प्रत्येक सरकारें अपने-अपने क्षेत्र में सार्वभौम होती हैं और दूसरे के अधिकारों एवं शक्तियों पर अतिक्रमण नहीं कर सकतीं। केंद्र-राज्य के मध्य शक्तियों का बंटवारा संविधान की सातवीं अनुसूची (अनुच्छेद 246) द्वारा किया गया है। | ||
{' | {किस विचारक ने अपनी पुस्तक 'इंटरनेशनल इक्विलिब्रियम' में संतुलन सिद्धांत की सुसंगत व्याख्या की है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-203,प्रश्न-23 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[भारत]]-[[चीन]] | +जार्ज लिस्का | ||
-[[भारत]]-[[ | -मार्टन कैप्लन | ||
+ | -मॉर्गेन्थाउ | ||
- | -ऐमैण्ड ऐरन | ||
|| | ||इंटरनेशनल इक्विलिब्रियम: ए थ्योरिटिकल एस्से ऑन दि पॉलिटिक्स एंड ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ सिक्यूरिटी' जॉर्ज लिस्का की पुस्तक है, जो वर्ष 1957 में प्रथम बार प्रकाशित हुई। इस पुस्तक में उन्होंने राजनैतिक एवं सुरक्षा संगठन पर संतुलन सिद्धांत की व्याख्या प्रस्तुत की है। | ||
{विधि का शासन जिस प्रकार की समानता को प्रतिष्ठापित करता है, वह है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-197,प्रश्न-26 | |||
|type="()"} | |||
-मूल विषयक | |||
+प्रक्रियात्मक | |||
-वितरक | |||
-प्रतिमानित | |||
||'विधि का शासन' या 'कानून का शासन' (Rule of Law) का अर्थ है "कानून सर्वोपति है तथा वह सभी लोगों पर समान रूप से लागू होता है"। विधि का शासन जिस प्रकार की समानता को प्रतिष्ठापित करता है वह प्रक्रियात्मक समानता है। | |||
{[[राज्यपाल]] की अनुपस्थिति में उसके पद को निम्न में से कौन ग्रहण करता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-183,प्रश्न-264 | |||
|type="()"} | |||
+[[राष्ट्रपति]] | |||
-[[प्रधानमंत्री]] | |||
-[[मुख्यमंत्री]] | |||
-[[उच्चतम न्यायालय]] का मुख्य न्यायाधीश | |||
||अनुच्छेद 160 'कुछ आकस्मिकताओं में राज्यपाल के कूत्यों का निर्वहन' संबंधी प्रावधान करता है, जिसके अनुसार [[राष्ट्रपति]] ऐसी किसी आकस्मिकता में, जो इस अध्याय में उपबंधित नहीं है, राज्य के [[राज्यपाल]] के कृत्यों के निर्वहन के लिए ऐसा उपबंध कर सकेगा जो वह ठीक समझता है। | |||
{'कोलंबो प्रस्ताव' का संबंध है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-116,प्रश्न-35 | |||
|type="()"} | |||
+[[भारत]]-[[चीन]] सीमा विवाद से | |||
-[[भारत]]-[[श्रीलंका]] की तमिल समस्या से | |||
-भारत-श्रीलंका के आपसी मतभेद से | |||
-उपर्युक्त में से किसी से भी नहीं | |||
||21 नवंबर, 1962 को चीन ने भारत के साथ युद्ध विराम की घोषणा की। भारत-चीन सीमा विवाद के हल के लिए श्रीलंका, घाना, इंडोनेशिया, मिस्त्र, म्यांमार और कंबोडिया-एशिया और अफ्रीका के इन गुटनिरपेक्ष राष्ट्रों ने दिसंबर, 1962 में कोलंबो में सम्मेलन किया जिसके फलस्वरूप 12 दिसंबर, 1962 को भारत-चीन विवाद के समाधान के लिए 'कोलंबो प्रस्ताव' सामने आया। भारत में इसे स्वीकार कर लिया परंतु चीन ने अस्वीकार कर दिया। | |||
{संयुक्त राष्ट्र का कौन-सा 1994 से कार्यशील नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-121,प्रश्न-26 | |||
|type="()"} | |||
-आर्थिक व सामाजिक परिषद | |||
-सचिवालय | |||
-महासभा | |||
+न्यासे परिषद | |||
||न्यासी परिषद संयुक्त राष्ट्र का अंग है जो न्यासी क्षेत्रों की सरकार का पर्यवेक्षण करने तथा उन्हें स्वशासन या स्वतंत्रता प्राप्त करने में समर्थ बनाने के लिए निर्मित की गई है। | |||
वर्ष 1994 में अंतिम न्यासी क्षेत्र पलाऊ के स्वतंत्रता प्राप्त कर लेने के पश्चात न्यासी परिषद ने अपना परिचालन समाप्त कर दिया। वर्ष 1994 के बाद परिषद हेतु नई भूमिका निर्धारित की गई है जिसके अंतर्गत यह अल्पसंख्यक और देशज लोगों हेतु एक मंच के रूप में सेवारत है। | |||
{सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखित पुस्तक कौन नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-205,प्रश्न-34 | |||
|type="()"} | |||
-सम कैरेक्टरस्टिक्स ऑफ़ दि इंडियन कांस्टीट्यूशन | |||
-दी लॉ एंड दी कांस्टीट्यूशन | |||
+माडर्न कांस्टीट्यूशन | |||
-कैबिनेट गवर्नमेंट | |||
||'मॉडर्न कांस्टीट्यूशन' नामक पुस्तक के.सी. व्हीयर द्वारा लिखी गई है। शेष पुस्तकों को सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखा गया है। | |||
{यदि राज्य सभा किसी संविधान संशोधन विधेयक पर लोक सभा से असहमत हो तो ऐसी स्थिति में-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-141,प्रश्न-25 | |||
|type="()"} | |||
+संशोधन विधेयक पारित नहीं माना जाता | |||
-दोनों सदनों की संयुक्त बैठक द्वारा इसका निर्णय होगा | |||
-लोक सभा द्वारा दो-तिहाई बहुमत से यह विधेयक पारित कर दिया जाएगा | |||
-लोक सभा राज्य सभा के मत को अस्वीकृत कर देगी | |||
||संविधान संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा अलग-अलग विशेष बहुमत से स्वीकृत किया जाना आवश्यक है। दोनों सदनों में असहमति की स्थिति में विधेयक अंतिम रूप से समाप्त हो जाएगा क्योंकि संविधान संशोधन के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की संविधान में कोई व्यवस्था नहीं हैं। | |||
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12:57, 16 मार्च 2018 का अवतरण
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